June 17, 2025 12:03 am

बिहार में नीतीश कुमार के बहाने तेजस्वी और लालू यादव लगा रहे हैं प्रेशर पॉलिटिक्स पर दांव

पटना। बिहार में अगले साल विधानसभा चुनाव है। सबकी निगाहें फिर से नीतीश कुमार पर हैं। लालू यादव तो साफ कह चुके हैं कि नीतीश कुमार के लिए उनका दरवाजा खुला है। जबकि तेजस्वी यादव नीतीश की वापसी को अस्वीकार करने की हुंकार भर चुके हैं। तेजस्वी यादव यहीं नहीं रुके। वह तो राहुल गांधी के कांग्रेस को भी सीधा संदेश दे चुके हैं। या तो राजद की बात मानकर पिछलग्गू बने रहिए, वरना हाथ जोड़िए और पीछा छोड़िए। ऐसे में लोग कन्फ्यूज हैं कि पिता-पुत्र दोनों अलग-अलग चाल क्यों चल रहे हैं? क्या यह राजद की मध्यम मार्ग वाली पॉलिटिक्स है? 
दरअसल, कांग्रेस को फटकारने के पीछे तेजस्वी की एक सोची-समझी चाल है। या यूं कहिए कि तेजस्वी यादव की प्रेशर पॉलिटिक्स। अभी तेजस्वी यादव को खूब पता है कि कांग्रेस पूरी तरह बैकफुट पर है। हरियाणा और महाराष्ट्र चुनाव में हार से कांग्रेस टूटी हुई है। इंडिया गठबंधन के अन्य साथी उसे घेर रहे हैं। ममता बनर्जी हों, अरविंद केजरीवाल हों या अखिलेश यादव, सभी के टारगेट पर राहुल गांधी और कांग्रेस ही है। कांग्रेस के कई नेता यह इशारा कर चुके हैं कि कांग्रेस अब राजद की पिछलग्गू नहीं बनकर रहना चाहती। बिहार में 1990 के बाद से कांग्रेस राजद की पिछलग्गू बनकर रही है। राजद के बगैर उसका सियासी वजूद बिहार में कभी रहा ही नहीं। मगर अब कांग्रेस अपने पैरों पर खड़े होकर चलना चाहती है। इसलिए कांग्रेस तेवर दिखा रही है। वह साफ-साफ कह चुकी है कि उसे पिछली बार जितनी ही 70 सीटें चाहिए।
अब तेजस्वी यादव को कांग्रेस के इस तेवर की भनक है। तेजस्वी यादव मौके को हाथ से जाने नहीं देना चाहते हैं। इसलिए वह कांग्रेस को आड़े हाथों ले रहे हैं। राजद को पता है कि कांग्रेस को अधिक सीट देने का मतलब है सियासी नुकसान। जैसा बीते चुनावों में दिखा। इसलिए तेजस्वी यादव इंडिया गठबंधन को लोकभा चुनाव तक का करार बता रहे हैं। तेजस्वी यादव को लग रहा है कि कांग्रेस सीट शेयरिंग में आंखें दिखा सकती है। वह अधिक सीटों का दवाब बनाएगी। इसलिए तेजस्वी अभी से ही अपना पलड़ा भारी करके चलना चाहते हैं। तभी वह इंडिया गठबंधन की तिलांजलि दे रहे हैं। राजद अभी दोनों एंड से बैटिंग कर रही है। एक ओर बल्लेबाजी की कमान लालू यादव के पास है तो दूसरी ओर तेजस्वी के पास। दोनों अपने-अपने अंदाज में बैटिंग कर रहे हैं। चाहे जिसके बल्ले से सियासी छक्का लगे, फायदा टीम यानी राजद को ही होगा। ऐसे में अब बिहार चुनाव से पहले बनने-बिगड़ने वाले सियासी समीकरण से ही साफ होगा कि आखिर राजद की असल पॉलिटिक्स क्या है

Khabar 30 Din
Author: Khabar 30 Din

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