अब्दुल सलाम कादरी-एडिटर इन चीफ
मनेन्द्रगढ़. रायपुर: प्रदेश के मनेंद्रगढ़ वनमंडल के बहरासी वन परीक्षेत्र में वृक्षारोपण योजनाओं के तहत करोड़ों रुपए की लागत से किए गए कार्यों में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां सामने आई हैं। “बीबीसी लाइव” द्वारा संकलित दस्तावेजों के अनुसार, 2018 से 2023 तक विभिन्न वृक्षारोपण परियोजनाओं के लिए सरकारी धन का उपयोग किया गया, लेकिन अधिकांश स्थानों पर वृक्ष जीवित नहीं हैं, जिससे संदेह उत्पन्न हो रहा है कि यह परियोजना केवल कागजों में ही सीमित रह गई।
179901 पौधे, लेकिन कहां है जंगल?
रिपोर्ट के अनुसार, कुल 1,79,901 पौधे रोपित किए गए थे, लेकिन इनमें से 70 से 80 प्रतिशत पौधे अब जीवित नहीं हैं, या लगाए ही नही गए? इसके बावजूद पूरी लागत का भुगतान कर दिया गया। सवाल यह उठता है कि जब वृक्ष नहीं हैं, तो उनके रखरखाव और सुरक्षा के लिए करोड़ों रुपए क्यों खर्च किए गए?
30 प्रतिशत से कम ही बचे वृक्ष
सड़क किनारे वृक्षारोपण, ग्राम वन वृक्षारोपण और अन्य योजनाओं के तहत करीब 23.80 करोड़ रुपए खर्च किए गए, लेकिन मौके पर मात्र 30 प्रतिशत से कम ही वृक्ष ही जीवित पाए गए। कई स्थानों पर पौधे या तो लगाए ही नहीं गए ?
जांच की मांग, दोषियों पर कार्रवाई की अपील
पत्रकार अब्दुल सलाम क़ादरी द्वारा संबंधित विभागों को लिखे पत्र में मांग की गई है कि इन गड़बड़ियों की स्वतंत्र ऑडिट और उच्च स्तरीय जांच कराई जाए। पत्र में यह भी आरोप लगाया गया है कि इस घोटाले में वन विभाग के अधिकारियों की संलिप्तता हो सकती है, इसलिए निष्पक्ष जांच आवश्यक है। शिकायत भी उच्चस्तरीय की गई है जिसमे एक एक वृक्षारोपण की जानकारी इवोडब्ल्यु और ईडी को फिर से भेजी गई है?
पूर्व में दी गई शिकायत पत्र को छत्तीसगढ़ कांग्रेस की सरकार ने दबा दिया था?
प्रधानमंत्री कार्यालय तक दूबारा पहुंची शिकायत.
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए यह शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय, मुख्यमंत्री कार्यालय (छत्तीसगढ़), कलेक्टर मनेंद्रगढ़ और वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग रायपुर को भेजी गई है। अब देखना होगा कि भाजपा सरकार इस मामले में क्या कदम उठाती है?
मनेंद्रगढ़ वनमंडल के बहरासी रेंज में वृक्षारोपण घोटाला: करोड़ों की राशि हुई गबन?
मनेंद्रगढ़ (छत्तीसगढ़): वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा मनेंद्रगढ़ वनमंडल के बहरासी वन क्षेत्र में किए गए वृक्षारोपण कार्यों में भारी वित्तीय अनियमितताये है। प्राप्त दस्तावेजों के अनुसार, वर्ष 2018-19 से 2023-24 तक विभिन्न योजनाओं के तहत 1,79,901 पौधे लगाए जाने का दावा किया गया, लेकिन इनमें से 70 से 80 प्रतिशत पौधे जीवित नहीं पाए गए?
करोड़ों की लागत, परंतु नतीजा शून्य?
इन वृक्षारोपण परियोजनाओं के लिए करोड़ों रुपए आवंटित किए गए थे। दस्तावेजों के अनुसार:
विशेष प्रजाति प्लांटेशन (P-1152, P-1141, P-1127, आदि) के तहत लाखों रुपए खर्च किए गए, परंतु ग्राउंड रिपोर्ट के अनुसार अधिकांश पौधे जीवित नहीं हैं।
बांस बगान (HEC- 2022) योजनाओं के तहत भी 60 लाख से अधिक की राशि व्यय हुई, लेकिन कोई ठोस परिणाम नहीं दिख रहा है
सड़क किनारे वृक्षारोपण एवं पंचायतों में गड़बड़ियां
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि सड़क किनारे, पंचायतों एवं सरकारी भूमि पर कराए गए वृक्षारोपण कार्यों में भी वित्तीय अनियमितताएं पाई गईं। जांच में सामने आया कि कई स्थानों पर वृक्षारोपण के नाम पर सिर्फ कागजी कार्यवाही हुई, जबकि वास्तविकता में जमीन पर कुछ भी नहीं किया गया।
क्या होगी जांच?
इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग उठ रही है। दस्तावेजों के अनुसार, वृक्षारोपण कार्यों में 2.38 करोड़ से अधिक की राशि खर्च की गई, लेकिन इसकी पारदर्शिता संदेह के घेरे में है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि पूरी जांच निष्पक्ष तरीके से होती है, तो बड़ा घोटाला सामने आ सकता है।
निष्कर्ष:
सरकार और प्रशासन को इस मामले में सख्त कदम उठाने की जरूरत है। यदि वृक्षारोपण के लिए आवंटित करोड़ों रुपए सही तरीके से खर्च नहीं किए गए, तो दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। साथ ही, भविष्य में ऐसी अनियमितताओं को रोकने के लिए एक मजबूत निगरानी प्रणाली विकसित की जानी चाहिए।
अगर आरोप सही साबित होते हैं, तो यह करोड़ों रुपए की सरकारी धनराशि के दुरुपयोग का मामला होगा, जिससे प्रदेश के पर्यावरण और जनता, दोनों को नुकसान पहुंचा है। ऐसे में निष्पक्ष जांच और दोषियों पर सख्त कार्रवाई आवश्यक है, ताकि भविष्य में इस तरह की अनियमितताओं को रोका जा सके।
बहरासी वन क्षेत्र मामले में बिना जांच के फाइल बंद, शिकायतकर्ता नाराज
रायपुर। बहरासी वन क्षेत्र में वन संरक्षण और वृक्षारोपण से जुड़े एक मामले में शिकायतकर्ता अब्दुल सलाम कादरी ने आरोप लगाया है कि बिना किसी उचित जांच के ही उनकी शिकायत को बंद कर दिया गया है।
शिकायत(पंजीकरणसंख्या:MOEAF/E/2024/0000937 ) पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को 16 अप्रैल 2024 को सौंपी गई थी। इसमें 2018 से 2023 तक CAMPA योजना के तहत किए गए वृक्षारोपण और वन संरक्षण कार्यों की समीक्षा की मांग की गई थी। शिकायतकर्ता का कहना है कि क्षेत्र में दो ब्लॉक के 38 हेक्टेयर भूमि पर किया गया वृक्षारोपण असफल रहा और पुनः वृक्षारोपण की आवश्यकता है।
अब तक नहीं हुई ठोस कार्रवाई
शिकायत की वर्तमान स्थिति ‘अभी प्रक्रिया में’ दर्शाई गई है, और कार्रवाई की तारीख 28 मई 2024 तय की गई थी। लेकिन बार-बार रिमाइंडर देने के बावजूद अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। 16 जून, 9 जुलाई, 2 सितंबर और 3 नवंबर 2024 को भेजे गए अनुस्मारक में बार-बार सवाल उठाया गया कि जांच क्यों नहीं की गई, लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला।
शिकायतकर्ता की मांग
अब्दुल सलाम कादरी ने इस मामले की निष्पक्ष जांच और फाइल को दोबारा खोलने के लिए पीएमओ कैम्पा सीइओ दिल्ली को शिकायत एवं जांच पत्र भेजकर मांग की गई है कि बिना जांच के इस तरह से फाइल बंद करना उचित नहीं है। अब देखना होगा कि वन विभाग इस मामले में क्या कदम उठाता है, मामले को दुबारा रजिस्टर्ड कर लिया गया है।
लेकिन यदि जांच नही होती है जांच अधिकारियों के विरुद्ध हाईकोर्ट में पिटीशन फाइल करने की भी योजना है।
