- छत्तीसगढ़ में RTI का गला घोंट रहे अधिकारी, राज्य सूचना आयोग पर भी सवाल
- धारा 8 और 11 का दुरुपयोग कर रहे अधिकारी, जनता को नहीं मिल रही जरूरी जानकारी
- फॉरेस्ट विभाग में अकाउंट नंबर की आड़ में करोड़ों का घोटाला!
रायपुर। छत्तीसगढ़ में सूचना का अधिकार (RTI) कानून, जो पारदर्शिता और जवाबदेही का आधार माना जाता है, अब अपने असली मकसद से भटकता नजर आ रहा है। सरकारी विभागों में बैठे अधिकारी आरटीआई आवेदनों को मनमाने तरीके से खारिज कर रहे हैं। खासकर धारा 8(1) और धारा 11 का गलत इस्तेमाल कर जनता को महत्वपूर्ण जानकारियों से वंचित किया जा रहा है।
सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारियों को गोपनीयता और तीसरे पक्ष की दलील देकर रोका जा रहा है, जिससे यह साफ होता है कि सरकार के भीतर ही पारदर्शिता को खत्म करने की कोशिश हो रही है। इसके अलावा, राज्य सूचना आयोग की निष्क्रियता और उसकी कार्यप्रणाली पर भी लगातार सवाल उठ रहे हैं।
धारा 8 और 11 का दुरुपयोग क्यों?
आरटीआई एक्ट की धारा 8 के तहत कुछ जानकारियों को गोपनीय रखा जा सकता है, लेकिन अधिकारियों ने इसका दुरुपयोग कर हर महत्वपूर्ण जानकारी को इससे जोड़कर छिपाना शुरू कर दिया है। इसी तरह, धारा 11 का उपयोग ‘तीसरे पक्ष की जानकारी’ बताकर किया जा रहा है, जिससे भ्रष्टाचार उजागर होने से बचाया जा सके।
सूत्रों के मुताबिक, कई महत्वपूर्ण मामलों में सूचना आयोग खुद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रहा, जिससे अधिकारियों के हौसले बुलंद हैं।
फॉरेस्ट विभाग में करोड़ों का घोटाला!
सूचना के अधिकार के तहत सामने आ रही कुछ जानकारियों में यह भी खुलासा हुआ है कि छत्तीसगढ़ के वन विभाग में अकाउंट नंबर की आड़ में करोड़ों रुपये का हेरफेर हो रहा है।
फर्जी नामों पर खातों में पैसे भेजे जा रहे हैं और वन संरक्षण योजनाओं के नाम पर करोड़ों की हेराफेरी हो रही है। जब इस संबंध में आरटीआई लगाई जाती है तो धारा 8 और 11 का हवाला देकर जवाब देने से इनकार कर दिया जाता है।
RTI के मामले में पिछड़ रहा छत्तीसगढ़
देशभर में RTI कानून पारदर्शिता और जनता के अधिकारों को सुनिश्चित करने का सबसे बड़ा जरिया माना जाता है, लेकिन छत्तीसगढ़ में हालात बिल्कुल विपरीत हैं।
- ज्यादातर RTI आवेदनों को मनमाने ढंग से खारिज किया जा रहा है।
- राज्य सूचना आयोग की निष्क्रियता पर जनता के साथ RTI कार्यकर्ता भी सवाल उठा रहे हैं।
- महत्वपूर्ण घोटालों और भ्रष्टाचार से जुड़ी जानकारियां देने में अधिकारी आनाकानी कर रहे हैं।
कब मिलेगा न्याय?
RTI कार्यकर्ताओं और जागरूक नागरिकों का कहना है कि अगर इस तरह पारदर्शिता को खत्म करने की साजिश जारी रही, तो राज्य में भ्रष्टाचार को खुली छूट मिल जाएगी। राज्य सरकार और सूचना आयोग को इस स्थिति का संज्ञान लेना चाहिए और जवाबदेही तय करनी चाहिए।
अगर जल्द ही इस पर कार्रवाई नहीं हुई, तो छत्तीसगढ़ में RTI कानून केवल एक दिखावटी कानून बनकर रह जाएगा, जिसका जनता को कोई लाभ नहीं मिलेगा। और सरकार की जवाबदेही और पारदर्शिता पर सवाल हो रहे है।
