July 8, 2025 6:53 am

मनरेगा मजदूरी भुगतान में देरी पर संसदीय समिति ने चिंता जताई, सुधारों की सिफ़ारिश

संसदीय समिति ने मनरेगा मज़दूरी भुगतान में देरी पर चिंता जताई है. रिपोर्ट में मज़दूरी दर 400 रुपये करने, कार्य दिवस 150 करने, बजट बढ़ाने और अधिक महिलाओं को शामिल करने की सिफ़ारिश की गई है. सरकार से महंगाई अनुरूप मज़दूरी संशोधन और सामाजिक सुरक्षा उपायों को मजबूत करने की मांग की गई है.

नई दिल्ली: महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी (मनरेगा) योजना के तहत मजदूरी भुगतान में हो रही देरी पर चिंता जताते हुए एक संसदीय समिति ने कई सुधारात्मक कदम उठाने की सिफारिश की है.

इसमें प्रणालीगत सुधार, समय पर धन आवंटन, पेंशन में वृद्धि और सामाजिक सुरक्षा उपायों को मजबूत करने की जरूरत पर जोर दिया गया है ताकि ग्रामीण श्रमिकों और कमजोर वर्गों की आर्थिक परेशानियों को कम किया जा सके.

गुरुवार (3 अप्रैल) को संसद में पेश की गई अपनी ग्रामीण विकास और पंचायती राज को लेकर बनी स्थायी समिति ने कहा कि मजदूरी भुगतान में देरी ऐसे लाखों ग्रामीण श्रमिकों को प्रभावित कर रही है, जो इस योजना पर निर्भर हैं.

न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, समिति ने सरकार से आग्रह किया कि वह प्रणालीगत बाधाओं को दूर करे और यह सुनिश्चित करे कि मजदूरी का भुगतान समय पर हो.

समिति ने केंद्र सरकार से मांग की कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत मजदूरी दर को कम से कम 400 रुपये प्रतिदिन किया जाए और योजना के तहत गारंटीकृत कार्य दिवसों की संख्या मौजूदा 100 दिनों से बढ़ाकर कम से कम 150 दिन की जाए.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, फिलहाल इस योजना के तहत अलग-अलग राज्यों में दैनिक मजदूरी 241 रुपये से 400 रुपये तक निर्धारित है.

समिति ने यह भी चिंता जताई कि रोजगार गारंटी योजना के बजट आवंटन में लगातार कमी की जा रही है, जबकि इस योजना के तहत रोजगार की मांग बढ़ रही है. इसके अलावा, सोशल ऑडिट में सुधार लाने और इस योजना के तहत अधिक से अधिक महिलाओं को शामिल करने की जरूरत पर भी जोर दिया गया है.

रिपोर्ट में मजदूरी संरचना को महंगाई के अनुरूप संशोधित करने, श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए शिकायत निवारण तंत्र को मजबूत करने और सामाजिक सुरक्षा उपायों में सुधार की सिफारिश की गई है.

रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम के तहत दी जाने वाली वर्तमान पेंशन दरें बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए अपर्याप्त हैं, इसलिए सरकार को इनकी राशि बढ़ानी चाहिए.

फरवरी 2025 में नरेगा संघर्ष मोर्चा ने एक बयान में कहा था कि यदि महंगाई को ध्यान में रखा जाए, तो 2025-26 के बजट में इस योजना के लिए आवंटित राशि 2024-25 के मुकाबले लगभग 4,000 करोड़ कम है.

2024-25 में यह आवंटन सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 0.26% था, जबकि 2025-26 के बजट में यह घटकर 0.24% रह गया है.

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत, ग्रामीण परिवारों को प्रति वर्ष 100 दिनों का रोजगार गारंटी के साथ दिया जाता है, और इसके लिए विशेष रूप से तय मजदूरी का भुगतान किया जाता है.

Khabar 30 Din
Author: Khabar 30 Din

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