June 15, 2025 7:05 am

छत्तीसगढ़: आदिवासी नेता मनीष कुंजाम के ठिकानों पर पुलिस का छापा, मोबाइल फोन ज़ब्त किए

नई दिल्ली: बस्तर के प्रमुख आदिवासी नेता और पूर्व विधायक मनीष कुंजाम के सुकमा स्थित आवासों पर छत्तीसगढ़ पुलिस ने छापेमारी की है. छत्तीसगढ़ पुलिस की भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) और आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने 7 करोड़ रुपये के कथित गबन के सिलसिले में सुकमा जिले में 12 स्थानों पर छापेमारी की, जिसमें मनीष कुंजाम का घर भी शामिल है.

आरोप लगाया जा रहा है कि ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि उन्होंने करोड़ों रुपये के तेंदूपत्ता बोनस वितरण में अनियमितताओं की जांच की मांग की थी. यह मामला 2021 और 2022 के लिए तेंदू पत्ता संग्राहकों को बोनस के रूप में वितरित किए जाने वाली राशि में भ्रष्टाचार के आरोपों से संबंधित है.

अधिकारियों के अनुसार, सुकमा जिले के प्रभागीय वन अधिकारी (डीएफओ) अशोक कुमार पटेल को एक शिकायत मिलने के बाद निलंबित कर दिया गया था जिसमें कहा गया था कि उन्होंने और कुछ अन्य वन अधिकारियों ने तेंदू पत्ता संग्रह करने के लिए प्रोत्साहन के रूप में वितरित की जाने वाली लगभग 7 करोड़ रुपये की राशि वितरित नहीं करने में मिलीभगत की थी.

कुंजाम के ठिकानों पर इसी मामले के संबंध में छापेमारी की गई है.

इंडियन एक्सप्रेस द्वारा संपर्क किए जाने पर कुंजाम ने दावा किया कि उन्हें ‘निशाना बनाया जा रहा है.’ उन्होंने यह भी कहा कि मामले में मूल शिकायत उन्होंने ही की थी. उन्होंने दावा किया, ‘पुलिस ने मेरे दो फोन और मेरी डायरी ले ली है. मैं अकेला शिकायतकर्ता हूं. 10 मार्च को डीएफओ को निलंबित किए जाने के बाद भी हमने फिर से विरोध प्रदर्शन किया और जिला कलेक्टर से उनके खिलाफ कार्रवाई करने और लाभार्थियों को पैसे देने की मांग की.’

पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) की प्रेस रिलीज के अनुसार, 8 जनवरी 2025 को मनीष कुंजाम ने सुकमा ज़िले में तेंदूपत्ता बोनस वितरण की जांच की मांग करते हुए आरोप लगाया था कि 3.6 करोड़ का घोटाला हुआ है, जिसमें वन विभाग के अधिकारियों की संलिप्तता है. सुकमा कलेक्टर को लिखे पत्र में उन्होंने आरोप लगाया कि 3.62 करोड़ रुपये वन विभाग के अधिकारियों ने गबन कर लिए हैं और विक्रेताओं को कोई भुगतान नहीं किया गया.

मनीष कुंजाम साल 1990 से 1998 तक छतीसगढ़ (तब मध्य प्रदेश) की कोंटा विधानसभा सीट से दो बार विधायक रह चुके हैं. उन्होंने आदिवासियों के अधिकारों के लिए कई जन आंदोलनों का नेतृत्व किया है. वर्षों तक सीपीआई और अखिल भारतीय आदिवासी महासभा से जुड़े रहने के बाद पिछले वर्ष उन्होंने ‘बस्तरिया राज मोर्चा’ नाम की एक पार्टी बनाई है.

बस्तर के आदिवासियों के लिए तेंदूपत्ता एकत्र करना आजीविका का प्रमुख स्रोत है. हज़ारों परिवार गर्मी के महीनों में यह काम करते हैं. आदिवासी इसे सरकारी प्राथमिक वनोपज सहकारी समितियों को बेचते हैं, जिन्हें स्थानीय वन विभाग द्वारा नियंत्रित किया जाता है.

मनीष कुंजाम के घर छापेमारी की पीयूसीएल ने की निंदा 

पीयूसीएल ने प्रेस रिलीज के माध्यम ने इस घटना की निंदा की है. उनके द्वारा जारी प्रेस रिलीज कहती है, ‘पीयूसीएल छत्तीसगढ़ यह जानकर स्तब्ध है कि पूर्व विधायक और बस्तरिया राज मोर्चा के नेता मनीष कुंजाम द्वारा करोड़ों रुपये के तेंदूपत्ता बोनस वितरण में अनियमितताओं की जांच की मांग के जवाब में, छत्तीसगढ़ पुलिस ने उनके सुकमा स्थित आवासों पर छापेमारी की है.’

‘यह समझ से परे है कि छत्तीसगढ़ पुलिस एक शिकायतकर्ता पर छापा क्यों मार रही है. ऐसा प्रतीत होता है कि यह छापेमारी घोटाले की जांच से अधिक मनीष कुंजाम को परेशान और प्रताड़ित करने के उद्देश्य से की गई है.’

प्रेस रिलीज के अनुसार पुलिस ने उनके दो मोबाइल फोन जब्त कर लिए हैं. प्रेस रिलीज में पुलिस और एजेंसियों द्वारा छोटी-छोटी घटनाओं  पर इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जब्त कर लोगों की निजता का उल्लंघन करने को लेकर चिंता व्यक्त की गई है. कहा गया है, ‘पुलिस लोगों की निजी बातचीत को खंगालती है और कई बार इन उपकरणों में आपत्तिजनक सामग्री डाल कर उन्हें झूठे मामलों में फंसा भी देती है.’

पीयूसीएल के अनुसार ‘मनीष कुंजाम के फोन जब्त किए जाने का कोई तार्किक कारण नहीं है और ऐसा प्रतीत होता है कि यही इस छापे का मुख्य उद्देश्य था.’

पीयूसीएल ने मांग की है कि ‘आदिवासी समाज के सम्मानित और लोकप्रिय नेता मनीष कुंजाम के खिलाफ इस उत्पीड़नात्मक कार्रवाई को तुरंत रोका जाए, उनके मोबाइल फोन समेत अन्य ज़ब्त सामग्री उन्हें वापस की जाए.’

Khabar 30 Din
Author: Khabar 30 Din

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