नई दिल्ली: केरल की राजनीति में लेफ्ट डोमोक्रेटिक फ्रंट (LDF) और खासकर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPM) इन दिनों बुरे दौर से गुजर रही है। करुवन्नूर कोऑपरेटिव बैंक में 150 करोड़ रुपये के लोन फ्रॉड और मनी लॉन्ड्रिंग केस ने राज्य सरकार और सत्ताधारी पार्टी की छवि को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाया है। खासकर केरल हाईकोर्ट की ओर से पुलिस जांच को लेकर दिए गए सख्त निर्देश और ईडी की सक्रियता से राजनीतिक हलकों में हलचल मची हुई है। सवाल उठ रहा है कि अगले साल होने वाले केरल विधानसभा चुनावों में CPM की स्थिति क्या होने वाली है?
लोन फ्रॉड: केरल हाईकोर्ट का कड़ा रुख
केरल हाईकोर्ट ने लोन फ्रॉड के मामले में राज्य पुलिस को तीन महीने के भीतर निष्पक्ष और बिना किसी के प्रभाव में आए जांच पूरी करने का आदेश दिया है। जस्टिस डीके सिंह ने साफ कहा कि यदि राजनीतिक कार्यकर्ताओं की भूमिका की निष्पक्ष जांच नहीं होती, तो जांच अधिकारी को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। यह आदेश न केवल मुख्यमंत्री पिनराई विजयन की पार्टी CPM के लिए झटका है, बल्कि राज्य सरकार के प्रशासनिक रवैये पर भी सवाल खड़े करता है।
ED की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने राज्य पुलिस को निर्देश दिया कि वह राजनीतिक या नौकरशाही के दबाव में न आए और सभी आरोपियों की भूमिका की गहराई से जांच करे। कोर्ट की यह टिप्पणी CPM नेतृत्व पर लगे आरोपों की गंभीरता जाहिर करती है।
सीधा असर पिनराई विजयन की साख पर
सीपीएम के खिलाफ केरल हाई कोर्ट का ताजा रुख इसलिए और भी गंभीर है, क्योंकि विपक्ष पहले से ही लेफ्ट सरकार से जुड़े कथित मामलों को लेकर सीधे मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के खिलाफ मोर्चा खोले हुए है। इससे सीएम विजयन की साख पर भी असर पड़ा है। विपक्ष विशेषकर बीजेपी ने भ्रष्टाचार के मुद्दे को जोर-शोर से उठाते हुए पहले ही विजयन से इस्तीफे की मांग कर रखी है।
यहां तक कि खुद CPM के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री जी सुधाकरण ने भी अपनी ही सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे क्षेत्रों की दुर्दशा पर कथित टिप्पणी कर पार्टी की अंदरूनी खींचतान को भी उजागर कर दिया है।
सीपीएम पर बीजेपी का आक्रामक रवैया
केरल बीजेपी सत्ताधारी दल पर लग रहे आरोपों को मौका समझते हुए इसे भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता टॉम वडक्कन और प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर मुख्यमंत्री से इस्तीफा मांग चुके हैं। बीजेपी का कहना है कि अब जब खुद पार्टी के भीतर से सवाल उठ रहे हैं, तो सरकार का बचाव करना मुश्किल हो जाएगा। बीजेपी भ्रष्टाचार के इन आरोपों को 2026 की शुरुआत में होने वाले केरल विधानसभा चुनावों में बड़ा मुद्दा बनाने की रणनीति पर काम कर रही है।
केरल में कांग्रेस के लिए बड़ा मौका?
दिलचस्प बात यह है कि बीते लोकसभा चुनावों में कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (UDF) को केरल में बड़ी कामयाबी मिली है। जबकि, सीपीएम की अगुवाई वाला एलडीएफ उससे फिर पिछड़ चुका है। ऐसे में अब जबकि LDF भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरा है और भाजपा उसपर लगातार हमलावर है, कांग्रेस के लिए भी यह एक अवसर हो सकता है।
केरल चुनाव में CPM का क्या होगा
करुवन्नूर बैंक घोटाला, हाईकोर्ट की फटकार और भीतर से उठती असहमति की आवाजें — ये सभी घटनाएं एलडीएफ और विशेषकर सीपीएम के लिए खतरे की घंटी से कम नहीं हैं। मुख्यमंत्री पिनराई विजयन और उनकी सरकार की छवि पर सीधा प्रहार हो रहा है, जिससे पार्टी की चुनावी संभावनाओं को गंभीर नुकसान हो सकता है। यदि विपक्ष इन मुद्दों को प्रभावी ढंग से उठाता रहता है, तो आगामी विधानसभा चुनावों में CPM को इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है।
लोकसभा चुनाव 2024 के आंकड़े
2024 के लोकसभा चुनावों में UDF में अकेले कांग्रेस ने 20 में से 14 सीटें जीतीं और उसे 35.33% वोट मिले। वहीं LDF की अगुवा सत्ताधारी CPM ने मात्र एक सीट जीती और 26.04% वोट हासिल किए। इन चुनावों में बीजेपी ने केरल की चुनावी राजनीति में अपनी धमक दिखाते हुए न सिर्फ एक सीट से पहली बार अपना खाता खोला, बल्कि 16.81% वोट लेकर भविष्य की राजनीति के लिए अपनी गहरी छाप भी छोड़ दी। (पीटीआई इनपुट के साथ)
