June 15, 2025 4:40 pm

दारुल उलूम का बड़ा बयान, कहा- सभी मानवाधिकार संगठन इस समय मूकदर्शक बने हुए हैं

दारुल उलूम देवबंद ने गाजा में जारी हिंसा की कड़ी निंदा करते हुए फिलिस्तीन के समर्थन में एक पत्र जारी किया है. मोहतमिम मौलाना मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने इस नरसंहार को विश्व समुदाय की मौन सहमति बताया है. उन्होंने सभी मुसलमानों से फिलिस्तीन के लोगों के लिए दुआ करने और इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने का आह्वान किया है.

देश में इस्लामिक शिक्षा का सबसे बड़ा केंद्र दारुल उलूम देवबंद खुलकर फिलिस्तीन के समर्थन में आ गया है. दारुल उलूम देवबंद के मोहतमिम (वीसी) मौलाना मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने एक पत्र जारी करके कहा है कि फिलिस्तीन और खासकर गाजा में क्रूरता और बर्बरता की सारी हदें पार हो चुकी हैं.

दारुल उलूम के मोहतमिम का कहना है कि संयुक्त राष्ट्र संघ और सभी मानवाधिकार संगठन इस समय मूकदर्शक बने हुए हैं. गाजा में जंग नहीं एक बड़ा नरसंहार हो रहा है. ये पवित्र सरजमीं फिलिस्तीन इस समय इतिहास के सबसे खराब दौर से गुजर रही है और ऐसे में सभी मुस्लिमों की धार्मिक और नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि वह फिलिस्तीन के बेकसूर लोगों के लिए दुआएं करें साथ ही इसके खिलाफ एकजुट होकर इस जुल्म के खिलाफ एक बड़ी आवाज उठाएं.

दारुल उलूम के महोतमिम पत्र में लिखते हैं कि फिलिस्तीन में बेकसूर महिलाओं, बच्चों और नागरिकों पर लगातार बमबारी की जा रही है. शहर के शहर तबाह हो चुके हैं. ये नरसंहार 21वीं सदी के सबसे विकसित और सभ्य विश्व की आंखों के सामने जारी है, जिसका एक ही लक्ष्य है कि एक राष्ट्र को विश्व के नक्शे से मिटा देना है.

मौलाना अबुल कासिम ने कहा कि फिलिस्तीन की सरजमीं मरघट में तब्दील हो चुकी है. इन हालातों में हम भारतीय मुसलमानों की नैतिक, धार्मिक और मानवीय जिम्मेदारी है कि हम उनके दर्द को महसूस करें और उनके हक में एकजुट होकर दुआएं करें.

अक्टूबर 2023 से हमास की ओर से किए गए हमले और इजराइली लोगों को बंधक बनाए जाने के बाद युद्ध शुरू हुआ था. इजराइल ने जवाबी कार्रवाई करते हुए हमास के ठिकानों को तबाह कर दिया और गाजा पट्टी को खंडहर में तब्दील कर दिया है, जिधर निगाह जाती है उधर सिर्फ और सिर्फ मलवा ही नजर आता है. इस दौरान कई निर्दोष और बच्चों की मौत हुई है.

गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि इजराइली हवाई और जमीनी हमलों में 53,000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. इसमें 18,000 बच्चे और 12,400 से अधिक महिलाएं शामिल हैं. पीड़ितों में चिकित्साकर्मी और पत्रकार भी शामिल हैं. हालांकि, ये चौंका देने वाले आंकड़े भी नुकसान की सीमा को पूरी तरह से नहीं दर्शा सकते हैं.

Khabar 30 Din
Author: Khabar 30 Din

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