June 15, 2025 5:47 am

कनाडा से खटास क्या अब नहीं बची है आस!

  • विश्व पटल पर अकेला पड़ता भारत
  • पिछले वर्षों में भारत को जी-7 बैठकों में विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया जाता रहा है
  • पीएम मोदी को जी-7 शिखर सम्मेलन में शामिल होने का अभी तक औपचारिक बुलावा नहीं आया

नई दिल्ली। कनाडा के अल्बर्टा में आयोजित होने वाले जी-7 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अनुपस्थिति पिछले छह वर्षों में पहली बार होने की संभावना बन रही है। कनाडा ने अभी तक भारत को शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए औपचारिक निमंत्रण नहीं भेजा है। निमंत्रण नहीं मिलने का कारण हाल के वर्षों में भारत—कनाडा के रिश्तों के बीच में आयी खटास को माना जा रहा है।
वहीं इस मुददे पर विपक्ष द्वारा सवाल भी उठाये जाने लगे है और भारत की विदेश नीति की खुलेआम आलोचना भी होने लगी है। सवाल उठ रहे है कि आखिर वैश्विक मंच पर भारत को कैसे इग्नोर किया जा सकता है? सवाल भारत के विश्व गुरू बनने को लेकर भी उठाये जा रहे हैं। विपक्ष इस मुददे को पूरी तरह से पीएम मोदी की विदेश नीति के इर्द—गिर्द बुन रहा है। और सवाल पूछ रहा है कि भारत विश्व पटल पर अकेला क्यों होता जा रहा है।

भारत के लिए संभावित नुकसान

जी-7 जैसे वैश्विक मंच से दूर होने के चलतेभारत की वैश्विक नीति निर्धारण में भागीदारी कम हो सकती है। आर्थिक अवसरों की हानि हो सकती है। जी-7 देशों के साथ व्यापार और निवेश के अवसर सीमित हो सकते हैं। कूटनीतिक प्रभाव में कमी आ सकती है वैश्विक मुद्दों पर भारत की आवाज़ कमजोर पड़ सकती है।

चेतावनी के तौर पर लेना होगा

आर्थिक मामलों के जानकार यशवीर त्यागी कहते हैं कि जी-7 से आमंत्रण न मिलना वैसे तो कोई बड़ी बात नहीं। कनाडा इस सम्मेलन को होस्ट कर रहा है और उसने भारत को नहीं बुलाया। लेकिन भारत के लिए एक चेतावनी है कि उसे अपनी कूटनीतिक रणनीतियों पर पुनर्विचार करना होगा। पड़ोसी देशों के साथ संबंध सुधारना होंगे। वैश्विक मंचों पर सक्रिय भागीदारी और आंतरिक नीतियों में संतुलन बनाना आवश्यक है। भारत को अपनी नेबरहुड फस्र्ट और एक्ट ईस्ट नीतियों को पुन: सशक्त बनाना होगा ताकि वह वैश्विक मंचों पर अपनी प्रभावशीलता बनाए रख सके।

विपक्ष बोला- एक बड़ी कूटनीतिक चूक

कांग्रेस पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जी7 सम्मेलन में संभावित अनुपस्थिति को एक बड़ी कूटनीतिक चूक करार दिया है। पार्टी का मानना है कि इस उच्च-स्तरीय अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की गैर-भागीदारी देश की विदेश नीति और वैश्विक प्रतिष्ठा पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है।

जी-7 के बजाय जी-20 पर अधिक फोकस करेगा भारत

जी-7 की तुलना में जी-20 एक अधिक समावेशी और विविध वैश्विक मंच है जिसमें भारत पहले से ही स्थायी सदस्य है। वर्ष 2023 में भारत ने जी20 की अध्यक्षता की और वह ग्लोबल साउथ की आवाज़ बना। इसलिए भारत जी7 में स्थायी सदस्य बनने पर उतना ज़ोर नहीं डालता सकता जितना वह जी20 और अन्य बहुपक्षीय मंचों को मज़बूत करने पर डाल रहा है। यही नहीं भारत रूस से करीबी रिश्ते बनाए हुए है जबकि जी7 देश रूस के खिलाफ हैं। यूक्रेन युद्ध के मुद्दे पर भारत की स्थिति को लेकर भी असहमति रही है। भारत अब विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और 140 करोड़ से अधिक की आबादी के साथ वैश्विक बाजार में एक अहम खिलाड़ी है।

जी-7 का गठन और उद्देश्य

जी-7 विश्व की सात प्रमुख विकसित अर्थव्यवस्थाओं अमेरिका, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और यूनाइटेड किंगडम—का समूह है। इसका गठन 1975 में वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक मुद्दों पर समन्वय के लिए किया गया था। हाल के वर्षों में जी-7 की बैठकों में भारत की अहम भूमिका रही है और उसे विकासशील देशों की श्रेणी में विशेष आमंत्रित देश के तौर पर बुलाया जाता रहा है। पीएम मोदी ने बड़े की सशक्त तरीके से इन मचों का उपयोग भारत की ब्रांडिंग में किया और विश्व के मानचित्र पर भारत एक सशक्त राष्ट्र के तौर पर उभरा।

स्टूडेंट वीजा पर ट्रंप के नए फैसले से घबराए भारतीय छात्र!

अमेरिका में पढ़ाई करने की योजना बना रहे भारतीय छात्रों के बीच इस वक्त काफी ज्यादा चिंता का माहौल पैदा हो गया है। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने अंतरराष्टï्रीय छात्रों के लिए वीजा स्वीकृत करने से पहले सोशल मीडिया की जांच अनिवार्य कर दिया है। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो के एक इंटरनल केबल में कहा गया है कि वीजा के लिए आवेदन करने वालों को अमेरिका में प्रवेश की अनुमति देने से पहले उनके सोशल मीडिया पोस्ट की जांच की जाएगी। अमेरिकी यूनिवर्सिटी में फलिस्तीनी समर्थकों के विरोध प्रदर्शन के बाद अंतरराष्ट्रीय छात्रों पर व्यापक कार्रवाई के बीच उठाया गया है।

पिछला सम्मेलन इटली में हुआ था भारत भी हुआ था शामिल

हाल के वर्षां में भारत के साथ विश्व के कई मुल्कों के संबध खराब हुए हैं। बंगलादेश, तुर्की, चाइना, और कनाडा प्रमुख हैं। तुर्की ने भारत को दरकिनार करते हुए पाकिस्तान का खुला सपोर्ट किया। वहीं बंगलादेश में हाल के वर्षों में क्या हो रहा है सभी ने देखा। चाइना का हाल किसी से छुपा नहीं है। खालिस्तानी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत की संलिप्तता का आरोप लगाते हुए कनाडा ने भारत के साथ रिश्ते इतने खराब कर लिये कि न्योता तक नहीं दिया। हालांकि भारत को जी7 का स्थायी सदस्य नहीं बनाया गया है। लेकिन उसकी बढ़ती आर्थिक शक्ति और वैश्विक प्रभाव के कारण उसे पिछले कुछ वर्षों में विशेष आमंत्रित देश के रूप में सम्मेलनों में शामिल किया गया है। 2024 में इटली में आयोजित जी7 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने भाग लिया था जहां भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे पर चर्चा हुई थी।

सरकार का कोई बयान नहीं आया

सरकारी स्तर पर अभी तक इस विषय पर कोई भी आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है। हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले यह स्पष्ट किया था कि भारत सभी प्रमुख वैश्विक सम्मेलनों में भाग लेने के लिए प्रतिबद्ध है जो शांति, सुरक्षा और विकास के एजेंडे को बढ़ावा देते हैं।

Khabar 30 Din
Author: Khabar 30 Din

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