नई दिल्ली: कांग्रेस ने गुरुवार (5 जून, 2025) को कहा कि पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 15 सदस्यीय आतंकवाद निरोधक समिति का उपाध्यक्ष और एक अन्य समिति का प्रमुख बनाए जाना ‘बेहद दुर्भाग्यपूर्ण, ग़लत जानकारी पर आधारित और अस्वीकार्य’ है.
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने एक बयान में सरकार से अपील की कि वह भारत और पाकिस्तान को वैश्विक मंचों पर अलग-अलग करके देखने के लिए ठोस कूटनीतिक प्रयास करे. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से भी पाकिस्तान से उपजे आतंकवाद पर भारत के रुख को समझने और उसका समर्थन करने की अपील की.
खरगे ने अपने बयान में कहा, ‘पाकिस्तान आतंकवाद का स्रोत है, भारत आतंकवाद का शिकार है. दोनों की बराबरी नहीं हो सकती, इन्हें एक साथ नहीं जोड़ा जाना चाहिए.’ यह बयान उन्होंने एक्स (पहले ट्विटर) पर साझा किया.
कांग्रेस पार्टी ने इस घटनाक्रम को और पाकिस्तान को मिल रही बहुपक्षीय आर्थिक मदद को भारत की विदेश नीति की विफलता करार दिया.
वैश्विक हित में ज़िम्मेदारी तय हो
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि पाकिस्तान को उसके अपराधों के लिए ज़िम्मेदार ठहराना केवल भारत के लिए नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के हित में ज़रूरी है. उन्होंने याद दिलाया कि अमेरिका में 9/11 आतंकी हमले का मास्टरमाइंड ओसामा बिन लादेन पाकिस्तान में ही मिला और मारा गया. 9/11 का प्रमुख साजिशकर्ता खालिद शेख मोहम्मद भी पाकिस्तानी था.
खरगे ने आगे कहा कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ), एशियन डेवेलपमेंट बैंक (एडीबी) और विश्व बैंक द्वारा पाकिस्तान को दिए गए या दिए जाने वाले आर्थिक पैकेजों से उसकी सेना को अतिरिक्त संसाधन मिलेंगे, जिनका इस्तेमाल वह भारत में आतंक फैलाने के लिए करेगी.
उन्होंने दोहराया, ‘पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आतंकवाद विरोधी समिति का उपाध्यक्ष और 2025 के लिए तालिबान प्रतिबंध समिति का अध्यक्ष बनाए जाना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण, ग़लत जानकारी पर आधारित और अस्वीकार्य है.’
एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में फिर लाना चाहिए
खड़गे ने आतंकवाद को आर्थिक मदद देने वाले देशों की निगरानी करने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था ‘फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स’ (एफएटीएफ) की ग्रे लिस्ट में पाकिस्तान को दोबारा शामिल करने की भी वकालत की.
उन्होंने बताया कि पाकिस्तान को पहले भारत के कूटनीतिक प्रयासों से, तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व में, 2008 और फिर 2012 में ग्रे लिस्ट में डाला गया था. 2018 में तीसरी बार वह इसमें शामिल हुआ था.
पाकिस्तान को मिल रही आर्थिक मदद पर सवाल
कांग्रेस के मीडिया और प्रचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने बताया कि आईएमएफ़ ने 9 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान पाकिस्तान को एक अरब डॉलर की मदद दी, विश्व बैंक ने इसके बाद 40 अरब डॉलर देने का निर्णय लिया और एडीबी ने तीन जून को पाकिस्तान को 800 मिलियन डॉलर दिए.
खेड़ा ने कहा, ‘यह हमारी विदेश नीति की विफलता की दुखद कहानी है, लेकिन वैश्विक समुदाय पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को समर्थन देने की इस निरंतर वैधता को कैसे स्वीकार कर सकता है?’
