नई दिल्ली: गोवा मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (जीएमसीएच) के कैजुअल्टी मेडिकल ऑफिसर (सीएमओ) डॉ. रुद्रेश कुट्टीकर, जिन्हें पिछले सप्ताह राज्य के स्वास्थ्य मंत्री विश्वजीत राणे ने सार्वजनिक रूप से और टेलीविजन पर अपमानित किया था, ने उनकी माफी स्वीकार करने से इनकार कर दिया है.
इससे पहले 9 जून को सुबह राणे ने एक एक्स पोस्ट में माफ़ी मांगते हुए कहा, ‘कल रात प्रूडेंट मीडिया के साथ प्रसारण के दौरान मैंने जीएमसीएच के अपने दौरे के दौरान डॉ. रुद्रेश कुट्टीकर द्वारा कहे गए कठोर शब्दों के लिए खुले तौर पर उनसे दिल से माफ़ी मांगी.’
हालांकि, गोवा 24×7 न्यूज़ चैनल ने बताया है कि डॉ. कुट्टीकर ने मंत्री की माफ़ी को ‘स्टूडियो माफ़ी’ बताकर खारिज कर दिया. डॉ. कुट्टीकर ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर माफ़ी मांगने के बजाय कथित तौर पर मांग की कि राणे अस्पताल में उसी जगह जाएं जहां उन्होंने डॉक्टर को अपमानित किया था और लोगों के सामने उनसे माफ़ी मांगें.
उन्होंने प्रेस से बात करते हुए कहा, ‘हमसे 24 घंटे के भीतर कैजुअल्टी (विभाग) में सार्वजनिक रूप से माफ़ी मांगने की ज़रूरत है.’ उन्होंने कहा कि अगर मंत्री ऐसा करने में विफल रहे, तो डॉक्टर हड़ताल पर चले जाएंगे.
राणे ने माफ़ी मांगते हुए एक्स पर एक लंबी पोस्ट लिखी. उन्होंने कहा, ‘उस पल के आवेश में मेरी भावनाओं ने मेरी अभिव्यक्ति को पीछे छोड़ दिया, और जिस तरह से मैंने स्थिति में बर्ताव किया, उसके लिए मुझे गहरा खेद है.’
उन्होंने कहा, ‘किसी भी चिकित्सा पेशेवर की गरिमा को कम करने या उसका अनादर करने का मेरा कभी इरादा नहीं था.’
ऐसा तब हुआ जब उन्होंने एक्स पर अपनी पिछली पोस्ट में माफी मांगने से इनकार कर दिया था.
7 जून को राणे ने अस्पताल का औचक निरीक्षण किया था. वे वहां निरीक्षण के लिए गए थे, क्योंकि एक मरीज को विटामिन बी-12 इंजेक्शन की जरूरत थी और वह कैजुअल्टी विभाग गया था, लेकिन कथित तौर पर उन्हें मना कर दिया गया था. कैजुअल्टी वार्ड में आमतौर पर आपातकालीन सेवाएं ही होती हैं और अन्य विभाग नियमित सेवाएं देते हैं.
राणे जब कैजुअल्टी वार्ड में घुसे और सीएमओ कुट्टीकर से पूछा कि वे कहां हैं, तो उनके साथ कैमरे भी थे. उन्होंने कुट्टीकर पर हमला करते हुए कहा कि उन्हें अपनी जुबान पर काबू रखना सीखना चाहिए. मंत्री ने डॉक्टर से कहा, ‘जब आप मेरे सामने खड़े हों तो अपने हाथ (जेब से) बाहर रखें और जब मैं आपसे बात कर रहा हूं तो अपना मास्क हटा दें.’ उन्होंने डॉक्टर का मजाक उड़ाते हुए कहा कि एक डॉक्टर को खुद का व्यवहार करना सीखना चाहिए.
जब डॉक्टर ने स्पष्टीकरण देने की कोशिश की तो राणे ने उसे चुप करा दिया. उन्होंने मेडिकल सुपरिंटेंडेंट को आदेश दिया कि कुट्टीकर को तुरंत निलंबित कर दिया जाए.
यह पूरा मामला जल्द ही डॉक्टरों और सरकार के बीच एक बड़े संघर्ष में बदल गया, जिसके बाद 8 जून को गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि कुट्टीकर को निलंबित नहीं किया जाएगा.
हालांकि, मामला यहीं खत्म नहीं हुआ. 8 जून को गोवा एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स (जीएआरडी) ने सरकार को अल्टीमेटम देते हुए कहा कि अगर स्वास्थ्य मंत्री अगले 48 घंटों में माफी नहीं मांगते हैं, तो वे हड़ताल पर चले जाएंगे.
उन्होंने यह भी मांग की कि ‘वीआईपी संस्कृति’ को समाप्त किया जाना चाहिए, विशेष रूप से आपातकालीन विभाग में, जहां उपचार को ट्राइएज (चिकित्सा आवश्यकताओं के अनुसार रोगियों को प्राथमिकता देना) और नैदानिक तात्कालिकता के सिद्धांतों द्वारा निर्धारित किया जाना चाहिए, न कि रोगी की सामाजिक या राजनीतिक स्थिति/संबद्धता द्वारा.
हालांकि, जीएआरडी ने आसन्न हड़ताल के बारे में अपना निर्णय साझा नहीं किया है, कथित तौर पर कुट्टीकर ने मंत्री की माफ़ी को अस्वीकार कर दिया है, लेकिन संभावना है कि डॉक्टर अपनी हड़ताल जारी रखेंगे और नियमित सेवाएं बंद कर देंगे.
इस बीच, आपातकालीन देखभाल जारी रहेगी – जैसा कि डॉक्टरों के किसी भी सामूहिक विरोध प्रदर्शन के मामले में होता है.
