June 22, 2025 11:45 pm

सालों से चल रही लकड़ी तस्करी का बड़ा खुलासा: गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान में पेड़ों की अवैध कटाई, विभागीय मिलीभगत से वन संपदा पर डाका!

रिपोर्ट: अब्दुल सलाम कादरी | लोकेशन: कोरिया जिला, छत्तीसगढ़

गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान के सोनहत पार्क वन परीक्षेत्र में सालों से चल रही पेड़ों की अवैध कटाई अब एक बड़े वन तस्करी नेटवर्क का रूप ले चुकी है। जानकारी के अनुसार, यह अवैध गतिविधि आमा बीट में सक्रिय रूप से संचालित हो रही है, जिसमें खुद वन विभाग के अधिकारी, रेंजर और डिप्टी रेंजर वीरेंद्र सिंह की संदिग्ध भूमिका सामने आ रही है।

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कीमती इमारती लकड़ियों की तस्करी का वर्षों पुराना खेल

सूत्रों की मानें तो बीते कई वर्षों से पार्क क्षेत्र के अंदर मौजूद कीमती पेड़ों को काटकर बैकुंठपुर, बिश्रामपुर और सूरजपुर जैसे इलाकों तक खपाया जा रहा है। बताया जा रहा है कि यह लकड़ी तस्करी किसी आम गिरोह का काम नहीं, बल्कि एक सुनियोजित प्रशासनिक मिलीभगत का हिस्सा है। आरोप है कि विभाग के अफसर अपने निजी ट्रैक्टरों के जरिए इस तस्करी को अंजाम देते हैं और किसी को कानों-कान खबर नहीं होती।

खास बात यह है कि डिप्टी रेंजर वीरेंद्र सिंह पिछले 15 वर्षों से एक ही क्षेत्र में पदस्थ हैं, जो नियमों के पूरी तरह खिलाफ है। ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या लंबे समय से पदस्थापना का फायदा उठाकर इस नेटवर्क को संरक्षित किया जा रहा है?

पार्क क्षेत्र में बिखरे पड़े हैं ठूंठ, गवाह हैं वन हत्याओं के

सिर्फ अनुमान नहीं, जमीनी साक्ष्य भी इस बात की पुष्टि करते हैं। स्थानीय सूत्रों ने बताया कि वन परीक्षेत्र के विभिन्न सर्किल और बीटों में जाके काटे गए पेड़ों के ठूंठों की गिनती की जा सकती है। ये ठूंठ इस अवैध कटाई की खामोश गवाही दे रहे हैं।

एक नहीं, कई घोटालों का गढ़ बन चुका है सोनहत पार्क वन परीक्षेत्र

यह मामला सिर्फ लकड़ी तस्करी तक सीमित नहीं है। सोनहत पार्क वन परीक्षेत्र में पहले भी कई घोटाले सामने आ चुके हैं:

  • वृक्षारोपण घोटाला – पौधारोपण के नाम पर हुए भारी फर्जीवाड़े
  • स्टॉप डैम घोटाला – अधूरे कार्यों के बावजूद निकासी
  • लेंटाना घोटाला – नकली सफाई व झाड़ियों की कटाई में हेराफेरी
  • बिल्डिंग निर्माण घोटाला – विभागीय भवनों के निर्माण में भ्रष्टाचार

लेकिन इन सबसे ऊपर वर्षों से जारी है इमारती लकड़ियों की सुनियोजित तस्करी, जिस पर अब तक किसी भी स्तर पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।

स्थानीयों और जनप्रतिनिधियों ने उठाई निष्पक्ष जांच की मांग

स्थानीय ग्रामीणों, पर्यावरण प्रेमियों और जनप्रतिनिधियों का कहना है कि अब वक्त आ गया है कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष और उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए। लोगों का आरोप है कि अगर इसी तरह सरकारी संरक्षण में जंगलों की अवैध कटाई होती रही, तो आने वाले वर्षों में इस क्षेत्र की जैवविविधता पूरी तरह समाप्त हो जाएगी।

पर्यावरण और वन्य जीवन के लिए खतरा

गौरतलब है कि गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान को टाइगर रिजर्व घोषित किया गया है, और यहां शेर, तेंदुआ, भालू, चिंकारा, बारहसिंगा जैसी कई दुर्लभ प्रजातियाँ निवास करती हैं। यदि पेड़ों की अंधाधुंध कटाई यूं ही जारी रही, तो न केवल वन्य प्राणियों का प्राकृतिक आवास समाप्त होगा, बल्कि पूरे क्षेत्र का इको-सिस्टम खतरे में पड़ जाएगा।


अब सवाल उठते हैं…

  • क्यों 15 सालों से एक ही पद पर जमे हैं डिप्टी रेंजर वीरेंद्र सिंह?
  • किसके संरक्षण में हो रही है ये लकड़ी तस्करी?
  • अब तक कितने पेड़ों की अवैध कटाई हो चुकी है?
  • वन विभाग, पर्यावरण मंत्रालय और प्रशासन कब जागेगा?

अब समय आ गया है कि छत्तीसगढ़ शासन और वन विभाग इस पूरे मामले को गंभीरता से लें। यदि समय रहते कार्रवाई नहीं की गई, तो यह क्षेत्र आने वाले समय में केवल कागज़ों पर टाइगर रिज़र्व बनकर रह जाएगा। साथ ही, उन अफसरों की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए जो वर्षों से इस तस्करी को संरक्षण दे रहे हैं।

Khabar 30 Din
Author: Khabar 30 Din

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