September 8, 2024 5:53 am

लेटेस्ट न्यूज़

पश्चिम यूपी के वो दीप त्यागी, जिनका ‘लाल तिकोन’ दुनियाभर में फैमिली प्लानिंग का सिंबल, परिवार नियोजन के नारों से लेकर तमाम अभियान उनकी दिमाग की उपज

हाइलाइट्स

दीप त्यागी बिजनौर के रतनगढ़ गांव के रहने वाले थे, उन्होंने परिवार नियोजन के क्षेत्र में समय से आगे का काम किया
गांव में रहने के नाते जानते थे कि कैसे कोई बात गांववालों को बताई जाए कि कम से कम वो एक बार सोचें तो सही
अब उनके नाम पर दुनिया के कई देशों में एक इंटरनेशनल गैर सरकारी संगठन काम कर रहा है

क्या आपने कभी पश्चिमी उत्तर प्रदेश के दीप त्यागी का नाम सुना, जिन्होंने 50 और 60 के दशक में अपने नारों, प्लानिंग और सिंबल से देशभर में परिवार नियोजन को लेकर एक खास जागरूकता पैदा की थी. उन्होंने तब फैमिली प्लानिंग को लेकर लाल रंग का जो उल्टा त्रिभुज बनाया, वो अब दुनियाभर में इसका प्रतीक बन चुका है. इतने साल गुजर चुके हैं कि इस विलक्षण शख्सियत को शायद ही लोग जानते हों, खुद वेस्ट यूपी में भी लोग इस शानदार शख्सियत से अनजान होंगे.

दीप त्यागी का असल नाम धर्मेंद्र कुमार त्यागी था लेकिन उन्हें दीप त्यागी और डीके त्यागी के नाम से जाना जाता था. वह परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत जनसंख्या विभाग में अफसर थे लेकिन गजब की ऊर्जा और दिमागी प्रखरता वाले. उन्होंने 50 और 60 के दशक में जनसंख्या नियंत्रण के लिए जो नारे गढ़े, जो सिंबल बनाया, वो आज भी लोकप्रिय है.

बिजनौर भी शायद अब उन्हें जानता हो
बिजनौर के लोग भी शायद ही जानते हों कि उनके जिले का एक शख्स ऐसा भी था, जिसने 50 के दशक में लाल रंग का उल्टा त्रिभुज बनाया और ये धीरे धीरे पूरी दुनिया में इस कदर लोकप्रिय हुआ कि अंतरराष्ट्रीय सतर पर इसे फैमिली प्लानिंग का प्रतीक माना जाता है. उल्टा लाल त्रिभुज का सिंबल दिखते ही ये जाहिर हो जाता है कि बात परिवार नियोजन की हो रही है.

उनके नाम पर काम करती है एक अंतरराष्ट्रीय संस्था
बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि उनके नाम से एक संस्था अब भी काम कर रही है और अफ्रीकी देशों में लोग इसे ज्यादा जानते हैं, इसका नाम डीके इंटरनेशनल है. डीके इंटरनेशनल की वेबसाइट अपने बारे में बताती है कि इस संस्था का नाम डीके (दीप) त्यागी के नाम पर रखा गया है, जो भारत सरकार के फैमिली प्लानिंग विभाग में अस्सिटेंट कमिश्नर थे. कहा जा सकता है कि देश अगर बाद के दशकों में परिवार नियोजन या छोटे परिवार को लेकर जागरूक हो पाया तो उसके पीछे काफी हद तक योगदान दीप त्यागी का था.

कई देशों में बढ़िया काम कर रही है ये
डीकेटी इंटरनेशनल एक पंजीकृत, गैर-लाभकारी संगठन है जिसकी स्थापना 1989 में परिवार नियोजन, एचआईवी/एड्स की रोकथाम और सुरक्षित गर्भपात की सबसे बड़ी जरूरतों वाले कुछ सबसे बड़े देशों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए की गई थी, जिसमें ज्यादातर एशियाई, अफ्रीकी और लातीनी देश हैं. कहना नहीं होगा, इस संस्था ने दुनिया के कई देशों में बेहतरीन काम किया है और पहचान बनाई है.

परिवार नियोजन का लाल तिकोन, जिसको दीप त्यागी ने बनाया था.

डीकेटी दुनिया में परिवार नियोजन उत्पादों के सबसे बड़े निजी प्रदाताओं में है. ये बात इसी से जाहिर है कि दुनिया के 10 सबसे बड़े गर्भनिरोधक सामाजिक विपणन कार्यक्रमों में 05 डीकेटी कार्यक्रम हैं. 2022 तक, DKT के 28 देशों में कार्यालय हैं और 90 देशों में इसकी बिक्री मौजूद है.

आजादी के बाद जनसंख्या सबसे बड़ी चुनौतियों में थी
वरिष्ठ पत्रकार और लेखक सुदीप ठाकुर की किताब “दस साल” में उनके ऊपर भी खासी जानकारी दी गई है. किताब कहती है, आजादी मिलने के बाद सरकार और नीति नियंताओं को अहसास हो गया था कि आने वाले समय में बढ़ती आबादी बड़ी चुनौती साबित होने वाली है. फोर्ड फाउंडेशन और रॉकफेलर फाउंडेशन जैसी संस्थाएं सरकार को ना केवल परिवार नियोजन कार्यक्रम में तेजी लाने के सुझाव दे रही थीं बल्कि नए तरीके भी सुझा रही थीं.

हाथी करता था रोचक नारों के साथ परिवार नियोजन का प्रचार
इस फोर्ड फाउंडेशन ने लोगों को जागरूक करने के लिए एक अनूठा तरीका निकाला. उसने इसके प्रचार के लिए एक हाथी का इस्तेमाल किया और उसे नाम दिया – लाल तिकोन. हाथी की पीठ पर बड़ा सा बैनर लटका होता था, जिस पर रोचक नारे लिखे होते थे, बस दो से तीन बच्चे, होते हैं घर में अच्छे, हर बच्चा तीन साल बाद, दो या तीन बस, मेरा नाम है लाल तिकोन, मेरा काम है खुशियां फैलाना आदि. इस हाथी को गांव गांव घुमाया जाता था और वो अपनी सूंड से लोगों को परिवार नियोजन के लिए प्रति जागरुकता फैलाने वाले पैम्फलेट और निरोध बांटता आगे बढ़ता जाता था. लाल तिकोन परिवार नियोजन का प्रतीक बन गया.

ये सबकुछ दीप त्यागी के दिमाग की उपज थी
बातचीत में सुदीप ठाकुर ने बताया, ” इस पूरे अभियान, नारों, प्रचार, लाल तिकोन सिंबल के पीछे असली दिमाग दीप त्यागी का ही था. वह युवा सहायक जनंसख्या आयुक्त थे. खासे जोशीले और ऊर्जा से भरपूर. उन्होंने जो नारे गढ़े और जिस तरह से परिवार नियोजन के लिए जागरुकता पैदा करने वाले अभियानों की योजना बनाई, उससे नेहरू सरकार की हेल्थ मिनिस्टर राजकुमारी अमृत कौर पर उनसे खासी प्रभावित हुईं. नेहरू ने उनकी तारीफ की.”

गांव में रहने के नाते एक गैप को उन्होंने पाटा
इसके बाद उन्होने लाल बहादुर शास्त्री और इंदिरा गांधी की सरकारों के शुरुआती बरसों में दीप त्यागी ने परिवार नियोजन के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए जनसंचार की कई तकनीक ईजाद की. उन्हें दीप त्यागी के नाम से जाना जाता था. वह इसी नाम से इतिहास में दर्ज हो गए.

वह गांव के रहने वाले थे. उन्होंने महसूस किया कि भारत सरकार के परिवार नियोजन कार्यक्रम के लक्ष्य और ग्रामीण भारत की परंपराओं में जमीन-आसमान का अंतर था. लिहाजा उन्हें ये श्रेय दिया जाना चाहिए कि उन्होंने इस गैप को पाटने का काम जरूर किया और गांव के निकलकर भारत सरकार में बड़े पद तक पहुंचने के बीच ये महसूस भी किया कि इस योजना को कैसे गांव तक असरदार तरीके से ले जाया जाए.

कोई संतान नहीं और 41 साल की उम्र में निधन
ये दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि वर्ष 1969 में महज 41 साल की उम्र में उनका निधन हो गया लेकिन उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता. नियति की क्रूरता देखिए कि जिस शख्स ने परिवार नियोजन कार्यक्रम में अमूल्य योगदान दिया, उनके खुद के कोई बच्चा नहीं था. उनका जन्म बिजनौर के रतनगढ़ गांव में 1928 में हुआ था. उनकी मृत्यु कैंसर से हुई.

Tags: Family, Family planning, West UP

Source link

Khabar 30 Din
Author: Khabar 30 Din

Leave a Comment

Advertisement
  • AI Tools Indexer
  • Market Mystique
  • Buzz4ai