अब्दुल सलाम क़ादरी
रायपुर-छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान उत्पन्न हो रहा है इसका कारण महज एक है कि अपीलार्थियों द्वारा जानकारी जन सूचना अधिकारी से नही मिलने के कारण प्रथम अपील धारा 19(1) के तहत करने पर अपील का निर्णय यह कहकर खारिज किया जा रहा है कि कैशबुक और प्रमाणको में मजदूरों का खाता न0 अंकित रहता है जिससे वह गोपनीय और तृतीय पक्ष की जानकारी होने से धारा 8 और 11 के उपधाराओं हवाला देकर खारिज किया जाता है।
यही कार्य अब राज्य सूचना आयोग भी कर रहा है एक तो समय सीमा में आयोग कोई कार्यवाही नही करता है और प्रकरण को बाद में नस्तीबद्ध करते हुए आदेश पारित करता है कि आपके द्वारा मांगी गई जानकारी तृतीय पक्ष से सम्बंधित होने के नाते प्रथम अपीलीय अधिकारी द्वारा दिये गए निर्णय के आधार पर अपीलार्थी द्वारा मांगी गई जानकारी में तृतीय पक्ष श्रमिकों का खाता न0 इत्यादि अंकित रहने से जानकारी नही दी जा सकती है अतः प्रकरण नस्तीबद्ध की जाती है?
यहाँ पर कई अपीलार्थीयों ने हमे बताया कि आयोग और जन सूचना अधिकारी की मिलीभगत के कारण वन विभाग से मांगी जाने वाली लगभग सभी प्रकरण खारिज किया जा रहा है जो जांच का विषय है?
आयोग अपने कई निर्णयों में कह चुका है कि यदि किसी श्रमिकों का व्यक्तिगत खाता न0 अंकित हो तो खाते को छुपाकर जानकारी प्रदान करना है ?
पर देखने वाली बात यह है कि ऐसा राजयसूचना नही कर रहा है यहां तक कि शिकायत प्रकरण को भी बिना तर्क के बिना जांच किये ही खारिज कर रहा है?
इस सम्बंध में छत्तीसगढ़ के दर्जनों अपीलार्थीयों ने राजयसूचना आयोग के खिलाफ राज्यपाल और राष्ट्रपति कार्यालय को शिकायत भेजी जा रही है।