नई दिल्ली: लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने बुधवार (9 जुलाई) को पटना में चुनाव आयोग के दफ्तर तक महागठबंधन के मार्च का नेतृत्व किया. यह मार्च बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची में हो रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के खिलाफ विरोध दर्ज कराने के लिए निकाला गया.
राहुल गांधी के साथ राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव, भाकपा-माले के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य, भाकपा के महासचिव डी. राजा और अन्य विपक्षी दलों के वरिष्ठ नेता भी मौजूद थे.

‘वोटबंदी के खिलाफ बिहार की दहाड़’ का नारा लगाते हुए विपक्षी नेताओं ने इनकम टैक्स गोलंबर से चुनाव आयोग कार्यालय तक वाहन पर सवार होकर मार्च किया.
राज्यभर में विपक्षी नेताओं द्वारा बिहार बंद के आह्वान पर रेल और सड़क यातायात प्रभावित रहा. पार्टी कार्यकर्ताओं ने सड़कों पर उतरकर टायर भी जलाए.
राहुल गांधी ने संविधान की छोटी प्रति हाथ में लेकर प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए कहा, ‘हम बिहार आए हैं, जहां संविधान के लिए लोग शहीद हुए थे. हमारे संविधान में लिखा है कि भारत के हर नागरिक को वोट देने का अधिकार है.’
उन्होंने आरोप लगाया, ‘मैं देश और बिहार के लोगों को बताना चाहता हूं कि जैसे महाराष्ट्र का चुनाव चुराया गया, उसी तरह बिहार का चुनाव चुराने की कोशिश हो रही है. उन्हें समझ आ गया है कि हमने महाराष्ट्र मॉडल समझ लिया है, इसलिए अब ये बिहार मॉडल लेकर आए हैं. यह गरीबों के वोट छीनने की साज़िश है, लेकिन इन्हें नहीं पता कि यह बिहार है.. और बिहार के लोग ऐसा नहीं होने देंगे.’
चुनाव आयोग पर भाजपा के इशारे पर काम करने का आरोप
राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया.
उन्होंने कहा, ‘चुनाव आयोग भूल गया है कि वह किसी पार्टी का नहीं, भारत का चुनाव आयोग है. उसका काम संविधान की रक्षा करना है. मैं साफ संदेश देना चाहता हूं कि आप चाहे जो कर लें, लेकिन कानून बाद में आप पर भी लागू होगा. चाहे आप कितने भी बड़े क्यों न हों या कहां बैठे हों, कानून आपको नहीं छोड़ेगा.’
उन्होंने कहा, ‘चुनाव आयोग का काम भाजपा के लिए काम करना नहीं, बल्कि संविधान की रक्षा करना है. लेकिन वे अपना काम नहीं कर रहे हैं.’
राजद नेता तेजस्वी यादव ने भाजपा और नीतीश कुमार की सरकार के ‘गोदी आयोग’ (चुनाव आयोग) के खिलाफ ‘क्रांति’ का आह्वान किया. उन्होंने कहा, ‘आरएसएस-भाजपा-नीतीश सरकार की तानाशाही नहीं चलेगी. लोकतंत्र को बिहार से, लोकतंत्र की जननी से, खत्म नहीं होने देंगे.’
बिहार के पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने भी बिहार बंद को समर्थन देते हुए सचिवालय हॉल्ट रेलवे स्टेशन पर प्रदर्शन किया. उन्होंने कहा, ‘हम चुनाव आयोग को नहीं छोड़ेंगे. इन्होंने देश के गरीबों की ज़िंदगी बर्बाद कर दी है.’

भाजपा का पलटवार
इस बीच, भाजपा ने महागठबंधन पर वास्तविक मुद्दों की कमी होने के कारण अराजकता फैलाने का आरोप लगाया.
भाजपा नेता शाहनवाज़ हुसैन ने पीटीआई से बातचीत के दौरान कहा, ‘बिहार में इंडिया गठबंधन के पास कोई असली मुद्दा नहीं है. उनके पास एनडीए सरकार या नीतीश कुमार के शासन के खिलाफ कोई ठोस आलोचना नहीं है. देश और बिहार दोनों हीं अच्छी प्रगति कर रहे हैं. असली एजेंडा न होने की वजह से अब उन्होंने सॉफ्ट टारगेट चुनाव आयोग को निशाना बनाना शुरू कर दिया है. जनता उन्हें समर्थन नहीं दे रही, इसलिए उनकी पार्टी के कार्यकर्ता ही बिहार बंद के नाम पर गुंडागर्दी कर रहे हैं.’
चुनाव आयोग का पक्ष
चुनाव आयोग का तर्क है कि एसआईआर का उद्देश्य ‘अवैध प्रवासियों’ और बिहार के अस्थायी निवासियों की पहचान करना है.
आयोग ने स्पष्ट किया है कि अब वोटर बनने के लिए केवल आधार, वोटर कार्ड या राशन कार्ड ही नहीं, बल्कि अतिरिक्त दस्तावेज़ जैसे अपना और अपने माता पिता का जन्म प्रमाणपत्र, मैट्रिक सर्टिफिकेट, ज़मीन या संपत्ति से जुड़े दस्तावेज भी दिखाने होंगे.
हालांकि, मीडिया रिपोर्ट्स से ये बातें सामने आ रही हैं कि बिहार जैसे राज्य में, जहां साक्षरता दर कम है, स्कूल छोड़ने की दर ज्यादा है और बिना जमीन आदि के गरीब आबादी की संख्या अधिक है, वहां यह प्रक्रिया वोटर लिस्ट की खामियां दूर करने के बजाय और समस्याएं खड़ी कर सकती है.
