अब्दुल सलाम क़ादरी-एडिटर इन चीफ
घोटालों का बादशाह माफ कीजिएगा घोटालों में महा घोटाला वह भी CR गोपनीय प्रतिवेदन लिखने में धन-उगाही (घोटाला) करना एक कला के रूप में सामने आया है, जिसे अंजाम दिया जाता रहा है CCF श्री जे.आर.नायक के द्वारा, चाहें वे ACF रहें हों या DFO या CCF, इन्हें CR गोपनीय प्रतिवेदन में कैसे भ्रष्टाचार करना है, कैसे कर्मचारियों के जीवन/नौकरी से खेलना है, इन्हें बखूबी आता हैं।

सीआर बिगाड़ने में माहिर
हमारे हिसाब से इन्हें वन अनुसंधान संस्थान रायपुर में ट्रेनिंग के लिए भेजा जाना चाहिए, क्योंकि इनके CR गोपनीय प्रतिवेदन लिखने के कला की जानकारी अन्य IFS को भी ज्ञानवर्धक के रूप में देना चाहिए।
इन्हें वहां भेजकर कैसे CR गोपनीय प्रतिवेदन लिखने से कैसे धन-उगाही की जाती है इसकी ट्रेनिंग की बात हम नही कहतें हैं हम सोंचतें हैं कि इनकी इस कला का पॉजिटिव साइड लेना है जैसे CR के लिखने के दम पे वन कर्मचारियों अधिकारियों को शासकीय कार्यो में मन लगवा कर कैसे काम लिया जा सकता है, नेता-गिरी, राजनीतिक हस्तक्षेप कराने वाले एवं कामचोर या शराबी टाईप के लोगो को CR (गोपनीय प्रतिवेदन लिखने) की ताकत से कैसे सुधारा जाए इस कार्य में इनसे काम लिया जाए।
वैसे भी जे. आर. नायक की सेवावधि साल भर बची है ऐसे होन हार ट्रेनर के रहते सीदे-सादे अतुल शुक्ला जी को वन अनुसंधान में अनावश्यक बिठाया गया है।
हमारा मानना है कि शासन को तत्काल श्री नायक को प्लीज़ के अंदाज में एक अनुरोध पत्र भेजना चाहिए कि हम आपको वन अनुसंधान संस्थान में प्रभारी PCCF बना रहें हैं आप कृपया हमारे इस अनुरोध को स्वीकार कर अनुग्रहित करें, इस पर भी बात न बने तो नायक जी के खास वनमंत्री जी को “आउट ऑफ वे” जाकर उन्हें 2 वर्ष का सेवावृद्धि दे देना चाहिए पर किसी भी कीमत में ऐसे होनहार CCF नायक जी को रखना चाहिए।
श्री नायक ने CCF कांकेर रहते CR (गोपनीय प्रतिवेदन) घोटाले में रेंजर्स, ACF/SDO को नापा तो नापा अपने IFS बिरादरी को भी नही बक्शा
खबर यह है कि श्री नायक के द्वारा CCF कांकेर रहते भी अपने आदतानुसार CR लिखने में ऐसी कमाल दिखाई की मत पूछों. कांकेर वन वृत के 37 ऐसे अधिकारी कर्मचारियों के CR बिगाड़ी की मत पूछिए.
भूरी बिच्छी के डंक में जितना दर्द होता है ठीक उसी तरह इनके CR बिगाड़ने से त्रस्त लोग आज भी कराह नही पा रहें हैं इनमें से अधिकांश तो आज भी तकलीफ़ में गुजारा कर रहें हैं कुछ तो भगवान की मर्जी सोंच के बैठें हैं, कुछ श्रॉप देकर ही दिल को तसल्ली दे रहें हैं, कुछ तो उनसे मिलकर अपना काम बना लिए हैं।
एक बात समझ से परे होती है कि इनके ऊपर के अधिकारियों का इनपर कोई पकड़ नही होती क्या ?
वनमंत्री से लेकर उच्चाधिकारियों के द्वारा जब इनके CR लिखतें हैं और जब इन्हें “बहुत अच्छा या क+” दिया जाता है तब ये इनके अधीनस्थों के कार्यो के मूल्यांकन के आधार पर CR क्यों नही देते, क्योंकि हमारा मानना है कि जब एक CCF अपने वन वृत में 5 से 6 DFO, 18 से 24 SDO, 35 से 50 रेंजर्स के CR लिखता है और उनमें से अधिकांश को खराब की श्रेणी में रखता है साथ ही विशेष टिप्पणी के साथ जिससे ऊपर के अधिकारी भी उनके दिए CR को न सुधार पाए. ऐसे में ऊपर के अधिकारी खुद CCF या DFO के दिए CR का स्व-संज्ञान लेना चाहिए कि नायक या अन्य द्वारा अपने वन वृत या वनमंडल के अधिकांश लोगों को ख,ग,घ CR दिया गया है तो ऐसे में इनके वन वृत या वनमंडल में जो काम हुवें है वो कैसे हो गया. या इतने लोग खराब थे तो इतने अच्छे कार्य किसने कराया क्या CCF या DFO ने स्वंय फील्ड में जाकर कराए. जब उच्चाधिकारियों के द्वारा ऐसे क्रॉस चेक करके CCF या DFO के द्वारा अपने अधीनस्थों को दिए CR की पड़ताल करके CCF और DFO को CR देंगे तब ऐसे अधिकारियों पर लगाम लगेगा, नही तो बस राम भरोसे वन विभाग जैसा चल रहा है वैसे चलने दिया जाए।

हम ये इसलिए कह रहे हैं कि वर्तमान में PCCF एवं वन बल प्रमुख श्री संजय शुक्ला जी जैसे अपनी छवि दिखा रहें हैं जैसे वे नियम के पक्के, लैण्डलॉयड होने कारण ईमानदार छवि, कड़क प्रशासन इत्यादि को देखते हुवे हमारा उनसे अनुरोध है कि श्री नायक के IFS एवॉर्ड के बाद से जितने CR लिखे गए और बाद में कितने CR को सुधारा गया, विशेष टिप्पणी को क्यों नही सुधरा जाता रहा, इन सब के लिए 4 APCCF स्तर की एक जांच कमेटी बनाए और नायक के CR से प्रताड़ित लोगो को अपने ईमानदारी का सबूत पेश करे, बाकी संजय शुक्ला साहब की मर्जी, हमने तो प्रताड़ितों के दिल की बात आमजान सहित, छत्तीसगढ़ शासन वन विभाग के मुखिया माननीय वनमंत्री, वन प्रशासन के मुखिया प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख श्री संजय शुक्ला, तक खबर को आदर पूर्वक पहुचां दी बाकी दोषी के नकेल कसने है या मौका ये इनकी मर्जी।