खबर 30 दिन-पत्रिका
कोरिया /मनेन्द्रगढ़ परिक्षेत्र में हुए करोड़ो के गोलमाल की दर्जनों शिकायतों के बाद भी जांच नही हुई।वन विभाग के लिए ये कोई नई बात नही है कि, शिकायत होते ही तुरन्त जांच हो जाये।खैर…प्रभारी परिक्षेत्र अधिकारी के द्वारा विगत आठ वर्षों से एक ही परिक्षेत्र में रहकर करोड़ों का भ्रष्ट्राचार की फ़ेहरिस्त लंबी है। पर न जाने ऐसा कौन सा जादू है जिससे मनेन्द्रगढ़ वन मण्डल के लगभग डीएफओ भी प्रभारी रेन्जर के मुरीद हो जाते है।मनेन्द्रगढ़ वनमण्डल में आठ वर्षों के दौरान कई वनमंडलाधिकारीयों की पदस्थापना हुई और स्थान्तरित भी हुए पर प्रभारी रेन्जर आज भी उसी कुर्सी पर बैठ कर अपने मनमाफिक तरीक़े से रेंजरी झाड़ रहे हैं।
मनेन्द्रगढ़ वनमंडल में हुए करोड़ो के लेंटाना उन्मूलन कार्य महज कागजो तक ही सीमित है।
आज भी जंगल के भीतर लेंटाना भारी तादात में देखे जा सकते है, वन परिक्षेत्र मनेन्द्रगढ़ में करीब 10, 11 करोड़ की राशि, सिर्फ लेंटाना उन्मूलन में खर्च किया गया है, जिसकी हकीकत आज भी जंगलो में जड़ जमाये भारी तादात में लेंटाना के पौधे अपने मौजदूगी का सबूत दे रहे हैं।पर वर्तमान वनमंडलाधिकारी महोदय को शायद यह सब नजर नही आता।

प्रभारी रेन्जर हीरालाल सेन के साथ कदमताल करते डीएफओ लोकनाथ पटेल एक करोड़ के लागत से निर्मित अर्दन डैम को पर्दे में रख लोकार्पण भी करा दिए।अर्दन डैम में की गई अमियमित्ता आज किसी से छिपी नही है।
हमने भौता में बने अर्दन डेम निर्माण की समस्त जानकारी सूचना का अधिकार के तहत मांगी है जिसमे डीएफओ ने कहा है कि यह सृजनात्मक पृवत्ति की जानकारी नही दी जा सकती? हमने प्रथम अपील किया है उसके बाद हाईकोर्ट में मामला लगा दिया जाएगा
पूर्व में मनरेगा से निर्मित तालाब के बह जाने के बाद उसी स्थान पर अर्दन डैम का निर्माण किया जाना कितना सही है यह तो डीएफओ साहब अपने कार्यकाल में बैठकर ड्रोन कैमरे से देखकर ही बता पाएंगे।क्योकि जब अख़बारों और डिजिटल मीडिया के मार्फ़त अर्दन डैम की सच्चाई सबके सामने आयी तो प्रभारी रेन्जर और उनके साथ कदमताल करते वनमंडलाधिकारी ने मिलकर, उच्च अधिकारियों के सामने अपनी धूमिल छवि को चमकाने ड्रोन कैमरे का सहारा लिया। कहते है कि एक झूठ को छुपाने कई झूठ बोलना पड़ता है, और हुआ भी कुछ ऐसा ही,ड्रोन से हुये कवरेज पर डीएफओ साहब यह भूल गए कि अर्दन डैम के वर्चुअल लोकार्पण के दौरान मुख्यमंत्री को डैम की लागत राशि क्या बताए थे,और अब ड्रोन वाले कवरेज में क्या बता रहे है।सर्वविदित है कि किसी भी निर्माण कार्य पूर्ण होने पर ही लोकर्पण किया जाता था। हम जिस अर्दन डैम की बात कर रहे उसका लोकार्पण बरसात शुरू होने के बाद और बारिस के दौरान संपन्न हुआ था।तब तक डैम की कुल लागत 65 लाख ही था।अब आप सहज ही अंदाजा लगा सकते हैं कि बरसात के दिनों में डैम में जल का भराव होगा, फिर पांच महीने बाद अचानक उसी डैम की लागत राशि में 33 लाख अतिरिक्त बढकर 1 करोड़ कैसे पहुंच गया? ये सब जानकारी अर्दन डैम के नजदीक बने सूचना पटल पर नही लिखा है, इसे तो ड्रोन कैमरे का कमाल ही कह सकते है की जिस अर्दन डैम की झूठ को छुपाने ड्रोन कैमरे की मदद ली जा रही थी उसी ड्रोन ने डैम की कुल लागत राशि को डीएफओ साहब के हलक से बाहर निकाल दिया।यही नही जिस वन भूमि में अर्दन डैम का निर्माण कराया गया है उसी स्थान पर आज भी बड़ी मात्रा में लेंटाना के पौधे मौजूद है यह शायद डीएफओ साहब को अब तक नजर नही आया।काश वर्चुअल लोकार्पण के समय कैमरे की नजर डैम की ऊपरी हिस्से की तरफ़ पड़ती तो वनमंत्री महोदय भी लेंटाना के साक्षात दर्शन कर पाते।
- दिसम्बर में हो जायेंगे सेवानिवृत्त,,फिर कब होगी जांच??
आठ वर्षों से लगातार भ्रष्ट्राचार के रंग में रंगे प्रभारी रेन्जर हीरालाल सेन का अब सेवानिवृत्त का समय करीब है इसी माह दिसबंर में वे रिटायरमेंट होंगे। पर क्या उनके कारगुजारियों से उच्च अधिकारी अभी तक अनजान है, जो आज पर्यन्त तक उनके कार्यो की जांच नही हो सकी,जबकि यह भी एक सच्चाई है कि,मनेन्द्रगढ़ वनमण्डल में तब के तत्कालीन वनमण्डलाधिकारी ने प्रभारी रेजर के कार्यों से नाखुश हो उनके गोपनीय चरित्रावली में बिना किसी लोभ मोह के सच्चाई लिख दी,जिस कारण हीरालाल सेन की पदोन्नति नही हो सकी जिससे उनके रेन्जर बनने की चाह आज तक अधुरी ही है।बावजूद लम्बे घोटालेबाजों की सूची में सुमार प्रभारी रेन्जर हीरालाल सेन की कृत्यों की जांच नही होना उनके पहुँच का नतीजा हो सकता है, जिस कारण विभागीय उच्च अधिकारी भी हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं ।
नवा बल प्रमुख से है जांच और कार्यवाही की उम्मीद
छत्तीसगढ़ में लंबे वक़्त के बाद वन विभाग में नए बल प्रमुख की ताजपोशी हुई है। सूत्र बताते हैं कि संजय शुक्ला के वन बल प्रमुख बनते ही विभाग में भ्रष्ट्राचार में लिप्त अधिकारी सकते में है। तेज तर्रार और स्वच्छ छवि के नए वन बल प्रमुख द्वारा अभी हाल में ही कटघोरा वन मण्डल में एक भ्रष्ट्राचारी रेन्जर पर कार्रवाई करते हुए निलंबित कर दिया गया है। अब देखना यह है कि मनेन्द्रगढ़ वन परिक्षेत्र के प्रभारी रेन्जर जो इसी माह दिसम्बर में सेवानिवृत्त होंगे उनके द्वारा कराये गए कार्यों की जांच और कार्रवाई उनके सेवानिवृत्त से पहले हो पाता है या नही।