कत्ल के मामले एक मुलजिम पिछले आठ साल से जेल में सजा काट रहा था. कुछ दिन पहले उसे पेरोल मिली और वो जेल से बाहर आ गया. लेकिन यही बात उसके लिए जानलेवा बन गई. दरअसल, कोई आठ साल से उसके जेल से बाहर आने का इंतजार कर रहा था.
जैसे ही वो जेल से बाहर आया, वैसे ही कनाडा से किसी के पास एक कॉल आई और फिर जो हुआ उसने सबको सकते में डाल दिया.
ग्वालियर के डबरा का रहने वाला जसवंत सिंह गिल अपने घर के बाहर टहल रहा था. रास्ते में उन्हें अपने जानने वाले दो-तीन लोग मिले, जिनसे बातचीत की शुरुआत हो गई. लेकिन अभी चंद सेकंड्स गुजरे ही थे कि कुछ ऐसा हो गया, जो कोई सोच भी नहीं सकता था. जसंवत सिंह गिल को निशाना बना कर बाइक पर आए बदमाशों ने ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी. पहली गोली लगते ही जसवंत सिंह ने मुड़ कर भागने की कोशिश की, लेकिन मुंह के बल नीचे गिरा और वहीं ढेर हो गया. क़ातिल इस पर भी नहीं रुके. उन्होंने जमीन पर गिरे जसवंत सिंह को इसके बाद कुछेक और गोलियां मारी और फिर बाइक पर बैठ कर भाग निकले.
क्या आप अंदाज़ा लगा सकते हैं, इस हमले और क़त्ल में कितनी देर लगी? जवाब है- महज़ 37 सेकंड. जी हां, महज 37 सेकंड में ही बाइक पर आए शूटर्स ने जसवंत सिंह को निशाना बनाया, उसकी जान ली और फरार हो गए. अब पुलिस मौके पर पहुंच चुकी थी. जसंवत की लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवाने के साथ ही मामले की जांच शुरू कर दी गई. पता चला कि जसवंत सिंह गिल क़त्ल के एक मामले में सजायाफ्ता मुजरिम है और इन दिनों पेरोल पर बाहर निकला है. उसे अदालत ने करीब आठ साल पहले कत्ल के मामले में ताउम्र कैद यानी आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.
अब पुलिस ये सोचने लगी कि कहीं इस मर्डर का ताल्लुक ग्वालियर जेल से तो नहीं है. कहीं ऐसा तो नहीं कि जेल में किसी के साथ उसकी कोई दुश्मनी हुई हो, जिसने जेल से बाहर उसका क़त्ल करवा दिया. इत्तेफाक से क़त्ल की ये पूरी वारदात सीसीटीवी कैमरे में साफ-साफ कैद हो गई थी. यहां तक शूटरों के कपड़े-चेहरे वगैरह भी साफ-साफ नजर आ रहे थे. ऐसे में पुलिस ने शूटरों की पहचान करने के साथ ही मामले की तफ्तीश आगे बढ़ाने का फैसला किया.
इसके लिए पुलिस ने अलग-अलग सैकड़ों सीसीटीवी कैमरों की स्कैनिंग चालू की. पुलिस उस रूट के सारे सीसीटीवी कैमरे खंगाल रही थी, जिस रूट से ये शूटर बाइक पर सवार हो कर यहां पहुंचे थे. साथ उस रूट का भी पता कर रही थी, वारदात को अंजाम देने के बाद शूटर्स जिस रूट से फरार हुए थे. पुलिस ने शूटरों की तस्वीर अपने मुखबिरों को भी दिखाई, ताकि उनकी पहचान साफ हो सके. लेकिन मुखबिरों ने उन्हें जानने से मना कर दिया. यानी ये बात तकरीबन साफ हो गई कि शूटर कहीं बाहर से आए थे.
अब पुलिस ने ग्वालियर के अलग-अलग इलाकों में मौजूद होटलों में इन शूटरों के बारे में जानकारी जुटाने का फैसला किया. शूटरों के आने वाले रूट का एक सिरा कुछ होटलों की तरफ भी जाता था. इस कोशिश में पुलिस को पता चला कि ऐसे ही दो लोग ग्वालियर के ही टेकनपुर इलाके में मौजूद एक होटल में ठहरे थे. अब पुलिस टेकनपुर के उस होटल में पहुंची. पुलिस के पास पहले ही मौका-ए-वारदात का सीसीटीवी फुटेज मौजूद था. अब पुलिस ने जब होटल में कैद सीसीटीवी फुटेज से मौका-ए-वारदात के सीसीटीवी फुटेज का मिलान करवाया, तो ये बात साफ हो गई कि शूटर कहीं और नहीं बल्कि टेकनपुर के उसी होटल में ठहरे थे.
पुलिस को पता ये भी चला कि शूटर्स ने सुबह ही होटल में चेक इन किया था, लेकिन वारदात को अंजाम देने के बाद वो होटल वापस नहीं लौटे बल्कि सीधे फरार हो गए. यहां तक होटल में उन्होंने अपना लगेज तक छोड़ दिया था. होटल वालों से पूछताछ कर पता चला कि शूटर्स ने सिखों की तरह पगड़ी पहनी थी और पंजाबी में बात रहे थे. ये इस बात का इशारा था कि शूटरों का ताल्लुक कहीं ना कहीं पंजाब से है.
अब पुलिस ने उस टैक्सी का पता लगाने की शुरुआत की, जिस टैक्सी पर सवार होकर शूटर ग्वालियर से भागे थे. इत्तेफाक से एक टोल नाके पर पुलिस को वो टैक्सी मिल गई, उसका नंबर भी दिख गया. जिसके बाद पुलिस उस टैक्सी के मालिक तक पहुंची और उसे शूटरों के लिए बुक करने वाले का नाम पता पूछा. पता चला टैक्सी बुक करने वाले का नाम हरजीत उर्फ जीता है. हरजीत लोकल था यानी ग्वालियर का रहने वाला. लेकिन पुलिस को तब झटका लगा, जब हरजीत अपने ठिकाने से गायब मिला. पुलिस ने छापेमारी तो की, लेकिन कोशिश बेकार चली गई. इस बीच तस्वीरों और गाड़ी के सहारे पुलिस शूटरों के बारे में काफी कुछ जान चुकी थी. इस जानकारी को ग्वालियर पुलिस ने पंजाब पुलिस से शेयर किया.
ग्वालियर पुलिस की इस मुस्तैदी का पंजाब पुलिस ने भी बखूबी साथ दिया और खबर मिलने के चंद घंटे गुजरते-गुजरते पंजाब पुलिस ने खरड़ से दो शूटरों को धर दबोचा. जिनकी पहचान नवजोत सिंह और अमलप्रीत सिंह के तौर पर हुई. जिन्होंने ना सिर्फ जसवंत सिंह गिल का कत्ल करने की बात कबूल कर ली, बल्कि ये भी बताया कि इस क़त्ल के लिए उन्हें सात समंदर पार कनाडा से सुपारी दी गई थी.
शूटरों ने भी हरजीत सिंह जीता का नाम कन्फर्म किया और बताया कि जीता ने उन्हें टेकनपुर के होटल में इस काम के लिए एक लाख रुपये दिए थे, जबकि शूटआउट को अंजाम देने के लिए उसने बाइक भी मुहैया करवाई थी. पुलिस जीता की कुंडली खंगाल ही रही थी. पुलिस को पता चला कि हाल ही में जीता को विदेश से करीब ढाई लाख रुपये भेजे गए हैं. ये सारी बातें शूटआउट के पीछे विदेशी साजिश की तरफ इशारा कर रही थी. जैसा कि शूटर बता रहे थे.
अब सवाल ये था कि आखिर जसवंत सिंह का कनाडा में बैठे किसी शख्स से क्या वास्ता था? आखिर उसके नाम की सुपारी ग्वालियर से 12 हजार किलोमीटर से भी ज्यादा दूर कनाडा से क्यों और कैसे निकली? तो फिलहाल इस शूटआउट को लोकल लेवल पर अंजाम दिलाने वाले जीता तक तो पुलिस के हाथ नहीं पहुंचे, लेकिन पुलिस ने इस साजिश के आखिरी छोर का पता जरूर लगा लिया. असल में जसवंत सिंह गिल के नाम की इस सुपारी का ताल्लुक 8 साल पहले हुए उस मर्डर केस से था, जिसे कभी जसवंत सिंह ने ही अंजाम दिया था और जिस मर्डर के इल्जाम में वो उम्र कैद की सजा काट रहा था. आइए आपको पहले उस कत्ल की कहानी सुनाते हैं.
5-6 फरवरी 2016 की रात आदित्यपुरम, ग्वालियर
जसवंत सिंह गिल इस रोज़ अचानक रात को अपने मामा ससुर राजविंदर सिंह के घर आदित्यपुरम पहुंचा. उसने अपने मामा ससुर और घर के दूसरे लोगों को बताया कि वो इस इलाके में एक शादी में शामिल होने पहुंचा था, लेकिन चूंकि रात ज्यादा हो गई तो उसने तय किया कि आज रात वो वहीं रुक जाएगा और सुबह अपने घर के लिए निकल जाएगा. चूंकि जसवंत उस घर का दामाद था राजविंदर सिंह और उनके घर वालों ने उसका अच्छा खैर-मकदम किया. रात को उन्होंने जसवंत सिंह के लिए अपने बेटे सुखविंदर के कमरे ही सोने का इंतजाम किया.
लेकिन जसवंत के दिमाग में कुछ और ही चल रहा था. वो आधी रात को उठा और उसने पहले अपने साथ सो रहे मामा ससुर के बेटे सुखविंदर सिंह को गोली मार कर उसकी जान ले ली. घर में हुए इस कत्ल की बाकी लोगों को खबर ही नहीं लगी. इसके बाद जसवंत ने मामा ससुर के कमरे का दरवाजा खटखटाया. मिलने की बात कही. मामा ससुरा और मामी सास उठ गए. मामी सास जसवंत के लिए चाय बनाने चली गई और इतने में जसवंत ने मामा ससुर राजविंदर सिंह को भी गोली मार दी. ससुर गिर पड़े, गोली की आवाज सुन कर जब सास बलविंदर कौर आई, तो उन्हें भी गोली मार दी. यानी जसवंत पूरे परिवार को खत्म करना चाहता था. घर में सुखविंदर की 13 साल की बेटी भी थी, जिसने किस तरह फ्रिज के पीछे छुप कर अपनी जान बचाई. इस वारदात के बाद जसवंत की गिरफ्तारी हुई, उसके खिलाफ सबूत मिले और आखिरकार कोर्ट ने उसे सजा सुना दी. उसे मरते दम तक सलाखों के पीछे रखने का हुक्म दिया और तब से जसवंत सिंह गिल सलाखों के पीछे ही था. लेकिन सुखविंदर का परिवार और खास कर उसका बड़ा भाई सतपाल सिंह इस फैसले से नाखुश था. वो अपने भाई के कातिल के लिए मौत ही चाहता था.
कनाडा में रहने वाला सतपाल सिंह इत्तेफाक से छह महीने पहले अपने परिवार के साथ ग्वालियर आया. इस दौरान उसे पता चला कि उसके भाई का क़ातिल जसवंत सिंह गिल वैसे तो जेल की सजा काट रहा है, लेकिन साल में तीन-चार बार वो 15-15 दिनों के लिए पेरोल पर जेल से बाहर भी आता है. और बस यहीं से सतपाल को जसवंत सिंह के कत्ल का आइडिया मिल गया. सतपाल का ससुराल पंजाब में है. उसने पंजाब में अपने मिलने वालों से बात की. शूटरों का इंतजाम किया. विदेश में छुपे गैंगस्टर अर्श डल्ला के गैंग में काम करने वाले दो शूटरों से संपर्क साधा और कनाडा पहुंचने के बाद वहां से बैठे-बैठे जसवंत सिंह गिल के नाम की सुपारी निकाल दी.
प्लानिंग के मुताबिक फेसलिटेटर और शूटर्स जसवंत सिंह गिल के जेल से बाहर आने का इंतजार करने लगे. उसके घर की रेकी गई. उसके रूटीन का पता लगाया गया. इन दिनों जसवंत सिंह पेरोल पर बाहर आया था. और 7 नवंबर को जैसे ही शूटर्स को मौका मिला वो घर के बाहर टहल रहे जसवंत सिंह गिल को गोली मार कर फरार हो गए. जसवंत सिंह के घर में बीवी और दो बच्चे हैं. इस वारदात ने अचानक उन्हें सदमे से भर दिया है.
इस मामले की जांच कर रही पुलिस को शुरू में ये समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर जसवंत सिंह की किसी से क्या दुश्मनी हो सकती है. क्योंकि क़त्ल की उस वारदात को आठ सालों से ज्यादा का वक़्त गुजर चुका है और जसवंत सिंह को उस मामले में सजा भी हो चुकी है, ऐसे में कोई उस मामले के लिए अब भी जसवंत को टारगेट कर सकता है, ये सोच पाना थोड़ा मुश्किल था. लेकिन जैसे-जैसे पुलिस की जांच आगे बढ़ी, सीसीटीवी फुटेज से लेकर दूसरे सबूतों की कड़ियां जुड़ती गईं, क़त्ल की पूरी साज़िश साफ हो गई.
फिलहाल, शूटर्स तो ग्वालियर पुलिस की गिरफ्त में हैं, लेकिन लोकल मददगार और साज़िश रचने वाला कनाडा में बैठा सतपाल सिंह पकड़ से बाहर है. लोकल गुनहगार को आज नहीं तो कल गिरफ्तार हो जाएंगे, लेकिन सतपाल सिंह की गिरफ्तारी कैसे होगी, ये एक बड़ा सवाल है. क्योंकि कनाडा इन दिनों ऐसे ही अराजक तत्वों और गैंगस्टर का अड्डा बना हुआ है. आए दिन गुंडे बदमाश कनाडा में बैठे-बैठे वहां से हिंदुस्तान में जुर्म की बड़ी वारदातों को अंजाम दिलाते हैं, लेकिन भारत की पुलिस उन तक नहीं पहुंच पाती.