बिलासपुर । नगर निगम बिलासपुर में महापौर का पद इस बार अतिरिक्त पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षित हो गया है। आरक्षण प्रक्रिया के तहत प्रदेश के नगरीय निकायों के महापौर पदों का निर्धारण राजधानी रायपुर में लॉटरी के माध्यम से हुआ। 2014 के बाद यह दूसरी बार है जब बिलासपुर का महापौर पद पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित किया गया है।
इस आरक्षण के कारण कांग्रेस और भाजपा, दोनों दलों के कई सामान्य वर्ग के दावेदारों के समीकरण बिगड़ गए हैं। पिछली बार यह सीट सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित थी। इस बार ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षित होते ही पिछड़ा वर्ग से जुड़े नेताओं में उत्साह की लहर दौड़ गई है।
अब तक चार बार सामान्य वर्ग और तीन बार पिछड़ा वर्ग को मौका मिला है। केवल एक बार 2010 में महिला वर्ग को आरक्षण दिया गया। इस बार महापौर पद पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित होने से भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों में नए और पुराने चेहरों के बीच प्रतिस्पर्धा तेज हो गई है। भाजपा से विनोद सोनी, रामदेव कुमावत, पूजा विधानी और शैलेन्द्र यादव जैसे नाम चर्चा में हैं। वहीं कांग्रेस से प्रमोद नायक, त्रिलोक श्रीवास, लक्की यादव, विनोद साहू और शेख नजीरुद्दीन संभावित दावेदारों में शामिल हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विधानसभा और लोकसभा चुनावों में नए चेहरों को मौका देने की रणनीति नगर निगम चुनाव में भी अपनाई जा सकती है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल पुराने पार्षदों के साथ-साथ नए चेहरों पर भी दांव लगा सकते हैं।
नगर निगम के 70 वार्डों में लगभग 4.99 लाख वोटर हैं, जिनमें 50त्न से अधिक ओबीसी वर्ग के हैं। इस सामाजिक संरचना के कारण पिछड़ा वर्ग से महापौर प्रत्याशी तय करने से चुनाव अभियान तक, दोनों ही प्रमुख दलों कांग्रेस और भाजपा को सधी हुई रणनीति से काम लेना पड़ेगा। बिलासपुर नगर निगम की सीमा वृद्धि के बाद यह दूसरा चुनाव है, लेकिन विस्तार के बाद महापौर का पद जनता पहली बार सीधे चुनेगी। अरपापार क्षेत्र में 22 वार्ड और करीब डेढ़ लाख मतदाता हैं। माना जा रहा है कि इन्हीं वार्डों के वोट मेयर चुनाव का नतीजा तय करेंगे। महापौर के लिए चुने जाने वाले प्रत्याशी को आउटर वार्डों की समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। बढ़ते शहरी क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं की कमी से जनता नाराज है।
महापौर पद का पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित होना राजनीतिक और सामाजिक दोनों दृष्टियों से महत्वपूर्ण है। इस आरक्षण ने जहां नए चेहरों के लिए संभावनाएं बढ़ाई हैं, वहीं पुराने दावेदारों के लिए चुनौती पेश की है। आगामी चुनाव में दोनों दलों की रणनीति और मतदाताओं की भूमिका निर्णायक होगी।
आरक्षण के बाद चुने गए महापौर
1995: पद सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित हुआ, राजेश पांडेय बने महापौर।
2000: ओबीसी से स्व. उमाशंकर जायसवाल बने महापौर।
2010: महिला वर्ग से वाणी राव (कांग्रेस) ने जीत दर्ज की।
2015: किशोर राय (भाजपा) पिछड़ा वर्ग से महापौर बने।
2020: सामान्य वर्ग से रामशरण यादव (कांग्रेस) महापौर बने।
सन् 2010 और 2015 में महापौर जनता के वोटों से चुने गए थे, जबकि शेष तीन बार पार्षदों ने चुनाव किया था।
लेटेस्ट न्यूज़
डीएफओ पर महिला रेंजर ने लगाया शारिरिक शोषण का आरोप, प्रधान मुख्य वन संरक्षक से शिकायत
November 25, 2024
9:03 pm
दस पर था चालीस लाख का इनाम मारे गए नक्सलियों की हुई शिनाख्त
November 24, 2024
7:33 pm
सागौन तस्कर गिरफ्तार : जंगल में काट रहा था पेड़, पुलिस ने पकड़ा
November 23, 2024
6:26 pm
मेयर की लॉटरी निकली ओबीसी के नाम, कई दावेदार सामने आए, नए चेहरों पर भी दांव लगा सकती है कांग्रेस-भाजपा
डेली नव प्रदेश अखबार को छत्तीसगढ़ सरकार से मिला 15 लाख का विज्ञापन!
January 9, 2025
No Comments
Read More »
छत्तीसगढ़ सरकार ने “स्वदेश” अखबार के ग्वालियर एडिशन को एक करोड़ चौदह लाख रुपया दिया!
January 9, 2025
No Comments
Read More »
छत्तीसगढ़ जनसम्पर्क विभाग की आउटलुक मैग्ज़ीन पर विशेष कृपा देखिए- 88 लाख का विज्ञापन एक ही बार में!
January 9, 2025
No Comments
Read More »
छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग के आदेश को ठेंगा दिखाता वन मण्डल मरवाही का डिएफओ
January 2, 2025
No Comments
Read More »
ई-कुबेर प्रणाली में तकनीकी सुविधा बनी दुविधा ! वन विभाग का कामकाज ठप, मजदूरों को नहीं मिल रहा भुगतान
December 19, 2024
No Comments
Read More »
Advertisement
यूपीआई पेमेंट सर्विस में फोनपे और गूगल पे का दबदबा कम करने की तैयारी https://t.co/4YkoqEASUF
— Abdul salam Quadri Journalist (@Abdul_salam_Qdr) February 16, 2024