January 19, 2025 2:13 am

लेटेस्ट न्यूज़

घर में चौखट लगाने के नियम, गलत मुहूर्त में लगाने से होते हैं रोग और कर्ज

प्रवेश द्वार घर का सबसे अहम हिस्सा माना गया है. ऐसा इसलिए, क्योंकि यही वह स्थान है, जहां से सकारात्मक या नकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवेश करती है. वास्तु शास्त्र के अनुसार, चौखट का संबंध माता लक्ष्मी से होता है. इसलिए चौखट में भी कुछ वास्तु नियमों का ध्यान रखना जरूरी है वरना व्यक्ति को आर्थिक संकट झेलना पड़ सकता है. घर के बाहर चौखट रहने से घर के अंदर सकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करती है, जिससे परिवार के सदस्यों के बीच प्रेम बना रहता है.

खंडित चौखट की तुरंत कराएं मरम्मत : दहलीज या चौखट कभी भी टूटी-फूटी या गंदी नहीं होनी चाहिए. वास्तु शास्त्र के अनुसार, इसे शुभ नहीं माना जाता. आपके घर की चौखट यदि खंडित है तो तुरंत ही इसकी मरम्मत करा लें. चौखट के पास टूटी कुर्सियां, कूड़ेदान आदि नहीं रखना चाहिए.

इस दिशा में बनवाएं चौखट : चौखट उत्तर या फिर पूर्व की दिशा में होनी चाहिए. घर में चौखट बनवाते समय एक चांदी का तार डाल देना चाहिए. इसे शुभ माना जाता है.

घर में चौखट लगाने के लिए शुभ तिथि और दिन :

    चौखट लगाने के लिए शुक्ल पक्ष की 5, 7, 6, या 9वीं तिथि शुभ मानी जाती है.
    चौखट लगाने के लिए सोमवार, बुधवार, गुरुवार, और शुक्रवार शुभ दिन माने जाते हैं.
    प्रतिपदा में चौखट लगाने से दुख, तृतीय में लगाने से रोग, चतुर्थी में लगाने से कुल नाश, षष्टी में लगाने से धनहानि, और दशमी, पूर्णिमा, और अमावस्या में लगाने से शत्रु-वृद्धि होती है.
    वास्तु शास्त्र के मुताबिक, चौखट या दहलीज़ कभी टूटी-फूटी या खंडित नहीं होनी चाहिए. अगर चौखट टूट जाए, तो इसे तुरंत ही ठीक करा लेना चाहिए. वास्तु शास्त्र के मुताबिक, लकड़ी से बनी चौखट सबसे ज़्यादा शुभ मानी जाती है. अगर लकड़ी की चौखट नहीं बनवानी है, तो मार्बल की चौखट बनाई जा सकती है

कब लगवाएं नए घर का दरवाजा ?

नए घर में दरवाजा लगवाते समय मुहूर्त का विशेष ध्यान रखना चाहिए. शुभ मुहूर्त में लगाए गए दरवाजे घर मालिक को विशेष फल देते हैं वहीं बिना विचारे लगाए गए दरवाजे समस्याओं को आमंत्रित करते हैं. इसीलिए दरवाजा लगवाने के पहले सूर्य नक्षत्र, शाखा चक्र, शुभ नक्षत्र, तिथि, वारादि का विचार करके मुहूर्त ज्ञान करना चाहिए.

शुभ नक्षत्र: रोहिणी, मृगशिरा, चित्रा, अनुराधा, रेवती, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा और उत्तराभाद्रपद. शुभाशुभ नक्षत्र विचार करते समय नक्षत्र द्वार चक्र भी सूर्य नक्षत्र से ज्ञात करना चाहिए.
सूर्य जिस नक्षत्र में हो उससे प्रथम चार नक्षत्र सिर पर अगले आठ नक्षत्र कोणों(दोनों पर), अगले आठ नक्षत्र बाजुओं पर, अगले तीन नक्षत्र देहली पर एवं अगले चार नक्षत्र मध्य में रहते हैं.
सिर पर नक्षत्र हो तो लक्ष्मी वास करे, कोनों (कोण) पर नक्षत्र हो तो घर उजाड़ हो, बाजुओं में नक्षत्र हो तो सुख होता है, देहली में नक्षत्र हो तो स्वामी नाश एवं मध्य में नक्षत्र हो तो सुख-संपत्ति कारक होता है.
शुभ तिथि : 5, 7, 6, 9 वीं तिथि शुक्लपक्ष की होनी चाहिए. प्रतिपदा में दरवाजा लगाने से दु:ख, तृतीय में लगाने से रोग, चतुर्थी में लगने से कुल नाश, षष्टी में लगाने से धनहानि और दशमी, पूर्णिमा एवं अमावस्या में दरवाजा लगाने से शत्रु-वृद्धि होती है.
शुभवार: सोमवार, बुधवार, गुरुवार, एवं शुक्रवार शुभ होते हैं.
शुभलग्न : शुभलग्न भी गृहारंभ मुहूर्तों की तरह ज्ञात कर लेना चाहिए.

Khabar 30 Din
Author: Khabar 30 Din

Leave a Comment

Advertisement