- मुगल साम्राज्य: भारत का स्वर्णिम अध्याय
मुगल साम्राज्य भारत के इतिहास का एक महत्वपूर्ण और प्रभावशाली दौर रहा है। इसकी स्थापना बाबर ने 1526 में पानीपत के प्रथम युद्ध में इब्राहिम लोदी को हराकर की थी। मुगलों ने भारत पर लगभग 300 वर्षों तक शासन किया और इस दौरान कला, संस्कृति, प्रशासन और वास्तुकला में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
मुगलों का उत्थान
बाबर के बाद हुमायूं, अकबर, जहांगीर, शाहजहां और औरंगजेब जैसे शासकों ने इस साम्राज्य को विस्तारित और सशक्त किया। खासकर अकबर ने अपनी कुशल प्रशासनिक नीतियों, धार्मिक सहिष्णुता और राजपूतों के साथ संधियों के कारण साम्राज्य को स्थिरता प्रदान की।
मुगल प्रशासन और संस्कृति
मुगलों ने प्रशासनिक व्यवस्था को संगठित किया, जिसमें मानसबदारी प्रणाली और राजस्व व्यवस्था (टोडरमल द्वारा विकसित) प्रमुख थीं। मुगलों ने कला और स्थापत्य में भी योगदान दिया, जैसे ताजमहल, लाल किला, जामा मस्जिद और फतेहपुर सीकरी।
मुगलों का पतन
औरंगजेब की नीतियों और लगातार युद्धों ने साम्राज्य को कमजोर कर दिया। मराठों, सिखों और अंग्रेजों के उदय के साथ 18वीं शताब्दी में मुगल शक्ति कम होने लगी। 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद आखिरी मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर को अंग्रेजों ने हटा दिया और मुगल शासन का अंत हो गया।
मुगल विरासत
मुगल काल ने भारत की भाषा, भोजन, संगीत और स्थापत्य कला पर गहरी छाप छोड़ी है। आज भी उनकी बनाई इमारतें और प्रशासनिक प्रणालियाँ भारतीय संस्कृति में देखी जा सकती हैं।
