April 24, 2025 1:08 pm

छत्तीसगढ़ के गौरेला वन परीक्षेत्र में चाय बागान घोटाले की जांच और वसूली में दो साल से जमी हुई दहशत

खबर 30 दिन न्यूज़ नेटवर्क, बीबीसी लाईव न्यूज़ नेटवर्क की पड़ताल

  • गौरेला वन परीक्षेत्र में चाय बागान घोटाले की जांच और वसूली में दो साल से जमी हुई दहशत

25/3/2025. गौरेला वन परिक्षेत्र में चाय बागान के नाम पर करोड़ों रुपये के फर्जीवाड़े की घटना सामने आई थी। इस घोटाले में आदिवासी जमीन के विकास का नाटक करते हुए FRA योजना के तहत 2 करोड़ रुपये से अधिक का पैसा लूट लिया गया था? अफवाहें थीं कि इस घोटाले में शामिल अधिकारियों और नीतिगत समस्याओं की वजह से जांच शुरू करने में देरी हुई।

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जांच में देरी और वसूली की अबहेलना

दो साल से ज्यादा का समय बीत जाने के बावजूद:

  • अब तक किसी भी स्तर पर इस मामले की विस्तृत जांच नहीं हुई है।
  • दोषियों से वसूली के प्रयासों में कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आया है।
  • मामले से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि जांच अभी भी लंबी चल रही है और वसूली की प्रक्रिया में उचित कदम उठाये जा रहे हैं, लेकिन अब तक कोई निर्णायक सफलता हासिल नहीं हुई है।
  • घोटाले में संलिप्त रेंजर डिप्टी रेंजर, बीटगार्ड इत्यादि कर्मचारी या तो रिटायर्ड हो चुके है या अन्यंत्र ट्रांसफर हो चुके है

घटना का पृष्ठभूमि

घटना की शुरुआत तब हुई जब अमरकंटक की तराई इलाके में आदिवासी जमीन के विकास के नाम पर चाय बागान स्थापित करने का दावा किया गया। इस दावे का फायदा उठाते हुए कुछ व्यक्तियों ने 2 करोड़ रुपये से अधिक की राशि को धोखाधड़ी से प्राप्त कर लिया। प्रभावित समुदायों ने इस फर्जीवाड़े के खिलाफ आवाज उठाई, परंतु जांच में हुई देरी और दोषियों से वसूली में विफलता ने मामला और गंभीर बना दिया है।

प्रभाव और स्थानीय प्रतिक्रिया

  • प्रभावित ग्रामीणों और आदिवासी समुदाय में गहरी निराशा देखी जा रही है। उनके अनुसार, इस घोटाले के कारण उनके रोजमर्रा के जीवन में आर्थिक तंगी और सामाजिक अस्थिरता है।
  • स्थानीय नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अधिकारियों पर तंज कसते हुए मांग की है कि मामले की तुरंत जांच शुरू की जाए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
  • पत्रकारों और नागरिक समाज ने भी इस मामले में पारदर्शिता की मांग की है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न दोहराई जाएँ।

आगे की कार्रवाई की उम्मीद

अधिकारियों का कहना है कि जांच की जाएगी है और जैसे ही जांच की रिपोर्ट तैयार हो जाएगी, दोषियों के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी तथा लूटे गए धन की वसूली के प्रयास तेज किए जाएंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के घोटालों में सरकारी निगरानी और पारदर्शिता सुनिश्चित करना अत्यंत आवश्यक है ताकि जनता का विश्वास बहाल किया जा सके।

निष्कर्ष

गौरेला में चाय बागान के नाम पर हुए इस बड़े फर्जीवाड़े ने न केवल लाखों रुपये का नुकसान किया है, बल्कि प्रभावित समुदायों के जीवन में भी गहरा झटका पहुंचाया है। दो साल से अधिक समय के बाद भी मामले की जांच और दोषियों से वसूली में हुई देरी एक चिंता का विषय बनी हुई है।

नागरिक और विशेषज्ञ इस बात पर जोर दे रहे हैं कि जल्द से जल्द इस घोटाले की पूरी जांच कर दोषियों को सजा दी जाए और लूटे गए धन की वसूली सुनिश्चित की जाए।

(सूचना स्रोत: स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स और प्रभावित समुदाय के बयान)

Khabar 30 Din
Author: Khabar 30 Din

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