April 24, 2025 12:49 pm

“गोदी मीडिया की रिपोर्टिंग पर सवाल: सरकार की जय-जयकार या निष्पक्ष पत्रकारिता?”

  • भारतीय मीडिया को ‘गोदी मीडिया’ क्यों कहा जाता है?

(एक विश्लेषणात्मक रिपोर्ट)

भारतीय लोकतंत्र में मीडिया को चौथा स्तंभ माना जाता है, जिसका मुख्य कार्य जनता तक निष्पक्ष और सटीक जानकारी पहुंचाना होता है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में भारतीय मीडिया पर सत्ता के प्रति झुकाव और पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग के आरोप लगते रहे हैं। इसी संदर्भ में, कुछ आलोचकों और आम जनता ने इसे ‘गोदी मीडिया’ कहकर संबोधित करना शुरू कर दिया।

‘गोदी मीडिया’ शब्द का अर्थ और उत्पत्ति

‘गोदी मीडिया’ शब्द का उपयोग मुख्य रूप से उन मीडिया संस्थानों और पत्रकारों के लिए किया जाता है, जो सरकार के प्रति अत्यधिक झुकाव रखते हैं और निष्पक्ष रिपोर्टिंग करने के बजाय सरकार की नीतियों का समर्थन करने पर अधिक ध्यान देते हैं। इस शब्द की लोकप्रियता वर्ष 2014 के बाद बढ़ी, जब नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) केंद्र में सत्ता में आई। इस शब्द को प्रसिद्धि तब मिली जब वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार ने बार-बार अपनी रिपोर्टिंग में इसका उल्लेख किया।

गोदी मीडिया कहे जाने के मुख्य कारण

  1. सरकार की आलोचना से बचना:
    कई बड़े मीडिया संस्थान सरकार की नीतियों और फैसलों की आलोचना करने से बचते हैं। इसके विपरीत, वे सरकार की नीतियों का समर्थन करते हुए उसे सकारात्मक रूप में प्रस्तुत करते हैं।

  2. विपक्ष के खिलाफ नकारात्मक प्रचार:
    कुछ मीडिया संस्थान विपक्षी दलों और नेताओं के खिलाफ नकारात्मक खबरें दिखाने में अधिक रुचि लेते हैं, जिससे उनकी निष्पक्षता पर सवाल उठते हैं।

  3. जन सरोकारों की अनदेखी:
    मीडिया का प्राथमिक कार्य जनता की समस्याओं को उजागर करना और सरकार से सवाल करना होता है, लेकिन कई मीडिया हाउस जनता के मुद्दों को दरकिनार कर सिर्फ राजनीतिक खबरों पर केंद्रित रहते हैं।

  4. टेलीविजन डिबेट में एकतरफा बहस:
    कई समाचार चैनलों पर होने वाली डिबेट में सरकार समर्थक प्रवक्ताओं को अधिक समय दिया जाता है, जबकि आलोचकों को बोलने का पर्याप्त मौका नहीं मिलता या उन्हें ट्रोल किया जाता है।

  5. जांच-पड़ताल की कमी:
    पत्रकारिता का एक महत्वपूर्ण पहलू है सत्ता की जवाबदेही तय करना, लेकिन कई बड़े मीडिया हाउस सरकार की नीतियों की गहराई से जांच करने के बजाय केवल आधिकारिक बयानों को ही खबर बनाते हैं।

  6. व्यापारिक और राजनीतिक दबाव:
    बड़े मीडिया हाउस विज्ञापनों और अन्य आर्थिक लाभों के कारण सरकार के खिलाफ जाने से बचते हैं। कई मीडिया समूहों के मालिकों के सरकार से करीबी संबंध होने के कारण भी उनकी निष्पक्षता पर सवाल उठते हैं।

गोदी मीडिया पर जनता की प्रतिक्रिया

सोशल मीडिया और स्वतंत्र डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर लोग मुख्यधारा की मीडिया की आलोचना करते हुए #गोदीमीडिया जैसे हैशटैग ट्रेंड कराते रहते हैं। कई यूट्यूब चैनल और स्वतंत्र पत्रकार सरकार से सवाल पूछने का काम कर रहे हैं, जिससे जनता को एक वैकल्पिक माध्यम मिल रहा है।

क्या सभी मीडिया संस्थान गोदी मीडिया हैं?

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि सभी मीडिया संस्थानों को ‘गोदी मीडिया’ कहना सही नहीं होगा। कुछ पत्रकार और संस्थान अब भी निष्पक्ष पत्रकारिता कर रहे हैं, लेकिन उन पर सरकार और सत्ता-समर्थकों का दबाव बना रहता है।

निष्कर्ष

भारतीय मीडिया का एक बड़ा हिस्सा आज सरकार-समर्थक दृष्टिकोण अपनाए हुए दिखता है, जिससे उसकी निष्पक्षता पर सवाल उठते हैं। निष्पक्ष और स्वतंत्र पत्रकारिता लोकतंत्र के लिए अनिवार्य है, और मीडिया को सत्ता का समर्थक बनने के बजाय जनता की आवाज उठाने की भूमिका निभानी चाहिए। जनता को भी चाहिए कि वह केवल मुख्यधारा की मीडिया पर निर्भर न रहकर स्वतंत्र और वैकल्पिक स्रोतों से जानकारी प्राप्त करे, ताकि उसे सच्चाई का पूर्ण चित्र देखने को मिले।

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