नई दिल्ली: रमज़ान का पवित्र महीना पूरे देश में आमतौर पर शांति से संपन्न हुआ और हाल ही में ईद-उल-फितर का उत्सव मनाया गया. लेकिन उत्तर प्रदेश के झांसी के एक मोहल्ले में कथित तौर पर रोज़ा रखने का मामला एक आपराधिक केस का केंद्र बन गया है.
आरोप है कि पड़ोस की मुस्लिम महिला ने नाबालिग हिंदू लड़की को कथित रूप से इस्लाम धर्म अपनाने के लिए बहलाया. इस मामले में 40 वर्षीय मुस्लिम महिला शहनाज को गिरफ्तार किया गया है.
द वायर द्वारा देखे गए दस्तावेज़ों के अनुसार, इस महिला ने बाद में स्थानीय अदालत में दावा किया कि धर्मांतरण का पूरा मामला एक आर्थिक विवाद के कारण गढ़ा गया है.
क्या है मामला?
13 मार्च को झांसी में एक एफआईआर दर्ज की गई, जब एक हिंदू व्यक्ति ने आरोप लगाया कि उसकी 16 वर्षीय बेटी को उसकी पड़ोस की दो मुस्लिम महिलाओं ने रमज़ान में रोज़ा रखने के लिए बहलाया, ताकि उसे इस्लाम धर्म अपनाने के लिए प्रेरित किया जा सके.
पिता ने कहा, ‘उन्होंने मेरी बेटी को बहला-फुसलाकर यह विश्वास दिलाया कि अगर वह रोज़ा रखेगी तो उसके घर में बरकत आएगी. वह अमीर हो जाएगी और वे उसे उचित सहायता प्रदान करेंगे.’
हम व्यक्ति की पहचान उजागर नहीं कर रहे हैं, क्योंकि इससे उनकी नाबालिग बेटी की गोपनीयता प्रभावित हो सकती है.
लड़की के पिता का आरोप है कि उनकी बेटी ने तीन-चार रोज़े रखे और नमाज़ भी पढ़ी.
शिकायतकर्ता के मुताबिक़, 13 मार्च को मुख्य आरोपी शहनाज़ जबरन उनके घर में घुस आई और एक कमरे को अंदर से बंद कर फांसी लगाकर अपनी जान देने की कोशिश की. यह कमरा शिकायतकर्ता के भाई का था. जब हिंदू परिवार ने पुलिस को बुलाने के लिए 112 नंबर पर कॉल किया, तो महिला वहां से भाग गई लेकिन जाते-जाते उन पर झूठा केस करने की धमकी दी. इसी दौरान कुछ हिंदू दक्षिणपंथी कार्यकर्ता भी वहां पहुंचे और मुस्लिम महिलाओं पर जबरन धर्मांतरण का आरोप लगाया.
इसके बाद शाहनाज़ और कुशनामा नामक दो महिलाओं के खिलाफ उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम, 2021 की धारा 3 और 5(1) के तहत मामला दर्ज किया गया. जांच के दौरान पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की अन्य धाराएं भी जोड़ीं, जिनमें हत्या की धमकी देना, संपत्ति नष्ट करने की धमकी देना और जानबूझकर अपमानित करने, जिससे शांति भंग हो, शामिल है.
शहनाज़ का क्या कहना है?
शहनाज़ ने इन आरोपों से इनकार किया है. उन्होंने स्थानीय अदालत में दायर अपनी जमानत याचिका में कहा कि हिंदू परिवार ने उन्हें फंसाने के लिए ‘फर्जी कहानी’ गढ़ी, क्योंकि वे उनसे लिया गया कर्ज़ चुकाने से बचना चाहते थे.
शाहनाज़ के मुताबिक, कुछ समय पहले, जब हिंदू व्यक्ति बीमार पड़ा था, तब उसकी पत्नी ने शहनाज़ से 50,000 रुपये उधार लिए थे और 10 दिन में लौटाने का वादा किया था. लेकिन जब पैसे नहीं लौटाए गए, तो शहनाज़ कई बार उनके घर गईं और अपना पैसा वापस मांगा. उन्होंने कहा, ‘उसकी पत्नी हमेशा कोई न कोई बहाना बना देती थी.’
शहनाज़ का आरोप है कि 13 मार्च की सुबह 10 बजे, जब वह अपने पैसे मांगने के लिए उनके घर गईं, तो पड़ोसी का भाई, जो अपनी पत्नी और बच्चों के साथ उसी घर में रहते थे, ने उसे एक कमरे में बंद कर दिया और उसके साथ छेड़छाड़ की.
‘मैंने जोर से चिल्लाया तो पड़ोस के लोग इकट्ठा हो गए.’ उन्होंने कहा.
शहनाज़ का आरोप है कि लड़की के पिता ने दक्षिणपंथी संगठनों के लोगों को बुलाया, जिन्होंने पुलिस को फोन किया और उन्हें बचाने के लिए झूठी कहानी बना दी. उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस ने उनकी शिकायत दर्ज करने से इनकार कर दिया.
उन्होंने इस बात से साफ इनकार किया कि उन्होंने नाबालिग लड़की को इस्लाम अपनाने के लिए कहा या उसे रोज़ा रखने और नमाज़ पढ़ने के लिए मजबूर किया. उन्होंने यह भी तर्क दिया कि लड़की के घर में उसके माता-पिता, भाई-बहन और चाचा-चाची सहित कई लोग रहते हैं. ‘अगर लड़की ने सच में रोज़ा रखा होता, तो घर वालों को इसकी जानकारी जरूर होती.’ उन्होंने कहा.
रोज़ा रखने की प्रक्रिया में व्यक्ति को सूर्योदय से पहले खाना खाना होता है और फिर दिनभर उपवास रखने के बाद सूर्यास्त के समय इफ्तार करना होता है. शहनाज़ ने कहा, ‘अगर लड़की ने एक भी रोज़ा रखा होता, तो परिवार को यह जरूर पता चल जाता.’
शाहनाज़ की जमानत याचिका खारिज
26 मार्च को झांसी के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विजय कुमार वर्मा ने शाहनाज़ की जमानत याचिका खारिज कर दी. अदालत ने कहा कि शाहनाज़ पीड़िता की पड़ोसी हैं और वह गवाहों या सबूतों को प्रभावित कर सकती हैं.
