भारत में रहने वाले लोग ज्यादर लोग पोषक तत्वों से जूझ रहे है.. एक हालिया अध्ययन में खुलासा हुआ है कि देश के अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों की आबादी कुपोषण और विभिन्न बीमारियों से जूझ रही है।और अध्ययन में यह भी पाया गया है कि इन इलाकों में रहने वाले लोगों को पर्याप्त पोषक तत्व, खासकर प्रोटीन, नहीं मिल पा रहा है, जिसका सीधा असर उनके स्वास्थ्य पर पड़ रहा है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, शरीर को सही ढंग से कार्य करने के लिए प्रतिदिन आवश्यक मात्रा में प्रोटीन की जरूरत होती है। लेकिन ग्रामीण इलाकों में खाद्य सामग्री की उपलब्धता, आर्थिक स्थिति और जागरूकता की कमी के कारण लोगों को पर्याप्त प्रोटीन नहीं मिल रहा है। अध्ययन में यह भी बताया गया है कि वयस्क पुरुषों को प्रतिदिन औसतन 56 ग्राम और महिलाओं को लगभग 46 ग्राम प्रोटीन की आवश्यकता होती है। वहीं, बच्चों और किशोरों के लिए यह मात्रा उम्र और शारीरिक गतिविधियों के अनुसार अलग होती है।विशेषज्ञों का कहना है कि कुपोषण की इस स्थिति से निपटने के लिए सरकार को ग्रामीण क्षेत्रों में पोषण जागरूकता अभियान चलाने और प्रोटीन युक्त आहार को सुलभ बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे।
इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट (IFPRI) सहित दो अन्य संगठनों द्वारा देश के छह राज्यों के नौ जिलों में किए गए अध्ययन में यह चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है। अध्ययन के अनुसार, ग्रामीण आबादी प्रोटीन और अन्य जरूरी पोषक तत्वों की पूर्ति के लिए मुख्यतः गेहूं और चावल पर निर्भर है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में अंडा, मांस, मछली, फल, सब्जियां और सूखे मेवे जैसी पोषण से भरपूर चीजें आसानी से उपलब्ध हैं। इसके बावजूद, जानकारी के अभाव में ग्रामीण लोग इनका उपभोग नहीं कर पा रहे हैं, जिससे उनमें कुपोषण और इससे जुड़ी बीमारियां व्यापक रूप से फैली हुई हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस संकट से निपटने के लिए केवल खाद्य उपलब्धता ही नहीं, बल्कि पोषण शिक्षा भी उतनी ही जरूरी है। सरकार और संबंधित संस्थाओं को ग्रामीण इलाकों में व्यापक पोषण जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता है, ताकि लोग अपने भोजन में विविधता लाकर संपूर्ण पोषण प्राप्त कर सकें।कुछ इलाकों में यह भी देखा गया कि आर्थिक परेशानी के कारण ग्रामीण जरूरी पोषक तत्व नहीं लेते हैं. हालांकि यह संख्या बहुत कम है फिर भी पोषक तत्वों के अभाव में कुपोषण और बीमारियों की अधिकता इस आबादी में काफी ज्यादा देखी गई है. जो लोग आर्थिक रूप से कमजोर नहीं हैं. उनमें शरीर के लिए जरूरी पोषक तत्वों की जरूरत की जानकारी का अभाव है. जानकारी के अभाव में ग्रामीण जरूरी पोषक तत्व नहीं लेते हैं. गंभीर बात यह है भी कि उन्हें जानकारी देने वालों की भी कमी है.
शरीर को कितना प्रोटीन चाहिए
आपको बता दें,कि अध्यन के अनुसार व्यक्ति को आयु के अनुसार प्रोटीन की जरूरत होती है. 50 वर्ष तक प्रत्येक व्यक्ति को अपने वजन के अनुसार प्रोटीन की जरूरत होती है. शरीर के वजन के प्रति किलो के अनुसार .75 ग्राम प्रोटीन की जरूरत होती है. 50 वर्ष के अधिक आयु वालों के लिए यह मानक एक ग्राम का है. यदि किसी का वजन 75 किलो है तो उसे दिन भर में 62 से 65 ग्राम प्रोटीन की जरूरत होती है. ग्रामीण आबादी में जानकारी का अभाव, आर्थिक परेशानी और मान्यताओं के कारण शरीर के लिए जरूरी प्रोटीन को नहीं लिया जाता है.
