April 24, 2025 12:52 pm

कोरिया-मनेन्द्रगढ़:  सरकारें बदलीं, लेकिन ‘बीमार’ स्वास्थ्य व्यवस्था नहीं सुधरी

अब्दुल सलाम कादरी-प्रधान संपादक

मनेन्द्रगढ़। छत्तीसगढ़ के उत्तर में बसे कोरिया और मनेन्द्रगढ़ जिलों की स्वास्थ्य व्यवस्था पिछले दो दशकों से सिर्फ “कागज़ों में स्वस्थ” है। 15 साल भाजपा, 5 साल कांग्रेस और अब फिर भाजपा की सरकार, लेकिन इन जिलों के लाखों लोगों के लिए गंभीर बीमारियों का इलाज आज भी सपना ही बना हुआ है। जिले के अस्पताल महज रेफर सेंटर बनकर रह गए हैं, जहां से मरीजों को बिलासपुर, रायपुर या अंबिकापुर भेज दिया जाता है।

जहां मंत्री वहीं संकट: खड़गवां की अनदेखी

वर्तमान में प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री खुद मनेन्द्रगढ़ जिले के विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। लेकिन उनके क्षेत्र में आज भी एक भी ऐसा अस्पताल नहीं है, जहां ICU, डायलिसिस, कैंसर, कार्डियोलॉजी या न्यूरोलॉजी जैसी सुविधाएं उपलब्ध हों। ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य केंद्रों की हालत बदतर है—न डॉक्टर हैं, न दवाएं और न ही आधुनिक उपकरण।

स्थानीय निवासी रामप्रसाद यादव कहते हैं, “हमारे गांव में एक पीएचसी है, लेकिन वहां कंपाउंडर भी हफ्तों नहीं आता। कई बार लोग सड़क किनारे तड़पते रहते हैं, क्योंकि एंबुलेंस या तो खराब होती है या स्टाफ ही नहीं रहता।”

सिर्फ रेफर, कोई इलाज नहीं

मनेन्द्रगढ़ मेडिकल कॉलेज की घोषणा तो की गई, लेकिन अभी तक न बिल्डिंग तैयार हुई, न फैकल्टी नियुक्त हुई। जिला अस्पतालों में CT Scan, MRI, ब्लड बैंक जैसी बुनियादी सुविधाएं ही नहीं हैं। सरकारी अस्पतालों में इलाज की बजाय मरीजों को बड़े शहरों के लिए रेफर कर दिया जाता है। इसका बोझ सीधे गरीब और ग्रामीण तबके पर पड़ता है, जो ना सफर कर पाते हैं, ना इलाज करवा पाते हैं।

राजनीति हावी, नीतियां नाकाम

बीते 20, 22 वर्षों में लाखों रुपये की योजनाएं घोषित की गईं—मोबाइल मेडिकल यूनिट, हाट-बाजार क्लिनिक, मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य सहायता योजना आदि। लेकिन इनका ज़मीनी असर न के बराबर है। अधिकारी फाइलों में योजनाओं को “सफल” दिखाते हैं, लेकिन हकीकत में अस्पतालों में बेड की चादरें तक गंदी होती हैं, ऑक्सीजन प्लांट बिना गैस के और एक्स-रे मशीनें खराब पड़ी हैं।

बड़ी योजनाएं, छोटी नीयत?

स्वास्थ्य मंत्री की चुप्पी और निष्क्रियता पर विपक्ष सवाल उठा रहा है। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, “अगर मंत्री जी के अपने जिले की ये हालत है, तो बाकी राज्य का क्या हाल होगा?” वहीं, स्थानीय भाजपा कार्यकर्ता भी दबी जुबान में मानते हैं कि स्वास्थ्य सेवा को लेकर कोई ठोस पहल नहीं हुई है।

जनता पूछ रही है—इलाज कब मिलेगा?

कोरिया और मनेन्द्रगढ़ की जनता अब जाग चुकी है। सोशल मीडिया पर युवा लगातार अस्पतालों की दुर्दशा को उजागर कर रहे हैं। स्थानीय “निष्पक्ष पत्रकारों” और सामाजिक संगठनों ने भी कई बार सरकार का ध्यान इस ओर खींचने की कोशिश की है, लेकिन कार्रवाई सिर्फ कागजों तक सीमित है।


निष्कर्ष:
एक तरफ राज्य सरकार ‘नवा छत्तीसगढ़’ की बात करती है, दूसरी ओर राज्य का स्वास्थ्य तंत्र ‘पुराने ज़माने’ की तरह लड़खड़ा रहा है। जब तक ज़मीनी स्तर पर जवाबदेही तय नहीं होगी और राजनीतिक इच्छाशक्ति के साथ ठोस निर्णय नहीं लिए जाएंगे, तब तक कोरिया और मनेन्द्रगढ़ जैसे जिलों के लोग इलाज के लिए दूसरे शहरों की दौड़ लगाते रहेंगे।


अगर आपके पास भी सवास्थ्य से सम्बंधित कोई जानकारी है या इलाज नही मिल रहा है तो हमे बताए, हम बनेंगे आपकी आवाज- वाट्सएप्प न0 9424257566 पर वाट्सएप्प करें।

Khabar 30 Din
Author: Khabar 30 Din

Leave a Comment

Advertisement