April 24, 2025 12:51 pm

स्कूल की फीस बनी मिडिल क्लास की मुसीबत, कुछ ही साल में इतनी बढ़ोतरी

देशभर में बढ़ती स्कूल फीस का मुद्दा इन दिनों चर्चा का केंद्र बना हुआ है। हर राज्य में अभिवावक इस बात को लेकर परेशान हैं कि बच्चों की शिक्षा अब अधिकार नहीं, बल्कि एक बड़ी सुविधा बनती जा रही है जिसे हर कोई वहन नहीं कर पा रहा। एक ओर जहां सरकारी स्कूलों में शिक्षा लगभग निशुल्क या नाममात्र फीस पर मिलती है, वहीं दूसरी ओर प्राइवेट स्कूलों की फीस आम मध्यमवर्गीय परिवारों के बजट से बाहर जा रही है।

हालिया आंकड़े बताते हैं कि निजी स्कूलों में सालाना फीस कई जगहों पर एक लाख रुपये से भी अधिक हो गई है, जबकि सरकारी स्कूलों में यह फीस कुछ सौ रुपये तक सीमित है।शिक्षा के इस असमान समीकरण ने अभिवावकों के सामने एक बड़ी दुविधा खड़ी कर दी है। सभी माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे अच्छे स्कूल में पढ़ें और बेहतरीन भविष्य बनाएं। इसके लिए वे अपनी आय से परे जाकर भी प्रयास करते हैं, लेकिन बढ़ती फीस ने कई परिवारों की कमर तोड़ दी है।  स्कूलों की फीस को लेकर देश भर में मानों आंदोलन चल रहा है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पेरेंट्स और संगठनों ने निजी स्कूलों की मनमानी फीस बढ़ोतरी को लेकर आंदोलन चल रहा है. किन्हीं जगहों पर तो लोग अधिकारियों से मिल रहे हैं. ऐसे में चलिए जानते हैं कि सरकारी और प्राइवेट स्कूलों की फीस में कितना अंतर है.

सरकारी स्कूलों में पूरी पढ़ाई जितनी कीमत, प्राइवेट में उतनी सिर्फ किताबों की

यदि सरकारी स्कूलों की बात करें तो ज्यादा स्कूलों में शिक्षा निशुल्क ही है. अगर किन्हीं स्कूलों में फीस जा भी रही है तो साल के 1200 -1300 रुपये ही फीस जाती है. इसके अलावा किताबों और कॉपियों का खर्चा अगर कुल मिलाकर बात की जाए तो यूपी के सरकारी स्कूलों में 12वीं क्लास की पढ़ाई का कुल खर्च 2000-2500 रुपये के आसपास होगा. वहीं, इसके उल्ट जब प्राइवेट स्कूलों की बात करें तो कितने में सरकारी स्कूल में बच्चा पूरे साल पढ़ ले, उससे ज्यादा की तो किताबें ही आ जाती हैं.

निजी स्कूलों में एडमिशन बना आम परिवार की जेब पर हमला

आपको बता दें,कि निजी स्कूलों ने आम लोगों को शिक्षा के नाम पर लूटने का ऐसा फार्मूला निकाला है कि पहली क्लास में ही बच्चे का दाखिला कराने का मतलब है लाखों रुपये. यूपी के आगरा में स्थित एक निजी स्कूल में पहली क्लास में पढ़ने वाले बच्चों की किताबें ही 3500 रुपये की आ रही हैं. जरा सोचिए जब किताबें ही 3500 की हैं तो स्कूल की फीस कितनी होगी? ऐसे स्कूल पहली क्लास में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावक से महीने के चार से पांच हजार रुपये वसूलते हैं. इसके अलावा एडमिशन के नाम पर अलग मोटा पैसा लिया जाता है.

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Author: Khabar 30 Din

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