दिल्ली की जेलों में कैदियों की अत्यधिक संख्या एक बार फिर चिंता का विषय बन गई है। इंडिया जस्टिस रिपोर्ट (आईजेआर) 2025 के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी की जेलों में बंद 91 प्रतिशत कैदी विचाराधीन हैं, यानी जिन पर मुकदमे अभी तक पूरे नहीं हुए हैं। यह रिपोर्ट टाटा ट्रस्ट की पहल पर तैयार की गई है, जिसमें कई नागरिक संस्थाओं और डेटा साझेदारों का सहयोग रहा है। रिपोर्ट में चार प्रमुख क्षेत्रों — पुलिस, न्यायपालिका, जेल और कानूनी सहायता — में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के प्रदर्शन का मूल्यांकन किया गया है।
आईजेआर 2025 के अनुसार, दिल्ली सहित कई राज्यों में विचाराधीन कैदियों की संख्या न्याय व्यवस्था की धीमी प्रक्रिया और कानूनी सहायता की कमी की ओर इशारा करती है। विशेषज्ञों ने इसे मानवाधिकारों के दृष्टिकोण से चिंताजनक बताया है और त्वरित न्याय प्रक्रिया की आवश्यकता पर ज़ोर दिया है।
2020 से 2022 तक लगातार 250 फीसदी से ज्यादा कैदी
रिपोर्ट से एक चिंताजनक प्रवृत्ति सामने आई. उसमें कहा गया है कि दिल्ली की 16 जेलों में से तीन में 2020 से 2022 तक लगातार 250 फीसदी से ज्यादा कैदी भरे हुए हैं. कुल मिलाकर, राजधानी की जेलों में एक दशक से ज्यादा समय से कैदियों की संख्या उसकी क्षमता से 170 फीसदी से ज्यादा है. रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘दिल्ली की जेलों में 2012 से कैदियों की संख्या लगातार 170 फीसदी से ज्यादा रही है. 2022 में, इसकी 15 फीसदी जेलों में 250 फीसदी से ज्यादा कैदियों की संख्या रही. तीन जेलों में 2020 से कैदियों की संख्या लगातार 250 फीसदी से ज्यादा रही है.’’
जेलों में चिकित्सा देखभाल की स्थिति भी संकटपूर्ण
रिपोर्ट में कहा गया है कि कर्मचारियों की कमी से संकट और बढ़ गया है. दिल्ली में कुल जेल कर्मचारियों की संख्या में 27 फीसदी की कमी देखी गयी है, जिसमें सुधार से जुड़े कर्मचारियों के 60 फीसदी और ज्यादाारियों के 34 फीसदी पद रिक्त हैं. यहां की जेलों में चिकित्सा देखभाल की स्थिति भी संकटपूर्ण है, 18,000 कैदियों के लिए केवल 90 डॉक्टर हैं – यानी औसतन 206 कैदियों के लिए एक डॉक्टर है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि शत फीसदी वीडियो कॉन्फ्रेंस सुविधाओं से लैस होने के बावजूद, कारावास पर अत्यधिक निर्भरता, विशेष रूप से विचाराधीन कैदियों के मामले में, प्रणाली में बाधा उत्पन्न कर रही है. आईजेआर ने तत्काल आधारभूत सुधारों की मांग की है तथा न्याय प्रदाय को आवश्यक सेवा मानने पर जोर दिया है.
