May 23, 2025 8:38 pm

FASTag का समय समाप्त, 15 दिनों में आ रहा नया GPS टोल सिस्टम, गडकरी का ऐलान – NO MORE FASTAG

भारत सरकार फास्टैग और टोल बूथों के स्थान पर जीपीएस आधारित तकनीक से नई टोल कलेक्शन सिस्टम शुरू करने की तैयारी में है.
FASTag

नई दिल्ली: 1 मई 2025 से सड़कों पर यात्रा करना और भी आसान हो जाएगा. केंद्र सरकार एक नई GPS-आधारित टोल कलेक्शन सिस्टम शुरू करने जा रही है. इसके लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली FASTag प्रणाली से दूर जाने की तैयारी कर रहा. इसके साथ ही सैटेलाइट मॉडल को अपनाएगा जो वाहन की यात्रा की दूरी के आधार पर टोल की गणना करता है.

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि नई टोल नीति 15 दिनों के भीतर घोषित की जाएगी, जिसका काम मई में शुरू होने की उम्मीद है.

GPS से टोल कलेक्शन
ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) के नाम से जाना जाने वाला नया टोल कलेक्शनसिस्टम जल्द ही FASTags की जगह लेगा, जो 2016 से उपयोग में है. भले ही FASTags ने टोल लेन-देन में तेजी ला दी है. लेकिन टोल प्लाजा पर तकनीकी गड़बड़ियों के कारण देरी और लंबी कतारें लग गईं. इसके अलावा सिस्टम को गड़बड़ियों और शिकायतों का भी सामना करना पड़ा है, जिससे इसे और अधिक कुशल अपग्रेड की आवश्यकता है.

हाल ही में, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने नागपुर में पुष्टि की कि GNSS-आधारित सिस्टम अप्रैल के अंत तक शुरू हो जाएगा. कुछ देरी के बाद पहले इसे 1 अप्रैल को लॉन्च किए जाने की उम्मीद थी. अब केंद्र अगले 15 दिनों के भीतर इसे शुरू करने की योजना बना रहा है.

GNSS-आधारित टोल सिस्टम कैसे काम करता है?
FASTag की तरह, जो RFID तकनीक का उपयोग करता है और इसके लिए विंडशील्ड पर टैग की आवश्यकता होती है. GNSS सैटेलाइट के माध्यम से वाहन की आवाजाही को ट्रैक करके काम करता है. ऑन-बोर्ड यूनिट (OBU) या ट्रैकर से सुसज्जित कारों की उनके सटीक राजमार्ग उपयोग के लिए निगरानी की जाएगी. और टोल शुल्क की गणना यात्रा की गई दूरी के आधार पर की जाएगी और लिंक किए गए डिजिटल वॉलेट से स्वचालित रूप से काट ली जाएगी. नई टोल कलेक्शन सिस्टम से प्रीपेड और पोस्टपेड दोनों बिलिंग विकल्पों का समर्थन करने की उम्मीद है.

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