May 23, 2025 9:09 pm

पहलगाम हमला: स्थानीय मृतक के परिजन बोले- हम सभी मरनेवालों का शोक मना रहे हैं

हपतनार, अनंतनाग (जम्मू-कश्मीर): 55 वर्षीय बेबी जान, एक मंद रोशनी वाले कमरे के कोने में बैठी अपने सबसे बड़े बेटे सैयद आदिल हुसैन के शव का इंतजार करते हुए खामोश बैठी आंसू बहा रही हैं. सैयद पहलगाम आतंकी हमले के 26 मृतकोंं में से एक है.

आदिल, जिनकी एकमात्र नवजात बेटी का हाल ही में निधन हो गया था, मंगलवार (22 अप्रैल) को दक्षिण कश्मीर के रिसॉर्ट में हुए हमले में मारे गए एकमात्र कश्मीरी नागरिक थे. उनकी जिन परिस्थितियों में हत्या हुई, शायद वे हमलावरों के इरादे को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.

आदिल हुसैन. (फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट)

इस संबंध में आदिल की चाची खालिदा परवीन ने द वायर से कहा, ‘हम सिर्फ़ आदिल की मौत पर शोक नहीं मना रहे हैं, हम उन सभी पर्यटकों के लिए रो रहे हैं, जो पहलगाम में मारे गए. पूरा कश्मीर शोक में है. सरकार को तब तक चैन से नहीं बैठना चाहिए जब तक अपराधियों को सज़ा नहीं मिल जाती.’

आदिल की मां बेबी जान, जो केवल गोजरी भाषा बोलती हैं, ने बताया कि उनका बेटा मंगलवार की सुबह घर से – अनंतनाग जिले के हापतनार गांव से – पहलगाम के लिए निकला था, जहां वह दिहाड़ी मजदूरी करता था. आदिल पर्यटकों को बैसरन और दक्षिण कश्मीर के हेल्थ रिसॉर्ट के अन्य स्थानों पर घुड़सवारी करवाता था.

जान ने कहा, ‘घोड़े का मालिक उसे प्रतिदिन 300-400 रुपये देता था. सर्दियों में वह जम्मू जाकर काम करता था. इसी तरह वह हमारे परिवार को चला रहा था. मुझे नहीं पता कि उसके बिना हम कैसे जिंदा रहेंगे. हमारी दुनिया ही उलट गई है.’

आदिल के पिता सैयद हैदर हुसैन शाह ने कहा कि उनके दूसरे बेटे सैयद नौशाद हुसैन, जो पहलगाम में एक निजी ड्राइवर के रूप में काम करते हैं, ने मंगलवार को शाम करीब 4 बजे उन्हें फोन किया और पूछा कि क्या आदिल काम पर गया है. अपने काम की प्रकृति के कारण आदिल हर शाम हपतनार स्थित अपने घर लौट आते थे, जबकि उनके भाई नौशाद अक्सर रिसॉर्ट में ही रुक जाते थे, क्योंकि पर्यटक अपने होटलों में देर से लौटते थे.

शाह ने बताया, ‘मुझे लगा कि कुछ गड़बड़ है और मैंने आदिल को फोन किया, लेकिन उसने फोन नहीं उठाया. फिर, पहलगाम में काम करने वाले मेरे एक भतीजे ने फोन करके बताया कि आदिल हमले में घायल हो गया है. शाम को करीब 10 बजे हमें पता चला कि आदिल अब नहीं रहा.’

पहलगाम में टट्टूवाला एसोसिएशन के अध्यक्ष अब्दुल वहीद वानी ने द वायर से बात करते हुए कहा कि वह घटना के करीब 45 मिनट बाद बैसरन में घटनास्थल पर पहुंचे थे.

मालूम हो कि मुख्य पहलगाम से सात किलोमीटर की ऊबड़-खाबड़ पगडंडी के अंत में स्थित लोकप्रिय ऑफबीट घास का मैदान सड़क मार्ग से नहीं जाया जा सकता, वहां पहुंचने का एकमात्र तरीका पैदल, घोड़े पर या हेलिकॉप्टर से है.

अपने बेटे के शव का इंतज़ार करते हुए बेबी जान अपने घर पर ग़मगीन बैठी हैं.

वानी ने कहा, ‘मैंने स्थानीय पुलिस को पर्यटकों को बैसरन भेजने से रोकने के लिए कहा, पूरे मैदान में लाशें बिखरी पड़ी थीं. हमने घायलों को घोड़े पर लादकर पहलगाम भेजा, जहां से उन्हें अलग-अलग अस्पतालों में भेजा गया. जब हमला हुआ, तब इलाके में करीब 1,000-1,500 लोग थे.’

वानी ने कहा, ‘यह खिलते हुए बगीचे पर ओले गिरने के समान है. पहलगाम में सैकड़ों लोग पर्यटन क्षेत्र में काम करके आजीविका कमाते थे. यह हमला हमारी आजीविका को नष्ट करने वाला है.’

रिपोर्ट के अनुसार, हमले में मारे गए 26 लोगों में एक नेपाली नागरिक भी शामिल है. सत्रह अन्य घायल हैं, जिनमें से दो की हालत गंभीर है. हमले के समय बैसरन में मौजूद एक टट्टू सवार ने बताया कि गोलीबारी पांच से सात मिनट तक चली और हमलावरों ने पर्यटकों को बेतरतीब ढंग से निशाना बनाया.

माना जा रहा है कि हमलावर पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा संगठन के एक अंग द रेजिस्टेंस फ्रंट के सदस्य हैं.

अनंतनाग जिले के हपतनार गांव में सैयद आदिल हुसैन के निधन पर शोक मनाते परिजन.

उन्होंने नाम न बताने की शर्त पर कहा, ‘मैं चीखें सुन सकता था और छिपकर भागा. मैंने हमलावरों को नहीं देखा, लेकिन पर्यटक हर जगह भाग रहे थे. कई पर्यटक गिर गए और उन्हें चोटें आईं, क्योंकि वे भागती भीड़ के साथ तालमेल नहीं बना पाए.’

बुधवार (23 अप्रैल) को जब आदिल का परिवार उसके शव के घर लौटने का इंतज़ार कर रहा था, तो गांव में खौफनाक सन्नाटा पसरा हुआ था. शोकाकुल परिवार के जर्जर, एक मंजिला घर के लॉन में सैकड़ों युवा और बूढ़े पुरुष और महिलाएं उनके पिता, मां और बहनों को सांत्वना देने के लिए इकट्ठा हुए थे, जबकि पड़ोसी और रिश्तेदार अंतिम संस्कार की तैयारी कर रहे थे.

घर के एक तरफ पुरुष समूहों में घूम रहे थे और एक-दूसरे से धीमी आवाज में बात कर रहे थे, जबकि घर के दूसरी तरफ महिलाएं लॉन में बिछी जूट की चटाई पर बैठी थीं और चुपचाप आंसू बहा रही थीं.

जीर्ण-शीर्ण इमारत शोक मनाने वालों से खचाखच भरी हुई थी और घर में जाने वाली टूटी हुई सीढ़ियों पर भी लोग बैठे थे. घर की लकड़ी की अटारी की खिड़की से एक युवा लड़की ने अपनी गर्दन बाहर निकाली और अपने सिर के दुपट्टे से अपने आंसू पोंछे. आदिल की मौसी परवीन ने आदिल की हाल ही में हुई शादी का जिक्र करते हुए कहा, ‘यह लड़की हाल ही में अपने दूल्हे के साथ इस घर में आई थी. अब वह उसके शव का इंतजार कर रही है.’

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Author: Khabar 30 Din

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