- प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा अब भी रोजगार का बड़ा जरिया है। अभी 73 लाख से अधिक मजदूर इसमें सक्रिय हैं। (फाइल)
केंद्र सरकार प्रदेश में मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना) के तहत जारी जॉब कार्ड का ऑडिट कराने जा रही है। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के निर्देश पर सरकार ने 30 नवंबर तक जॉब कार्ड के सत्यापन और अपडेशन के लिए विशेष अभियान शुरू किया है।
छत्तीसगढ़ के राज्य मनरेगा आयुक्त मोहम्मद केसर अब्दुलहक ने सभी कलेक्टर्स को इस संबंध में पत्र जारी किया है। उन्होंने जॉब कार्डों के सत्यापन और अपडेट करने के बाद राज्य मनरेगा कार्यालय को 10 दिसंबर तक जानकारी भेजने कहा है। इसमें कहा गया है, श्रमिक परिवारों को जारी जॉब कार्ड पांच साल के लिए वैध रहता है। इसकी वैधता की जांच कर आगे रिन्यूवल किया जाएगा।
जॉब कॉर्ड अगर नकली हो या संबंधित परिवार के सभी सदस्य दूसरे ग्राम पंचायत में स्थाई रूप से निवास कर रहे हो अथवा बहुत समय से गांव में निवास नहीं कर रहे हों तो उस परिवार का कार्ड निरस्त भी किया जा सकता है। बताया जा रहा है, इस प्रक्रिया में रोजगार के संबंध में कई सालों से दूसरे प्रदेशों में रह रहे गरीब परिवारों को इस प्रक्रिया में कुछ परेशानी हो सकती है। हालांकि अधिकारियों का कहना है, अगर संबंधित परिवार का कोई भी सदस्य गांव में रहता है तो जॉब कार्ड निरस्त नहीं होगा।
यह जानकारी की जानी है अपडेट
संबंधित श्रमिक परिवार द्वारा किए गए कार्य की मांग। उसे उपलब्ध कराए गए कार्य दिवस की संख्या। मस्टररोल का क्रमांक। उनसे लिए गए काम का विवरण। बेरोजगारी भत्ते के संबंध में जानकारी। किए गए कार्य की तारीख एवं दिनों की संख्या। मजदूरी भुगतान की दिन वार जानकारी तथा विलंबित क्षतिपूर्ति के भुगतान। इन बिंदुओं को इस अभियान के तहत अपडेट किया जाना है।
प्रदेश में 42 लाख से ज्यादा जॉब कार्ड
मनरेगा कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश में इस समय 42 लाख 68 हजार जॉब कार्ड प्रचलन में हैं। इन पर 98 लाख 98 हजार मजदूर पंजीकृत हैं। इनमें से 35 लाख 24 हजार जॉब कार्ड ही सक्रिय हैं। यानी इतने जॉब कार्ड पर पंजीकृत परिवार ने काम मांगा है और उसे मिला है। सक्रिय मजदूरों की संख्या 73 लाख 3 हजार बताई जा रही है।