February 19, 2025 4:58 am

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चंद्रमा को पत्नी रोहिणी से प्यार करने की मिली थी सजा, ससुर ने दे दिया था कुरूप होने का श्राप

पौराणिक कथाओं के अनुसार, चंद्रमा का विवाह प्रजापति दक्ष की 27 पुत्रियों के साथ हुआ था. चंद्रमा अपनी सुंदरता और तेज के लिए जाने जाते थे. लेकिन, उनका हृदय केवल रोहिणी के प्रति आसक्त था. वे अपना सारा समय रोहिणी के साथ बिताते थे और अपनी अन्य पत्नियों की उपेक्षा करते थे. यह देखकर दक्ष की अन्य पुत्रियां बहुत दुखी हुईं और उन्होंने अपने पिता से इसकी शिकायत की. प्रजापति दक्ष अपनी पुत्रियों का दुख देखकर क्रोधित हो गए.

प्रजापति ने चंद्रमा को दिया था श्राप

प्रजापति ने चंद्रमा को समझाने की कोशिश की, लेकिन चंद्रमा पर इसका कोई असर नहीं हुआ. आखिरकार, क्रोधित दक्ष ने चंद्रमा को श्राप दे दिया कि वे अपनी सारी सुंदरता और तेज खो देंगे और क्षय रोग से पीड़ित हो जाएंगे. श्राप के कारण चंद्रमा का तेज फीका पड़ गया और वे धीरे-धीरे क्षीण होने लगे.

चंद्रमा ने की थी भगवान शिव की तपस्या

चंद्रमा अपनी इस दशा से बहुत दुखी हुए. उन्होंने ब्रह्मा जी से प्रार्थना की, जिन्होंने उन्हें भगवान शिव की आराधना करने की सलाह दी. चंद्रमा ने भगवान शिव की कठोर तपस्या की. उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें श्राप से मुक्त कर दिया, लेकिन आंशिक रूप से. भगवान शिव ने कहा कि चंद्रमा का तेज पूरी तरह से वापस नहीं आएगा, लेकिन वे कृष्ण पक्ष में घटेंगे और शुक्ल पक्ष में बढ़ेंगे. इस प्रकार, चंद्रमा की कलाएं घटने और बढ़ने लगीं.

कुछ कथाओं में यह भी वर्णन है कि चंद्रमा को श्राप इसलिए मिला था क्योंकि उन्होंने देवताओं के गुरु बृहस्पति की पत्नी तारा का अपहरण कर लिया था.
चंद्रमा को ‘चंद्र’, ‘सोम’, ‘निशाचर’, ‘शशि’ आदि नामों से भी जाना जाता है.
चंद्रमा का ज्योतिष में भी महत्वपूर्ण स्थान है. इसे मन और भावनाओं का कारक माना जाता है.

Khabar 30 Din
Author: Khabar 30 Din

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