नई दिल्ली: पहालगाम में 22 अप्रैल को हुए हमले को एक महीना बीत चुका है, लेकिन राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) अब भी उन आतंकवादियों की तलाश में जुटी है जिन्होंने जम्मू-कश्मीर के इस पर्यटक स्थल पर 26 नागरिकों — 25 पर्यटकों और एक स्थानीय व्यक्ति — की हत्या कर दी थी. इस हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव काफी बढ़ गया था.
हमले के कुछ दिन बाद ही जम्मू-कश्मीर पुलिस से जांच अपने हाथ में लेने वाली एनआईए को अब तक कोई ठोस सुराग नहीं मिला है. एजेंसी अब गवाहों से पूछताछ कर रही है और तकनीकी निगरानी के जरिए डेटा की जांच कर रही है.
शक है कि इस हमले में कम से कम पांच आतंकी शामिल थे, जिनमें से तीन पाकिस्तान से थे. प्रशासन ने कम से कम तीन आतंकियों के स्केच जारी किए हैं और उनकी जानकारी देने वालों को 20 लाख रुपये के इनाम की घोषणा की गई है.
इंडियन एक्सप्रेस ने एक सूत्र के हवाले से लिखा है, ‘जम्मू-कश्मीर पुलिस ने शुरुआत में आतंकियों के स्केच जारी किए थे. फिर एनआईए ने नया केस दर्ज कर गवाहों से पूछताछ शुरू की. अब तक 150 स्थानीय लोगों से पूछताछ हो चुकी है, जिनमें टट्टू चलाने वाले, दुकानदार, फ़ोटोग्राफ़र और एडवेंचर स्पोर्ट्स में काम करने वाले शामिल हैं.’
एनआईए ने उस स्थानीय व्यक्ति से भी पूछताछ की है, जिसने घटना से करीब 15 दिन पहले उस इलाके में दुकान खोली थी लेकिन हमले के दिन दुकान बंद रखी थी. सूत्र ने कहा, ‘अब तक उसके खिलाफ कुछ ठोस नहीं मिला है, पूछताछ जारी है.’
जांच के दौरान एनआईए ने घटनास्थल से एकत्र किए गए मोबाइल डेटा, जिसमें पीड़ितों के परिजनों और अन्य पर्यटकों द्वारा खींचे गए वीडियो और तस्वीरें शामिल हैं — को खंगालना शुरू किया है. एजेंसी ने गवाहों और दुकानदारों के बयानों के आधार पर बैसरन घाटी का 3डी मैपिंग भी किया है.
एक अधिकारी ने कहा, ‘इससे यह समझने में मदद मिलेगी कि हमलावर कितनी देर तक वहां थे, कहां से आए और कहां से गए. इसी तरह की 3डी मैपिंग एनआईए ने 2019 के पुलवामा हमले की जांच में भी की थी.’
हमले के बाद, जम्मू-कश्मीर पुलिस ने बड़े पैमाने पर छापेमारी शुरू की और सैकड़ों लोगों को हिरासत में लिया, जिनमें ओवरग्राउंड वर्कर भी शामिल थे. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि हिरासत के पीछे दो मकसद थे: ‘पहला — हमले से जुड़ी कोई जानकारी हासिल करना और दूसरा — यह संदेश देना कि ऐसे हमलों की भारी कीमत चुकानी पड़ेगी और इन्हें बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. यह संदेश देना जरूरी था ताकि भविष्य में इस तरह के हमलों को रोका जा सके.’
हालांकि अधिकारी ने यह भी स्वीकार किया, ‘पहले उद्देश्य के लिहाज़ से कोई खास प्रगति नहीं हुई है.’
एक अन्य अधिकारी ने बताया कि ज़्यादातर हिरासत में लिए गए लोगों को रिहा कर दिया गया है. ‘हालांकि, कुछ ऐसे लोग जो पहले ओवरग्राउंड वर्कर के रूप में काम कर चुके हैं, उन्हें पीएसए (जन सुरक्षा अधिनियम) के तहत बुक किया गया है.’
उन्होंने कहा कि पुलिस और एनआईए को ‘कई लोगों’ के बारे में जानकारी मिली थी, लेकिन ज़्यादातर सुराग झूठे निकले. ‘एक मामले में, एक पर्यटक ने तीन लोगों का वीडियो पोस्ट किया था, जिनकी शक्ल हमलावरों से मिलती-जुलती थी और उन्हें बेताब घाटी (पहालगाम के पास) में देखा गया था. उन्हें पकड़ा गया और बाद में छोड़ दिया गया क्योंकि कुछ खास नहीं मिला.’
एक अन्य अधिकारी ने बताया कि सर्च ऑपरेशन को पहलगाम से आगे बढ़ाकर दक्षिण कश्मीर के अधिकांश जंगलों तक फैलाया गया है.
अधिकारी ने यह भी कहा कि हमले के पहले कुछ दिनों में सुरक्षाबलों को आतंकियों के डिजिटल फुटप्रिंट मिले थे और उनकी बातचीत को ट्रेस किया गया था. ‘लेकिन ऐसा लगता है कि अब वे पूरी तरह ऑफलाइन हो चुके हैं.’
हमले के बाद दक्षिण कश्मीर में हुए दो अलग-अलग अभियानों में सेना और पुलिस ने छह स्थानीय आतंकियों को मार गिराया है, जिनमें टीआरएफ (द रेजिस्टेंस फ्रंट) का एक टॉप कमांडर भी शामिल था. पुलिस का कहना है कि यही संगठन पहलगाम हमले के पीछे है.
