दिल्ली की उत्तर पूर्वी लोकसभा सीट इस समय चर्चा का केंद्र बनी हुई है। चर्चा होने के पीछे दो कारण है।
पहला कारण है कि दिल्ली की सात लोकसभा सीटों में से एक यही ऐसी सीट है जहां के वर्तमान सांसद मनोज तिवारी को दुबारा टिकट दिया गया है, जबकि भाजपा ने बाकी 6 सीटों पर नए उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है।
दूसरी चर्चा इसलिए हो रही है कि इस सीट पर इंडिया ब्लॉक की तरफ से जेएनयू के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार को टिकट देने की तैयारी की जा चुकी है। मनोज तिवारी और कन्हैया कुमार दोनों ही पूर्वांचल के रहने वाले हैं, और इस लोकसभा क्षेत्र में पूर्वांचल की वोटें सबसे ज्यादा हैं। ऐसे में माना यही जा रहा है कि इस बार इस लोकसभा सीट पर कांटे की टक्कर देखने को मिलेगी। उत्तर पूर्वी लोकसभा सीट से दो बार से लगातार सांसद रहे मनोज तिवारी की राह अब इतनी आसान क्यों नहीं रहने वाली है,और कन्हैया कुमार के आने से इस सीट का समीकरण क्या होने वाला है! आगे बढ़ने से पहले बता दें कि 2008 में यह लोकसभा क्षेत्र अस्तित्व में आया था, जबकि लोकसभा का पहला चुनाव यहां पर 2009 में हुआ था। उस समय जयप्रकाश अग्रवाल कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर चुनाव जीते थे, लेकिन 2014 और 2019 में मनोज तिवारी ने यहां से जीत का परचम लहराया।
हालांकि 2014 में भाजपा प्रत्याशी मनोज तिवारी को आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी आनंद कुमार ने कड़ी टक्कर दी थी। मनोज तिवारी जहां लगभग 7 लाख वोट पाए थे वही आनंद कुमार को तकरीबन साढ़े चार लाख वोटें हासिल हुईं थीं। 2019 में मनोज तिवारी को लगभग साढ़े सात लाख वोट मिले थे जबकि कांग्रेस की दिग्गज नेता शीला दीक्षित को साढे तीन लाख वोटें हासिल हुईं थीं। वही आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी दिलीप पांडे को लगभग पौने दो लाख वोटें मिली थीं। कुल मिलाकर 2019 में इस लोकसभा सीट से तीन प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे, जबकि इस बार दो ही मुख्य प्रत्याशी इस बार चुनाव मैदान में होंगे।
भाजपा नेतृत्व वाली एनडीए गठबंधन से मनोज तिवारी तीसरी बार चुनाव लड़ने जा रहे हैं जबकि इंडिया ब्लॉक की तरफ से कन्हैया कुमार के नाम पर लगभग मुहर लग चुकी है, इस बार आम आदमी पार्टी और कांग्रेस दोनों मिलकर दिल्ली में चुनाव लड़ रही हैं। यहां बता दें कि उत्तर पूर्वी लोकसभा क्षेत्र में तकरीबन 75% हिंदू वोटर हैं जिसमें अनुसूचित जाति के वोटर लगभग 16% हैं, जबकि मुस्लिम वोटरों की संख्या लगभग 21% के आसपास है। जातिगत समीकरणों के आधार पर देखा जाए तो टक्कर बराबर की दिखाई दे रही है। अब बात करते हैं, दोनों प्रत्याशियों के पृष्ठभूमि की। दोनों प्रत्याशी यानी मनोज तिवारी और कन्हैया कुमार बिहार से ताल्लुक रखते हैं। मनोज तिवारी की शिक्षा दीक्षा जहां बनारस में हुई तो वहीं कन्हैया कुमार की शिक्षा दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में हुई। उन्होंने जेएनयू से पीएचडी किया, साथ ही साथ वो जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष भी रहे।
युवाओं में उनका अच्छा खासा क्रेज है। उनके बारे में एक बात सर्वविदित है कि कन्हैया कुमार वक्ता अच्छे हैं। किसी भी विषय पर अपनी बातों को बहुत मजबूती से और बहुत स्पष्ट रूप से रखते हैं। बतौर वक्ता, कन्हैया कुमार, मनोज तिवारी पर भारी पढ़ते हुए दिखाई देते हैं। मनोज तिवारी, भोजपुरी के अच्छे गायक हैं, भोजपुरी फिल्मों के अभिनेता हैं, वह एक सेलिब्रिटी हैं, जबकि कन्हैया कुमार ने छात्र यूनियन से राजनीति में प्रवेश किया है। ऐसे में उत्तर पूर्वी लोकसभा सीट पर इस जबरदस्त टक्कर देखने को मिल सकती है। अगर इस लोकसभा क्षेत्र के युवाओं ने कन्हैया कुमार के पक्ष में अपनी रुझान दिखा दी तो, मनोज तिवारी की राह आसान नहीं हो पाएगी।आज यानी शनिवार को कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक होने वाली है और पूरी संभावना है कि उत्तर पूर्वी लोकसभा सीट से कन्हैया कुमार के नाम का ऐलान कर दिया जाएगा, अगर ऐसा होता है तो देश की बाकी हॉट सीटों के साथ-साथ दिल्ली की उत्तर पूर्वी लोकसभा सीट पर भी सबक़ी नजरें टिंकी रहेंगी।