December 8, 2024 1:36 am

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मायावती: पुराने तेवरों की वापसी से मिलते नए संकेत, क्या होगा असर?

उत्तर भारत में दलित मूवमेंट खड़ा करने वाले कांशीराम ने जिस पार्टी के ज़रिए बहुजन समाज को सत्ता के गलियारों में स्थापित किया, क्या मायावती वह चमत्कार दोबारा करने की तैयारी में हैं?

पिछले कुछ दिनों में इसको लेकर यूपी की राजनीति में एक बार चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है. दरअसल, इस नई उम्मीद की वजह मायावती के पुराने तेवर की वापसी है. एक अरसे की सियासी चुप्पी के बाद दलित समाज की बड़ी चिंता को आवाज़ देने के लिए मायावती ने फिर बोलना शुरू कर दिया है.पिछले कुछ सालों के बाद यह पहला मौका तब आया जब मायावती पिछले महीने फिर से पार्टी की अध्यक्ष चुनी गईं.

इस मौके पर मायावती ने न सिर्फ़ केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट के एसएसी-एसटी के उपवर्गीकरण वाले फ़ैसले के बहाने घेरा, बल्कि 1995 के गेस्ट हाउस कांड पर कांग्रेस पर चुप रहने का आरोप लगाकर खोई ज़मीन दोबारा हासिल करने के अपने मंसूबे को भी जताया.

मायावती ने कहा कि उनके विरोधी यह अफ़वाह फैला रहे हैं कि वह राजनीति से रिटायर होने वाली हैं लेकिन ऐसा नहीं है बहुजन समाज पार्टी को राजनीतिक मज़बूती देना उनका मिशन है जिसके लिए पार्टी प्रदेश के सभी उपचुनाव लड़ेगी. इसके अलावा पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में भी वह अपने उम्मीदवार खड़ा करेगी. गाहे-बगाहे उनके संन्यास पर लगने वाले कयासों पर मायावती ने एक्स पर लिखा था, “सक्रिय राजनीति से मेरा संन्यास लेने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता है.”

”जबसे पार्टी ने श्री आकाश आनन्द को मेरे ना रहने पर या अस्वस्थ विकट हालात में उसे बीएसपी के उत्तराधिकारी के रूप में आगे किया है तबसे जातिवादी मीडिया ऐसी फ़ेक़ न्यूज़ प्रचारित कर रहा है जिससे लोग सावधान रहें.”

बीएसपी ने दिल्ली-हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखंड और जम्मू-कश्मीर के चुनावों में दमखम से उतरने की पूरी तैयारी कर रखी है

बीएसपी ने दिल्ली-हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखंड और जम्मू-कश्मीर के चुनावों में दमखम से उतरने की पूरी तैयारी कर रखी है

आगामी राज्य चुनावों पर है नज़र

दरअसल दिल्ली-हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखंड और जम्मू-कश्मीर के चुनाव के लिए बीएसपी तैयारी कर रही है.

मायावती ने एससी-एसटी के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर केंद्र सरकार को घेरते हुए कहा, “जन अपेक्षा के अनुसार पुरानी व्यवस्था बहाल रखने के लिए केन्द्र द्वारा अभी तक कोई ठोस क़दम नहीं उठाना दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है.” कोर्ट के फ़ैसले के बाद भारत बंद का आह्वान किया गया था जिसका प्रदेश में मिला जुला असर रहा. हालांकि इस बंद पर विपक्षी समाजवादी और कांग्रेस दोनों का समर्थन था लेकिन बीएसपी ने इस मुद्दे के ज़रिए अपनी राजनीतिक ज़मीन को फिर से हासिल करने की कोशिश की है. 2024 के लोकसभा चुनाव में बीएसपी का खाता नहीं खुल पाया जबकि 2019 में पार्टी के पास दस सांसद थे. यही हाल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भी हुआ. 2022 के विधानसभा चुनावों में पार्टी का सिर्फ एक विधायक ही जीत पाया.

2019 में बीएसपी ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन के तहत चुनाव लड़ा था लेकिन पिछला लोकसभा चुनाव उसने अकेले ही लड़ा. इन चुनावों में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी, इंडिया अलायंस के घटक के तौर पर मैदान में थीं. मायावती ने इस अलायंस का हिस्सा बनने से इंकार कर दिया था. वो विपक्ष की इंडिया अलायंस और केन्द्र में सत्ताधारी एनडीए दोनों से ही सामान दूरी बनाये रखने की बात करती रही हैं.

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