December 6, 2024 9:08 am

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क्यों अयोध्या में हारी भाजपा?, जानिए बड़े कारण

अयोध्या, श्रीराम जन्मभूमि और रामलला…ये तीन लोकसभा चुनाव में खूब गूंजे। भाजपा नेताओं और खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बार-बार अपनी रैलियों में यह दोहराया कि हमने अपना वादा पूरा किया।

500 सालों के लंबे इंतजार के बाद अयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर बना। प्राण-प्रतिष्ठा को मेगा इवेंट बनाया गया। अयोध्या के दम पर भाजपा ने पूरे देश में जीत का बिगुल फूंका था। लेकिन उसी अयोध्या में भाजपा उम्मीदवार लल्लू सिंह को हार का सामना करना पड़ा है।

समाजवादी नेता अवधेश प्रसाद ने लल्लू सिंह को करीब 31800 से हरा दिया है। हालांकि चुनाव आयोग ने आधिकारिक पुष्टि नहीं है। शाम 5 बजे तक के चुनाव आयोग के अनुसार, अवधेश प्रसाद से लल्लू सिंह 48 हजार वोटों से पीछे चल रहे थे।

 चुनाव आयोग के आधिकारिक आंकड़े।

क्यों अयोध्या में हारी भाजपा?, जानिए बड़े कारण
जमीन अधिग्रहण: अयोध्या में नए घाट से रामलला मंदिर तक सड़क को चौड़ा किया गया। इसकी वजह से सड़क के दोनों तरफ के घर और दुकानों को तोड़ा गया। इससे लोगों में काफी आक्रोश रहा। जानकारों का कहना है कि अयोध्या के विकास के लिए जिस तरह से जमीनों का अधिग्रहण किया गया, उसे लेकर जनता में नाराजगी रही।

आरक्षण का मुद्दा: कांग्रेस और सपा ने अपनी हर रैली में आरक्षण और संविधान का मुद्दा उठाया, जो काम कर गया। खुद लल्लू सिंह ने बयान दिया था कि भाजपा को 400 सीट इसलिए चाहिए, क्योंकि संविधान बदलना है। उनका यह बयान न सिर्फ उनके लिए बल्कि भाजपा के लिए भी नुकसानदायक साबित हुआ।

कैंडिडेट के खिलाफ गुस्सा: लल्लू सिंह 2014 और 2019 में सांसद रहे। लेकिन उन्होंने न तो जनता के बीच अपनी पहुंच सुलभ की और न ही विकास के काम में रुचि दिखाई। वह सिर्फ पीएम मोदी के चेहरे पर लड़ रहे थे। इसके अलावा महंगाई और बेरोजगार का मुद्दा भी काम करता दिखा।

बसपा का कमजोर उम्मीदवार उतारना: लल्लू सिंह की हार की एक वजह बसपा का कमजोर होना रहा। बसपा ने यहां ब्राह्मण उम्मीदवार सच्चिदानंद पांडेय को उतारा था। बसपा का वोट बैंक एकतरफा इंडी गठबंधन की तरफ शिफ्ट हो गया। यही वजह रही कि बीजेपी अपना पिछले प्रदर्शन नहीं दोहरा पाई।

मुस्लिम वोटर एकजुट: कांग्रेस और सपा गठबंधन 2017 विधानसभा चुनाव में सफल नहीं रहा था, लेकिन इस बार लोकसभा चुनाव में काम कर गया। मुस्लिम वोट एकजुट होकर इंडी गठबंधन के पक्ष में गया। वहीं जिस हिंदू वोट के सहारे बीजेपी को जीत मिल रही थी, इंडी गठबंधन उसे बांटने में कामयाब रही। बसपा का दलित वोट, ओबीसी और ब्राह्मण व ठाकुर वोटों की नाराजगी भी एक वजह रही, जिसकी वजह से बीजेपी को बड़ा झटका लगा।

कौन हैं अवधेश प्रसाद?
अवधेश प्रसाद, सपा संरक्षक रहे मुलायम सिंह यादव के करीबी नेताओं में एक रहे हैं। अवधेश प्रसाद 1977 में जनता पार्टी से अपने सियासी सफर की शुरुआत की थी। वह 9 बार विधायक रहे। समाजवादी पार्टी सरकार में वे 6 बार मंत्री रहे। 2017 के विधानसभा चुनाव में वह बीजेपी की लहर में मिल्कीपुर सीट नहीं बचा पाए थे। लेकिन 2022 में वह चुनाव जीतकर 9वीं बार विधायक बने थे।

बुलडोजर वाला कानून भी एक कारण

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