NEET परीक्षा में ग्रेस मार्क्स देने का मामला अब अदालत पहुंच गया है.ग्रेस मार्क्स देने के NTA के फैसले के खिलाफ याचिका दायर की गई है. ये याचिका पहले तो दिल्ली हाईकोर्ट में लगाई गई. लेकिन इब यह सुप्रीम कोर्ट में भी दायर हो चुकी है.
याचिका में 1 हजार 563 उम्मीदवारों को ग्रेस मार्क्स देने के फैसले को चुनौती दी गई है. सुप्रीम कोर्ट में एनटीए के खिलाफ याचिका दायर करने वाले शख्स का नाम जरीपते कार्तिक है. कार्तिक आंध्र प्रदेश के रहने वाले हैं और एक परीक्षार्थी के तौर पर वह इस बार के परीक्षा में शामिल हुए थे.
कार्तिक ने अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री से जल्द सुनवाई की गुहार लगाई है. इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने NTA से इस मसले पर जवाब मांगा था. दिल्ली हाईकोर्ट में इस पूरे विवाद पोर 12 जून को सुनवाई तय है. सुप्रीम कोर्ट में जरीपते कार्तिक के अलावाआंध्रप्रदेश के रहने वाले अब्दुल्ला मोहम्मद फैज़ व अन्य ने भी याचिका दायर की है. याचिका में 5 मई को हुई परीक्षा को रद्द करने की मांग की गई है और इसे नए सिरे से कराने की मांग की है.
याचिका में इस पूरे मामले की जांच SIT से कराने की मांग की गई है.इसके अलावा मोजूदा नतीजों के आधार पर कांसलिंग पर रोक लगाने की मांग की गई है.इससे पहले छात्रा शिवांगी मिश्रा और अन्य ने भी इसी तरह की याचिका दायर की थी.
NTA ने आरोपों पर क्या कहा?
उधर विवाद बढ़ता देख एनटीए यानी नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने ऐलान किया है कि शिक्षा मंत्रालय ने चार सदस्यीय एक पैनल का गठन कर दिया है. यह पैनल एनटीए के फैसलों की हो रही आलोचना नए सिरे से परखेगा. एनटीए ने किसी भी तरह के अनियमितता की बात को नकारा है. एनटीए का कहना है कि उनसे परीक्षा सेंटर पर छात्रों को कम समय मिलने के एवज में ग्रेस मार्क्स देने का फैसला किया है. इसके अलावा भी एनटीए ने कुछ वजहें गिनवाई हैं.
एनटीए को लेकर यह विवाद तब और बढ़ गया जब कई राजनीतिक दलों ने मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए आयोजित होने वाले इस परीक्षा की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा किया. आम आदमी पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट की देखरेख मे एक विशेष जांच समिति बनाने की मांग की है. वहीं कांग्रेस पार्टी ने इसके बहाने पेपर लीक, प्रतियोगी परीक्षाओं में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया है और इन्हें भारत की परीक्षा पद्धति का हिस्सा करार दिया है.
