- तत्कालीन कलेक्टर को 70 लाख कमीशन
- ED के रडार पर होंगे वन विभाग के अधिकारी ?
बिलासपुर। कटघोरा वन मंडल में DMF (डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड) के 2021-22 के फंड का गंभीर दुरुपयोग का मामला सामने आया है, जिसमें 1.80 करोड़ रुपये का वारा न्यारा किया गया। लेंटाना उन्मूलन कार्य के लिए आवंटित इस राशि का अधिकांश हिस्सा कथित तौर पर बिना किसी कार्य के ही आहरित कर लिया गया। पूरे प्रकरण में कमीशनखोरी का आरोप लगा है, जिसमें तत्कालीन कोरबा कलेक्टर रानू साहू को 70 लाख रुपये का कमीशन मिलने की बात सामने आई है। अब इस घोटाले के कई वन अधिकारी ED (प्रवर्तन निदेशालय) के निशाने पर हैं।
सूत्रों के मुताबिक, ED द्वारा कोरबा जिले की दो महिला अधिकारियों – पूर्व कलेक्टर रानू साहू और सहायक आयुक्त माया वारियर – को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। बताया जा रहा है कि माया वारियर ने इस मामले में कई महत्वपूर्ण जानकारी दी है, जिसके बाद अब जांच एजेंसी वन विभाग के अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों तक भी पहुंच सकती है। इस घोटाले का केंद्र लेंटाना उन्मूलन का वह कार्य है, जिसे केवल कागजों में ही पूरा किया गया था, और फर्जी बाउचर बनाकर पूरे बिल पास कर दिए गए थे।
60-40% कमीशन का खेल..?
इस मामले की तहकीकात में खुलासा हुआ है कि DMF फंड के नाम पर विभिन्न ठेकों में 60-40% कमीशन की पॉलिसी का पालन किया गया। वन विभाग के अधिकारियों और अन्य कर्मचारियों पर स्वीकृत कार्यों की राशि का 40% कमीशन लेने का आरोप है। वहीं, निजी ठेकेदारों से 15-20% का अतिरिक्त कमीशन भी लिया गया, जिससे DMF फंड का अधिकांश हिस्सा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया। ED का कहना है कि यह घोटाला योजनाबद्ध तरीके से किया गया, जिसमें कई अधिकारी और निजी ठेकेदारों की मिलीभगत है।
तत्कालीन वनमंडल अधिकारी पर संदेह..
जांच में तत्कालीन वनमंडल अधिकारी की भूमिका भी संदेहास्पद पाई गई है। उनके कार्यकाल के दौरान कई योजनाओं और DMF फंड के नाम पर भारी वित्तीय अनियमितताएं हुईं, जिनका कोई ठोस रिकॉर्ड तक नहीं रखा गया। बताया जा रहा है कि 2019 से 2022 के बीच कई घोटाले हुए हैं, जिनकी जांच अब तक अधूरी है। इस दौरान कई ऐसे टेंडर व अन्य योजनाओं में किए कार्यों को किया गया हैं, जिनका उद्देश्य सिर्फ धन की हेराफेरी करना था। इसी कारण 2019 से 2022 तक में कई महीनों का केश बुक भी नहीं लिखा गया,जिसका कारण वन मंडल में हुआ घोटाला ही है।राज्य के एजी (महालेखाकार) टीम द्वारा की गई प्रारंभिक जांच में भी DMF फंड का रिकॉर्ड अधूरा और संदिग्ध पाया गया है।
ED की कार्रवाई से मचा हड़कंप..
ED ने पहले ही रानू साहू और माया वारियर को गिरफ्तार कर लिया है, जिनसे पूछताछ में इस घोटाले के कई अहम खुलासे हुए हैं। सूत्रों कि मानें तो माया वारियर के बयान के अनुसार, रानू साहू ने कलेक्टर रहते हुए वन मंडल कटघोरा में DMF फंड से हुए लेंटाना उन्मूलन के कार्य में 70 लाख रुपये की रिश्वत ली थी। अब ED की नजर वन विभाग के अन्य अधिकारियों पर भी है, जिनकी संलिप्तता को लेकर संदेह जताया जा रहा है। ED ने राज्य सरकार को इस मामले में पूरी रिपोर्ट सौंपने का निर्णय लिया है ताकि इस घोटाले की गहन जांच की जा सके।
क्या है DMF फंड घोटाला?
DMF फंड का उद्देश्य खनिज संपन्न जिलों के विकास में निवेश करना है, जिसमें प्राथमिकता से आदिवासी क्षेत्रों के कल्याण और बुनियादी सुविधाओं का विकास किया जाता है। लेकिन कटघोरा वन मंडल में इस फंड का बड़ा हिस्सा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया। ED के अनुसार, DMF के फंड का उपयोग केवल कागजों पर दिखाया गया, और बिना काम किए ही सरकारी खजाने से धन निकाला गया।
क्या ED करेगी और जांच ?
इस घोटाले में कई अधिकारी और ठेकेदार शामिल बताए जा रहे हैं, जिनकी मिलीभगत से फर्जी बिल बनाकर सरकारी राशि का गबन किया गया। ED क्या अब कटघोरा वन मंडल के इस घोटाले की तह तक जाकर सभी दोषियों को कानून के दायरे में लाया जाएगा। राज्य के कई और जिलों में भी DMF फंड में ऐसी अनियमितताओं की जांच होनी बाकी है।
सौजन्य-बीबीसी लाईव