- ई-कुबेर प्रणाली में तकनीकी सुविधा बनी दुविधा!
- वन विभाग का कामकाज ठप, मजदूरों को नहीं मिल रहा भुगतान
अब्दुल सलाम क़ादरी-एडिटर इन चीफ
छत्तीसगढ़ के वन विभाग में 1 अप्रैल 2024 से लागू की गई ई-कुबेर भुगतान प्रणाली तकनीकी खामियों के चलते विभागीय कामकाज को प्रभावित कर रही है। नई प्रणाली के तहत भुगतान अब ट्रेजरी की बजाय ई-कुबेर पोर्टल के माध्यम से किया जा रहा है। यह सुविधा अब दुविधा बन गया है। आए दिन सर्वर की समस्याओं के कारण मजदूरों के खातों में महीनों तक मजदूरी का भुगतान नहीं हो पा रहा है।
मजदूरों में असंतोष, कार्य बाधित
भुगतान में देरी के कारण मजदूरों में भारी असंतोष है। भुगतान न मिलने से मजदूर काम पर लौटने से परहेज कर रहे हैं, जिससे विभागीय कार्यों की गति ठप हो गई है। विभाग के कई प्रोजेक्ट और योजनाएं लंबित पड़ी हुई हैं। श्रमिकों का भी कहना है कि ई कुबेर की वजह से काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, जिसे बन्द करना चाहिए और ट्रेजरी भुगतान को शुरू करना चाहिए।
विभागीय प्रतिक्रिया
वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि ई कुबेर की वजह से मजदूरों को भुगतान करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। सरकार की मंशा क्या है यह कहना ठीक नहीं है लेकिन वन विभाग के सभी जिलों में ई-कुबेर दुविधा बनकर रह गई है। वन विभाग के अधिकारियों का यह भी कहना है कि ई-कुबेर प्रणाली की तकनीकी समस्याओं को हल करने के प्रयास जारी हैं। हालांकि, अभी तक कोई स्थायी समाधान नहीं निकला है। अधिकारियों ने स्वीकार किया कि भुगतान प्रक्रिया में आई रुकावट के कारण मजदूरों का सहयोग प्राप्त करना मुश्किल हो रहा है।
बजट खर्च पर संकट
वर्तमान वित्तीय वर्ष के केवल तीन महीने शेष रहते हुए विभाग ने अब तक अपने वार्षिक बजट का 40 प्रतिशत भी खर्च नहीं किया है। यदि यह समस्या शीघ्र सुलझाई नहीं गई, तो कई योजनाओं के लिए आवंटित बजट लैप्स होने का खतरा है।
समस्या समाधान की मांग
मजदूर संघों और विभागीय अधिकारियों ने राज्य सरकार से ई-कुबेर प्रणाली की खामियों को तुरंत ठीक करने और मजदूरों को समय पर भुगतान सुनिश्चित करने की अपील की है। उनका कहना है कि यदि जल्द समाधान नहीं किया गया, तो विभागीय कार्यों पर गंभीर असर पड़ सकता है और योजनाओं का क्रियान्वयन असफल हो सकता है।
क्या है ई-कुबेर
ई-कुबेर भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) का कोर बैंकिंग समाधान है, जो सरकारी लेन-देन, बैंकों और वित्तीय संस्थानों के साथ इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से कार्य करता है। यह सरकार और आरबीआई के बीच खातों का प्रबंधन, भुगतान और रियल-टाइम फंड ट्रांसफर सुनिश्चित करता है।