March 10, 2025 6:38 pm

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सीसीएफ बिलासपुर द्वारा मरवाही वन मंडल में लगे आरटीआई आवेदन को दबाने का आरोप: भ्रष्टाचार छुपाने के प्रयास का गंभीर मामला?

खबर 30 दिन न्यूज़ नेटवर्क

छत्तीसगढ़ के मरवाही वन मंडल में आरटीआई (सूचना का अधिकार) आवेदन को दबाने और जानकारी छुपाने का गंभीर मामला प्रकाश में आया है। आरोप है कि मरवाही वन मंडल के जन सूचना अधिकारी (PIO) ने एक आरटीआई आवेदन को यह कहकर खारिज कर दिया कि विभाग को कोई आवेदन प्राप्त ही नहीं हुआ है। इस दावे का समर्थन मुख्य वन संरक्षक (CCF) प्रभात मिश्रा ने भी किया। लेकिन जांच में सामने आया कि आवेदन ऑनलाइन माध्यम से भेजा गया था, जिसे जानबूझकर नकार दिया गया ताकि विभाग में हो रहे कथित भ्रष्टाचार और घोटालों को छुपाया जा सके।

ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया पर उठे सवाल

आरटीआई अधिनियम के तहत ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया पूरी तरह डिजिटल होती है, जिसमें आवेदनकर्ता को अपने आवेदन की एक यूनीक रसीद (Acknowledgment Receipt) प्राप्त होती है। यह रसीद प्रमाणित करती है कि आवेदन सफलतापूर्वक सबमिट किया गया है। इस प्रक्रिया में आवेदन का रिकॉर्ड स्वतः सिस्टम में दर्ज हो जाता है, जिसे विभाग द्वारा नकारा नहीं जा सकता।

इस मामले में आवेदनकर्ता ने दावा किया कि उसने नियमानुसार ऑनलाइन माध्यम से अपना आवेदन सबमिट किया था। इसके बावजूद मरवाही वन मंडल के जन सूचना अधिकारी ने दावा किया कि आवेदन प्राप्त नहीं हुआ है।

सीसीएफ प्रभात मिश्रा ने दिया गलत निर्णय

जन सूचना अधिकारी की बात को सही मानते हुए सीसीएफ प्रभात मिश्रा ने भी यह निर्णय सुना दिया कि कोई आवेदन प्राप्त नहीं हुआ है। लेकिन आरटीआई पोर्टल की प्रक्रिया के अनुसार, आवेदन के बिना उसका रिकॉर्ड सिस्टम में दिखना संभव ही नहीं है। इससे साफ जाहिर होता है कि आवेदन प्राप्त होने के बावजूद अधिकारियों ने जानबूझकर उसे नकारने का प्रयास किया।

डीएफओ और सीसीएफ पर मिलीभगत का आरोप

मामले में मरवाही डीएफओ और सीसीएफ प्रभात मिश्रा पर मिलीभगत के आरोप भी लगे हैं। आरोप है कि मरवाही वन मंडल में कथित तौर पर हुए लाखों-करोड़ों रुपये के भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए दोनों अधिकारियों ने संयुक्त रूप से आवेदन को गुप्त रखने का प्रयास किया। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि वन विभाग में कई वित्तीय अनियमितताएं हुई हैं, जिनकी जानकारी सार्वजनिक होने से बचने के लिए आरटीआई आवेदन को दबाया गया।

कथित भ्रष्टाचार के पीछे की कहानी

सूत्रों के अनुसार, मरवाही वन मंडल में वृक्षारोपण, लकड़ी कटाई, वन्यजीव संरक्षण योजनाओं और विकास कार्यों में बड़े पैमाने पर आर्थिक अनियमितताएं सामने आई हैं। आरटीआई के जरिए इन संदिग्ध लेन-देन और गड़बड़ियों का खुलासा होने की आशंका थी, जिसके चलते अधिकारियों ने आवेदन को दबाने की कोशिश की।

जनता की मांग: निष्पक्ष जांच हो

इस मामले के सामने आने के बाद सामाजिक कार्यकर्ताओं और स्थानीय नागरिकों में आक्रोश है। उन्होंने मांग की है कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच करवाई जाए ताकि घोटालों का पर्दाफाश हो सके और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई हो।

सूचना के अधिकार का दुरुपयोग: एक गंभीर चिंता

आरटीआई अधिनियम देश में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कानून है। यदि अधिकारी ही इस कानून का उल्लंघन कर जानकारी छुपाने का प्रयास करेंगे, तो जनता का प्रशासनिक तंत्र पर भरोसा कमजोर होगा।

निष्कर्ष

मरवाही वन मंडल का यह मामला केवल एक आरटीआई आवेदन के दबाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्टाचार को छुपाने के प्रयास का संकेत देता है। अब देखना होगा कि प्रशासन इस मामले पर क्या कदम उठाता है और क्या सच सामने आ पाता है या नहीं।

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