June 15, 2025 5:19 pm

भारत अब बनाएगा ब्रह्मोस-II, ऑपरेशन सिंदूर के बाद हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल पर तेज़ी से काम शुरू

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान पर सटीक और प्रभावी हमले के बाद चर्चा में आई ब्रह्मोस मिसाइल को लेकर भारत अब एक कदम और आगे बढ़ रहा है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) अब इसकी पीढ़ी की मिसाइल ब्रह्मोस-II के निर्माण में जुट गया है। यह मिसाइल पहले से कहीं ज्यादा घातक, तेज और खतरनाक मानी जा रही है।

हाल ही में पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर में सफल प्रयोग के बाद चर्चा में आई ब्रह्मोस मिसाइल के बाद भारत अब इससे भी अधिक घातक हथियार प्रणाली विकसित करने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ रहा है। सूत्रों के मुताबिक, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) अब अगली पीढ़ी की हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस-II के निर्माण में जुट गया है। यह मिसाइल अपने पूर्ववर्ती ब्रह्मोस से कई गुना ज्यादा तेज, खतरनाक और एडवांस होगी।

स्क्रैमजेट तकनीक में मिली सफलता
DRDO ने इस दिशा में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत ने स्वदेशी स्क्रैमजेट इंजन तकनीक में अहम प्रगति की है, जो हाइपरसोनिक मिसाइलों के लिए बेहद जरूरी मानी जाती है। यह तकनीक मिसाइल को मैक 6 से मैक 7 (यानी ध्वनि की गति से 6-7 गुना तेज) की रफ्तार तक ले जाने में सक्षम होगी।

2008 में ही हो गया था प्रोजेक्ट का ऐलान
ब्रह्मोस-II प्रोजेक्ट जिसे करीब एक दशक पहले ब्रह्मोस एयरोस्पेस ने तैयार किया था. हालांकि इसको लेकर कई तरह की बाधाएं भी आईं. इसमें रूस की शुरुआत में एडवांस हाइपरसोनिक तकनीक साझा करने में अनिच्छा और भारतीय सशस्त्र बलों की प्रति मिसाइल की अधिक लागत को लेकर चिंता भी शामिल थी.

साल 2008 में ही ब्रह्मोस-II प्रोजेक्ट की घोषणा कर दी गई थी और इसका परीक्षण 2015 तक होने की उम्मीद थी. लेकिन इस प्रोजेक्ट में कई कारणों से देरी हुई, जिसमें मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (MTCR) के सदस्य होने के नाते रूस शुरू में 300 किमी से अधिक दूरी वाली तकनीक साझा नहीं कर सकता था. लेकिन साल 2014 में भारत के MTCR का सदस्य बन जाने से यह स्थिति बदल गई. लेकिन दुनिया में एडवांस हाइपरसोनिक हथियारों की बढ़ती रुचि और प्रतिस्पर्धा ने इस प्रोजेक्ट में नई जान फूंक दी, जिससे दोनों देश अपने सामरिक रक्षा रूख को मजबूत करने के लिए सहयोग बढ़ाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं.

ब्रह्मोस मिसाइलः नई पीढ़ी की उड़ान
हालिया ब्रह्मोस मिसाइल, भारत और रूस के संयुक्त उद्यम ब्रह्मोस एयरोस्पेस (1998 में स्थापित) का परिणाम है. इसे दुनिया का सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल माना जाता है, जो मैक 3.5 की गति तक पहुंच सकती है और 290 से 800 किलोमीटर तक की दूरी तय कर सकती है. यह भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना के बेड़े में शामिल है और इसे जमीन, पानी, हवा और पनडुब्बी के ऑपरेशनल इस्तेमाल के हिसाब से डिजाइन किया गया है.

इस मिसाइल की सटीकता, लो रडार विजिबिलिटी और “फायर-एंड-फॉरगेट” तकनीक ने इसे भारत की रक्षा रणनीति का एक सबसे अहम हथियार बना दिया है. इसका इस्तेमाल पिछले महीने पाकिस्तान और पोक में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान किया गया था. ब्रह्मोस का निशाना इतना सटीक था कि इसने अपने सारे लक्ष्य हासिल कर लिए.

ब्रह्मोस-II जो है भविष्य का मिसाइल
ब्रह्मोस-II (जिसे ब्रह्मोस-2 या ब्रह्मोस मार्क-II भी कहा जाता है) मिसाइल तकनीक के क्षेत्र में यह एक बड़ा कदम है. इसकी स्पीड मैक 6 से 8 के बीच है जबकि इसकी मारक क्षमता 1,500 किमी तक है. ये हाइपरसोनिक स्पीड पर लगातार उड़ान भरेगी और टारगेट को डिस्ट्रॉय करेगी.

इसका डिजाइन रूस की 3M22 जिरकॉन से इंस्पायर्ड है, जो मैक 9 की गति से चलती है और यह रूसी नौसेना का हिस्सा भी है. ब्रह्मोस-II में स्क्रैमजेट इंजन लगा होगा, जो वर्तमान ब्रह्मोस के रामजेट सिस्टम से कहीं अधिक एडवांस है. माना जा रहा है कि ब्रह्मोस-II का वजन करीब 1.33 टन हो सकता है, जो एयर-लॉन्च ब्रह्मोस-A (2.65 टन) से करीब आधा है. यह भारत के स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) तेजस के साथ कई एयरक्राफ्ट में लगाई जा सकेगी.

Khabar 30 Din
Author: Khabar 30 Din

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