प्रतीक मिश्रा
शहडोल। जिले में अवैध कोयला खनन कुटीर उद्योग की तरह बन गया है। इस अवैध कारोबार से सैकड़ो लोग जुड़े है और इसमें नेताओं से लेकर पुलिस की भी मिलीभगत की बात सामने आती है। इसके बावजूद यह धंधा वर्षों से जारी है। वहीं इस कारोबार में ग्रामीणों के घायल होने की बात आम हो गई है और मौत की खबर भी सामने आते रहती है लेकिन इस कारोबार पर अंकुश लगाना पुलिस के लिए चुनौती बना हुआ है।
अवैध उत्खनन का मुख्य केंद्र
सोहागपुर थाना क्षेत्र में कोयले के अवैध उत्खनन का केंद्र मुख्य रूप से हरदी, देवगवां, नवलपुर, डालाघाट, शिव मंदिर के पीछे है। जहां से प्रतिदिन आधा सैकड़ा ट्रैक्टर की मदद से कोयले को लोड कर ले जाया जाता है। इस अवैध धंधे का सरगना गांव का एक दबंग बताया जाता है। वहीं इस अवैध कारोबार में पुलिस की मिलीभगत के कारण इस पर अंकुश नहीं लग पा रहा है।

इस तरह चल रहा पूरा खेल
नगर से सटे ग्रामीण क्षेत्रों में तत्कालीन एसपी के रहते कोयला का अवैध धंधा बन्द था लेकिन समय के साथ हरी झंडी मिलने के बाद फिर अवैध कारोबार चालू हो गया है। कोयले का काला खेल इस तरह चल रहा है कि पहले जगह चिन्हित कर गिरोह के सदस्य कोयला की खुदाई ग्रामीणों के माध्यम से कराते है और उसे एक स्थान पर एकत्रित करते है। दूसरे गिरोह के सदस्य एक निश्चित स्थान पर एकत्रित कोयले को ट्रैक्टर पर लोड कर गिरोह के संचालक के पास पहुंचाते हैं। जहां से गिरोह का संचालक ट्रकों पर लोड कर इसे बाहर भेजता है। जिले के बाहर अवैध कोयला को वैद्य तरीके से भेजने के लिए फर्जी चालान भी तैयार किया जाता है या एक ही चालान के माध्यम से कई वाहन अवैध तरीके से बाहर भेजे जाते है।
मजदूरों की बड़ी संख्या
कोयले के अवैध कारोबार में ग्रामीण क्षेत्र के सैकड़ों ग्रामीणों के जुड़े रहने का अनुमान है। बताया गया है कि हाल ही में चालू हुए कोयले के अवैध कारोबार में जुड़े लोगों की संख्या बढ़ी है। प्रतिदिन दिहाड़ी मजदूरी करने वाले और अन्य कामों लगे कई लोग अब अपने मूल काम को छोड़ कर इस धंधे में लग गए है। कोयले के अवैध कारोबार से जुड़ने का मुख्य कारण ये है कि प्रतिदिन उन्हें 8 घंटे मजदूरी करने पर 200 से 200 रुपये की मजदूरी मिलती है। लेकिन कोयले के धंधे में कार्य करने पर मजदूरी 500 से 1000 रुपये मिल जाता है।
वर्दीधारी का संरक्षण
जानकारों की माने तो इस पूरे रैकेट को संरक्षण देने में सोहागपुर थाने में पदस्थ प्रधान आरक्षक के मिली भगत से यह अवैध कारोबार चल रहा है। इसकी पुष्टि पुलिसकर्मी के मोबाइल में गाड़ी छुड़ाने संबंधित से लेकर थाने से संबंधित कई साक्ष्य कैद है। अगर इसकी जांच की जाए तो दूध का दूध पानी का पानी साफ नजर आएगा। ज्ञात हो कि यह लालफीता पुलिस कर्मी पर इसके पहले भी कई आरोप लगे है और इनकी खासियत यह है कि यह अगर थाने में पदस्थ हुए तो सिर्फ अपने गुर्गों के माध्यम से काले कारनामे को अंजाम देने में पीछे नहीं हटते है। बताया गया है कि इनदिनों बिना वर्दी वाले प्रधान आरक्षक पंडित की वर्तमान थाना प्रभारी से मधुर संबंध है और दोनों की मिली भगत से थाना क्षेत्र में अवैध उत्खनन जोरों पर है।
