दिल्ली के सीएम केजरीवाल ने बिजली बिल को लेकर बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में कई महीने मीटर रीडर, रीडिंग नहीं लेने गए। जो पुराने बिल गलत आ रहे हैं, उनको ठीक किए जाएं।
उन्होंने कहा कि आज लोग जल बोर्ड के चक्कर काट रहे हैं। जल बोर्ड में रिश्वत दे दो, बिल ठीक हो जाता है। बिल भरने की जरूरत नहीं, फाड़ कर फेंक दो, मैं हूं।
कांग्रेस-आप गठबंधन पर क्या बोली BJP?
लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) के बीच हुए सीट बंटवारे को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने आरोप लगाया कि यह कदम बताता है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का दिल्लीवासियों से संबंध टूट गया है।
प्रदेश भाजपा प्रमुख वीरेंद्र सचदेवा ने एक बयान में कहा, “केजरीवाल का कांग्रेस के साथ गठबंधन दर्शाता है कि उनका दिल्लीवासियों से नाता टूट गया है। आम आदमी पार्टी जानती है कि दिल्ली की ग्रामीण आबादी, व्यापारी और दलित उनके साथ नहीं है।”
उन्होंने कहा कि कांग्रेस के साथ गठबंधन करने का फैसला करके, दिल्ली विधानसभा की 70 में से 62 सीटें जीतने वाले मुख्यमंत्री ने बताया दिया है कि उन्होंने लगभग आधी दिल्ली का विश्वास खो दिया है।
सचदेवा ने कहा कि दिल्ली के लोग आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस के चुनावी गठबंधन से हैरान हैं। उन्होंने दावा किया कि गठबंधन के बावजूद, भाजपा दिल्ली की सभी सात लोकसभा सीटें बड़े अंतर से जीतेगी।
उन्होंने कहा कि दिल्ली की जनता हैरान है कि कुछ दिन पहले तक कांग्रेस और आप दोनों एक-दूसरे को भ्रष्ट कहते थे और आज उन्होंने गठबंधन कर लिया।
दोनों दलों ने शनिवार को बताया कि दिल्ली में आप चार और कांग्रेस तीन सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इसके अलावा वे गुजरात, गोवा व हरियाणा में भी सीट बंटवारे पर सहमत हो गए हैं।
साल 2019 और 2014 के लोकसभा चुनावों में दिल्ली की सभी सातों सीटें भाजपा ने जीती थी। वहीं, दिल्ली से भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने आप और कांग्रेस पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि केजरीवाल के नेतृत्व वाली पार्टी गठबंधन में सीट बंटवारे के फॉर्मूले से निराश हो गई है।
उन्होंने कहा, “केजरीवाल ने कांग्रेस पर बार-बार हमला किया और उसे दिल्ली की सत्ता से बाहर कर दिया, लेकिन अब वे गठबंधन कर रहे हैं। गठबंधन दोनों दलों की निराशा को भी दर्शाता है। इन दलों ने अपने फायदे के लिए गठबंधन किया।”
तिवारी ने आरोप लगाया कि आप को “लोगों की भलाई की कोई परवाह नहीं है।” उन्होंने कहा कि दोनों दलों के हाथ मिलाने का मतलब यह नहीं है कि वे अधिक वोट हासिल कर लेंगे।