देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ आज चुनाव आयोग की उस अर्जी पर सुनवाई करेगी, जिसमें आयोग ने पिछली तारीखों पर सौंपे गए दो सीलबंद लिफाफे को वापस करने की मांग की है।
आयोग ने अपनी याचिका में कहा है कि उसने 12 अप्रैल 2019 और 2 नवंबर, 2023 को पारित आदेशों के अनुसार शीर्ष न्यायालय के समक्ष इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़े दस्तावेजों के दो सीलबंद लिफाफे सौंपे थे, उसे वापस कर दिए जाएं।
इस मामले पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने आयोग को दोनों लिफाफे लौटाने को मंजूरी दे दी है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री पहले उन लिफाफों के दस्तावेजों को स्कैन कर अपने रिकॉर्ड में रख ले, उसके बाद मूल प्रति चुनाव आयोग को लौटा दे। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा है कि आयोग उन दस्तावेजों को भी 17 मार्च तक वेबसाइट पर अपलोड करे।
चुनाव आयोग ने शीर्ष अदालत से कहा था कि चूंकि उसने उन दस्तावेजों की कोई प्रति अपने पास नहीं रखी है, इसलिए उनके द्वारा दाखिल दस्तावेजों की सीलबंद प्रतियां उसे वापस कर दी जानी चाहिए, ताकि वह अदालत के 11 मार्च के आदेश के अनुसार उसे अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर सके।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 11 मार्च, 2024 को सुनवाई के दौरान भारतीय स्टेट बैंक को 12 मार्च तक चुनावी बॉन्ड डेटा का खुलासा करने और उसे निर्वाचन आयोग को सौंपने का आदेश दिया था। कोर्ट ने आयोग को 15 मार्च तक स्टेट बैंक से प्राप्त इलेक्टोरल बॉन्ड से संबंधित जानकारी को अपनी वेबसाइट पर अपलोड करने का आदेश दिया था।
इन बॉन्ड्स में राजनीतिक दलों को मिले चंदों की जानकारी है। इसके बाद चुनाव आयोग ने 14 मार्च को अपनी वेबसाइट पर चंदा देने वालों की लिस्ट अपलोड कर दी है। भारतीय स्टेट बैंक द्वारा सौंपे और चुनाव आयोग द्वारा अपलोड किए गए दस्तावेज के मुताबिक, एक अप्रैल 2019 से 15 फरवरी, 2024 के बीच दानदाताओं ने कुल 22,217 चुनावी बॉण्ड खरीदे, जिनमें से 22,030 बॉण्ड को भुनाया गया। शीर्ष अदालत में दायर एक अनुपालन हलफनामे में, एसबीआई ने कहा था कि अदालत के निर्देश के अनुसार, उसने 12 मार्च को व्यावसायिक कामकाज बंद होने से पहले भारत निर्वाचन आयोग को चुनावी बॉण्ड का विवरण उपलब्ध करा दिया है।