दिल्ली: असम कांग्रेस अध्यक्ष भूपेन बोरा, जिन्हें भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान कथित नियमों के उल्लंघन के मामले में पिछले महीने असम सीआईडी द्वारा तीन बार तलब किया गया है, ने मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा पर उन्हें डराने-धमकाने का प्रयास करने का आरोप लगाया है.
पिछले महीने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की यात्रा जब असम पहुंची थी तो राज्य की हिमंता बिस्वा शर्मा सरकार के साथ उसकी सीधी टक्कर देखी गई थी. यात्रा के दौरान गांधी के खिलाफ एक
भी दर्ज की गई थी, भाजपा कार्यकर्ताओं ने भी उनके काफिले का घेराव कर ‘ के नारे लगाए थे; कांग्रेस सांसद जयराम रमेश की गाड़ी पर हमला हुआ था; और गुवाहाटी में पुलिस के साथ झड़प में बोरा भी घायल हुए थे.
इसके बाद, बोरा को गुवाहाटी में झड़प के दौरान हुए संपत्ति के नुकसान के लिए राज्य सीआईडी द्वारा तीन बार तलब किया गया है, इसके साथ ही जोरहाट पुलिस थाने ने उन्हें तय मार्ग का उल्लंघन करने के लिए तीन बार तलब किया गया.
इस बीच, कांग्रेस की असम इकाई में हाल के हफ्तों में कई नेता पार्टी छोड़कर गए हैं, जिनमें जिसमें दो पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष कमलाख्या डे पुरकायस्थ (जिन्होंने भाजपा के लिए अपना समर्थन घोषित किया और बाद में पार्टी से इस्तीफा दे दिया) और विधायक बसंत दास के नाम शामिल हैं.
प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राणा गोस्वामी और महासचिव सुरुज देहिंगिया भी भाजपा में शामिल हो गए हैं.
द वायर के साथ एक साक्षात्कार में बोरा ने इसे ‘अस्थायी झटका’ कहा और कहा कि शर्मा ‘खरीदने और धमकाने की दो नीतियों’ का उपयोग कर रहे हैं.
उन्होंने कहा, ‘अब वह अप्रत्यक्ष रूप से मुझे धमकी दे रहे हैं. वरना जोरहाट पुलिस थाना और सीआईडी मुझे लगातार क्यों बुला रहे हैं?’
बोरा बोले, ‘मैं एक मानसिक रूप से मजबूत व्यक्ति हूं. अगर मैं जेल जाता हूं तो भी मुझे कोई परवाह नहीं है, लेकिन कुछ लोगों को परवाह होती है.’
उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा सरकार द्वारा लोकसभा चुनाव से पहले नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के नियमों को अधिसूचित करने के चलते असम – जो 2019 में विरोध प्रदर्शन के केंद्र में था- ‘इंडिया’ गठबंधन को वोट देना पसंद करेगा.
नहीं, मैं नहीं गया. हां, मुझे तीसरी बार सीआईडी नोटिस मिला, लेकिन मैंने उनसे बार-बार कहा कि जब तक मैं टिकट वितरण की प्रक्रिया पूरी नहीं कर लेता, मैं नहीं जा सकता. असम कांग्रेस अध्यक्ष होने के चलते मैं फिलहाल समय नहीं निकाल सकता. आप मुझे गिरफ्तार कर सकते हैं (और) फिर मैं अपनी पार्टी के वरिष्ठ सदस्यों में से किसी एक को प्रभार दे सकता हूं, लेकिन जब तक मैं टिकट वितरण प्रक्रिया पूरी नहीं कर लेता, मेरे पास सीआईडी कार्यालय जाने का समय नहीं है.
उसके बाद मुझे कोई सर्कुलर नहीं मिला. मैंने (असम की) केवल 13 सीटों की घोषणा की है, एक पर फैसला होना बाकी है. उसके बाद अगर वे मुझे बुलाएंगे तो मैं जरूर जाऊंगा.’
उन्होंने (असम पुलिस) जोरहाट पुलिस थाने में मेरे खिलाफ आठ धाराओं के तहत मामले दर्ज किए हैं, जिनमें से दो गैर-जमानती हैं. मैं पहले ही दो बार थाने जा चुका हूं, जहां उन्होंने मुझसे छह से सात घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की है. यात्रा के दौरान मुझ पर हमला भी हुआ.
यात्रा उसी जगह हुई जहां मोदी ने बड़ी रैलियां कीं और उसी मार्ग का उपयोग किया जिसका जेपी नड्डा ने किया था, लेकिन राहुल जी को रोक दिया गया. इसलिए विरोध के प्रतीक के तौर पर हमने तीन बैरिकेड तोड़ दिए. इसमें छिपाने की कोई बात नहीं है क्योंकि यह टीवी कैमरे के सामने हुआ. कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में यह मेरा कर्तव्य था क्योंकि मेरे नेता गुवाहाटी शहर जाने का इंतजार कर रहे थे.
गुवाहाटी प्रेस क्लब ने औपचारिक रूप से राहुल जी को आमंत्रित किया था इसलिए हम सिर्फ मीडिया से मिलने के लिए वहां जाने की कोशिश कर रहे थे.
शुरू से ही मुख्यमंत्री ने सबसे पहले मुझे खरीदने की कोशिश की. सीएम के कई करीबी लोगों ने मुझसे संपर्क किया और मुझसे पूछा, ‘आप क्या चाहते हैं, आपकी एनर्जी बर्बाद होगी, आपको हमारे साथ (भाजपा में) शामिल हो जाना चाहिए.’ छह महीने तक उन्होंने कोशिश की और जब उन्हें पता चला कि मैं अपनी विचारधारा और अपने पार्टी नेता के प्रति प्रतिबद्ध हूं, तो उन्होंने गुवाहाटी में मेरे घर को गिराने के तीन नोटिस भेजे. लेकिन नागरिक समाज के समर्थन के कारण मेरा घर अब भी वहीं है.
उन्होंने मेरी पत्नी, जो गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर हैं, का तबादला कर दिया, फिर उन्होंने मेरे भाई और मेरी भाभी का तबादला कर दिया और अंत में उन्होंने भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान मुझ पर शारीरिक हमला किया. उन्होंने मेरी सुरक्षा भी कम कर दी है. इसलिए पहले तो उन्होंने मुझे खरीदने की कोशिश की, लेकिन अब वे मुझे धमकाने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन मैं असम के लोगों और अपने नेतृत्व को आश्वस्त करता हूं कि मैं समझौता नहीं करूंगा.
मैं विधायकों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर सकता, क्योंकि वे एआईसीसी (अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी) के अधिकारक्षेत्र में आते हैं. राष्ट्रपति चुनाव के समय से (जब कांग्रेस विधायकों ने 2022 में विपक्षी उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के खिलाफ क्रॉस वोटिंग की), हम जानते हैं कि हिमंता बिस्वा शर्मा के एजेंट पार्टी के भीतर हैं. अब वे हमें छोड़कर जा रहे हैं.
मैंने पहले भी कहा है कि हम हिमंता बिस्वा-मुक्त कांग्रेस चाहते हैं. वह कई वर्षों तक कांग्रेस में थे और इसलिए पार्टी नेताओं से उनकी दोस्ती है. दूसरे पंक्ति में कई कांग्रेस नेता हैं जो अब आगे आएंगे. शायद यह एक अस्थायी झटका हो सकता है, क्योंकि हिमंता बिस्वा शर्मा दो नीतियां इस्तेमाल कर रहे हैं – खरीदना और धमकाना. अब वह अप्रत्यक्ष रूप से मुझे धमका रहे हैं. वरना क्यों जोरहाट पुलिस थाना और सीआईडी मुझे लगातार समन भेज रहे हैं? इसका मतलब है कि वे मुझे धमकी दे रहे हैं कि ‘या तो तुम सरेंडर कर दो या सजा के लिए तैयार रहो.’
मैं मानसिक रूप से मजबूत व्यक्ति हूं.अगर मैं जेल जाऊं तो मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता, लेकिन कुछ लोगों को पड़ता है.
ये 2019 का कानून है. चुनाव से ठीक पहले अधिसूचना पारित करने का कारण राजनीति से प्रेरित है. हमने तय किया है कि हम सड़क पर, अदालत में और चुनाव में इसके खिलाफ लड़ाई लड़ेंगे. इसलिए हमने सीएए के खिलाफ याचिकाएं दायर की हैं.
दूसरी बात, हमारा आंदोलन जारी है और हम सभी छात्र संगठनों से हाथ मिलाने को तैयार हैं. सभी 16 विपक्षी दलों का एक मंच, यूनाइटेड अपोजिशन फोरम ऑफ असम- जिसका मैं अध्यक्ष हूं- सीएए के खिलाफ लड़ने के लिए तैयार है. लेकिन जैसे-जैसे चुनाव आ रहे हैं, हम लोगों से अपील कर रहे हैं कि अगर आप सीएए नहीं चाहते हैं तो भाजपा के खिलाफ वोट करें.
सर्बानंद सोनोवाल (इस बार डिब्रूगढ़ से भाजपा द्वारा मैदान में उतारे गए हैं) हारेंगे क्योंकि वह सीएम थे जब 2019 में सीएए विरोध प्रदर्शन के दौरान पांच लोग मारे गए थे.
शर्मा ने यह भी कहा है कि असम 1971 तक काफी बोझ उठा चुका है, हम अब और नहीं सह सकते. वह दिया गया एक औपचारिक बयान था, अब केवल सत्ता के लिए वह असम के लोगों के साथ ऐसा कर रहे हैं. इसलिए मैं इसलिए मैं असम के लोगों से अपील कर रहा हूं कि अगर आप सीएए के खिलाफ हैं तो आपको इंडिया गठबंधन को वोट देना चाहिए.
सौजन्य द वायर