दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर डाला, इसमें उससे चुनाव आयोग और गृह मंत्रालय को राहुल गांधी, अखिलेश यादव और अरविंद केजरीवाल के विरुद्ध ऐक्शन लेने का निर्देश देने की अपील भी की गई थी।
याचिका में तीनों नेताओं पर भ्रामक और झूठे बयान देने का इल्जाम लगाते हुए बोला गया कि इससे सरकार और भारत की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। सुरजीत सिंह यादव द्वारा दायर याचिका में इल्जाम लगाया गया कि विपक्षी नेता भारत की निगेटिव इमेज बनाने का काम कर रहे है। कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए जमकर सुनाया और कहा कि भारतीय वोटर्स को कम न समझे।
खबरों कहना है कि याचिका में राहुल गांधी, अरविंद केजरीवाल के उन बयानों के बारें में भी था, जिसमें उन्होंने दावा किया कि केंद्र सरकार ने उद्योगपतियों के 16 लाख करोड़ रुपये के कर्ज माफ किए गए। इस याचिका को एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की डिविजन बेंच ने खारिज करते हुए दो टूक कहा कि भारतीय वोटर्स की की बुद्धिमता को कम नहीं आंका जाएगा। उन्हें पता है कि कौन सच बोल रहा और कौन झूठ।
हाई कोर्ट ने अपनी बात को जारी रखते हुए कहा है कि देश के लोगों को यह मालूम है कि कौन उनका नेतृत्व करने में लगा हुआ है और कौन उन्हें गुमराह। कोर्ट ने अपनी बात को आगे बढ़ते हुए कहा है कि, ”कोई गुमराह करेगा तो कोई नेतृत्व। लोग फैसला लेने वाले है। भारतीय वोटर्स को कम न आंकें।” एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन ने ये भी बोला है कि यदि कोई उद्योगपति या फिर कोई अन्य विपक्षी नेताओं के बयानों से आहत है तो वह कोर्ट का रुख कर सकता है। किसी तीसरी पार्टी की PIL की आवश्यकता नहीं है।
यह याचिका सुरजीत सिंह यादव नाम शख्स द्वारा दायर भी की जा चुकी थी। उनका दावा है कि वह सोशल एक्टिविस्ट और किसान हैं। याचिकाकर्ता ने इल्जाम लगाया है कि विपक्षी नेताओं के बयानों से भारत की निगेटिव इमेज बनी है और सेंट्रल गवर्नमेंट की विश्वसनीयता भी कम हुई है। उन्होंने आगे दावा किया कि इन बयानों के चलते विदेशी निवेश और पर्यटन पर भी प्रभाव पड़ सकता है। कोर्ट ने इस केस में अहम टिप्पणियां करते हुए याचिका को खारिज कर डाला।