December 5, 2024 12:59 am

लेटेस्ट न्यूज़

कांग्रेस ने महिला कल्याण योजनाओं को लागू करने में मोदी सरकार के रिकॉर्ड पर सवाल उठाया

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने महिलाओं और बच्चों के ख़िलाफ़ अपराध के दोगुना होने, बजट में महिला कल्याण योजनाओं में कमी और धन के कम उपयोग, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के कम वेतन और दुर्व्यवहार समेत बेरोज़गारी और आय में कमी का हवाला देते हुए बीते दस वर्षों में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय पर ‘भारी विफलताओं’ का आरोप लगाया है.

नई दिल्ली: अभिनेत्री और मंडी लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) उम्मीदवार कंगना रनौत के खिलाफ कांग्रेस की सोशल मीडिया प्रभारी सुप्रिया श्रीनेत के कथित आपत्तिजनक पोस्ट मामले के तूल पकड़ने के बाद कांग्रेस ने महिलाओं के लिए केंद्रित कल्याणकारी योजनाओं के बजट को कम करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार पर हमला किया.

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, कांग्रेस ने महिलाओं से जुड़ी पांच प्रमुख समस्याओं का हवाला देते हुए पिछले दस वर्षों में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय पर ‘भारी विफलताओं’ का आरोप भी लगाया.

सुप्रिया श्रीनेत ने कंगना के खिलाफ किए गए कथित पोस्ट के लिए बाद में स्पष्टीकरण भी जारी किया. उन्होंने बताया कि यह पोस्ट उनके द्वारा नहीं लिखी गई और उनका सोशल मीडिया एकाउंट हैक हो गया था.

इस बीच सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक लंबी पोस्ट में कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने विभिन्न महिला-केंद्रित योजनाओं को लागू करने में पिछले 10 वर्षों में मोदी सरकार के रिकॉर्ड पर सवाल उठाया.

उन्होंने कहा कि भाजपा के नारी शक्ति के नारे वास्तविक कार्रवाई के बिना खोखले शब्द बनकर रह गए हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि बीते 10 वर्षों से महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने केवल अक्षमता, उदासीनता और महिला विरोधी मानसिकता दिखाई है. देश भर में महिलाओं पर हमले के दौरान इस मंत्रालय की मंत्री स्वयं चुप्पी साधे रहती हैं. वह केवल विपक्ष शासित राज्यों में अपराधों के लिए जागती हैं. उनका मंत्रालय आवश्यक योजनाओं और मेहनती महिलाओं के हक़ का पैसा कहीं ओर भेज देता है.

अपनी पोस्ट में जयराम रमेश ने मोदी सरकार की पांच ‘विफलताओं’ का भी जिक्र किया. इसमें महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध का दोगुना होना, महिला कल्याणकारी योजनाओं के बजट में कमी और धन का कम उपयोग, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का कम वेतन और दुर्व्यवहार, सहित महिलाओं और बच्चों में बढ़ती एनीमिया और बेरोजगारी, आय में कमी जैसी समस्याओं की ओर ध्यान आकर्षित किया.

उन्होंने कहा, ‘पिछले 10 वर्षों में महिलाओं के खिलाफ अपराध लगभग दोगुना हो गया है. यह साल 2012 में 2.4 लाख से बढ़कर 2022 में 4.5 लाख हो गए हैं. उन्होंने आगे बताया कि महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने में निर्भया फंड इस्तेमाल नहीं हुआ है. हालांकि 2022 तक इस फंड का केवल 35 प्रतिशत ही इस्तेमाल किया गया था.

जयराम रमेश ने कई मुद्दों पर भाजपा सरकार की चुप्पी पर भी सवाल उठाया, जिसमें उन्होंने भाजपा सांसद बृजभूषण सिंह के खिलाफ महिला पहलवानों द्वारा दायर यौन उत्पीड़न की शिकायतें, गुजरात सरकार द्वारा बिलकीस बानो के दोषी बलात्कारियों की समयपूर्व रिहाई और मणिपुर में जातीय हिंसा के दौरान सामने आई यौन उत्पीड़न की घटनाओं का भी जिक्र किया.

महिलाओं से संबंधित मुद्दों पर केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा, ‘सबसे चिंताजनक बात यह है कि जब मणिपुर से हर दिन बलात्कार और हमले की एक नई रिपोर्ट आती है, तब प्रधानमंत्री और महिला एवं बाल विकास मंत्री पूरी तरह से निष्क्रिय बने हुए हैं. महिलाओं के साथ मारपीट के भयावह वीडियो सामने आने के बाद भी कोई सार्थक कार्रवाई नहीं की गई. अगर वह इन मुद्दों पर बोल भी नहीं सकती तो महिला एवं बाल विकास मंत्री वास्तव में क्या कर रही हैं?’

जयराम रमेश ने आगे बताया कि 2023-24 में, केंद्रीय बजट का केवल 0.55% आंगनबाड़ियों, पोषण योजनाओं, महिला सुरक्षा और बाल देखभाल संस्थानों के लिए आवंटित किया गया था. उन्होंने कहा कि यह प्रवृत्ति नई नहीं है. केंद्रीय बजट में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की हिस्सेदारी पिछले चार वर्षों से 0.75 प्रतिशत से कम रही है.

Khabar 30 Din
Author: Khabar 30 Din

Leave a Comment

Advertisement