भाजपा प्रदेश कार्यसमिति सदस्य दीपक यादव का एक पत्र बीते दो दिनों से इंटरनेट मीडिया पर खूब प्रसारित हो रहा। इस पत्र में उन्होंने पार्टी के द्वारा कार्यकर्ताओं की अनदेखी किए जाने पर आलाकमान को आड़े हाथों लिया है।
अपने पत्र में दीपक यादव ने कहा है कि बीते पांच वर्षों से उन्होंने एक सक्रिय कार्यकर्ता के रूप में पार्टी के लिए दिन-रात काम किया। उनके साथ एक-एक कार्यकर्ता को भी यह उम्मीद थी कि जब लोकसभा चुनाव में प्रतिनिधित्व की बारी आएगी तो वरीय पदाधिकारी कार्यकर्ताओं के त्याग और समर्पण का पूरा ख्याल रखते हुए उनके भावनाओं के अनुरूप प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारेंगे, लेकिन जब निर्णय की बारी आई तो कार्यकर्ताओं की भावनाओं का कोई ख्याल नहीं रखा गया।
बीजेपी नेता दीपक यादव। फाइल फोटो
‘यह सिर्फ मेरी पीड़ा नहीं बल्कि…’
उन्होंने लिखा कि इससे सपष्ट होता है कि पार्टी के लिए कार्यकर्ता अहमियत नहीं रखते। दीपक यादव ने पत्र के बावत कहा कि यह सिर्फ मेरी पीड़ा नहीं बल्कि पार्टी के एक एक कार्यकर्ता की पीड़ा है।
‘राजद से बात हुई है’
उन्होंने राजद से चुनाव लड़ने की अटकलों पर जवाब देते हुए कहा कि महागठबंधन ने उनके त्याग और कार्यों के मर्म को समझा है। उनसे बात हुई है। महागठबंधन किसको टिकट देती है। यह उनका निर्णय है। यदि जनता ने आवाज दी और महागठबंधन ने उनपर भरोसा जताया तो वे निश्चित रूप से चुनाव मैदान में होंगे।