भारत में सोना सिर्फ़ निवेश के लिए ही नहीं ख़रीदा जाता है बल्कि इसके सामाजिक और सांस्कृतिक कारण भी हैं.
हाल के सालों में सोने में निवेश करने का चलन बढ़ा है. स्टॉक बाज़ार में हलचल और अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता की चिंताओं की वजह से कई बार निवेशक सोने में निवेश को सुरक्षित मानते हैं.
लेकिन, हाल के समय में, सोने के दाम भी लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं. ऐसा कम ही होता है जब सोने के दाम में मामूली गिरावट दिखाई देती है.
चेन्नई में 24 कैरेट 10 ग्राम सोने की क़ीमत 70 हज़ार के ऊपर चली गई है, जबकि 22 कैरेट की क़ीमत 65,000 पार कर गई है.
सोने के दामों में आ रही तेज़ी की वजह बताते हुए मद्रास गोल्ड एंड डायमंड मर्चेंट्स एसोसिएशन के महासचिव शांता कुमार कहते हैं कि दामों में बदलाव की मुख्य वजह अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में हो रहे बदलाव हैं.
दाम क्यों बढ़ रहे हैं?
शांता कुमार कहते हैं, “दुनियाभर में सोने के दाम लंदन बुलियन मार्केट से तय होते हैं. ये दुनिया में सोने के लेनदेन का प्रीमियर प्लेटफार्म है. दुनिया में सोने का खनन करने वाले बड़े कारोबारी और उद्योगपति लंदन बुलियन मार्केट से जुड़े हैं. अब इस बाज़ार में सोने के दाम ऊपर जा रहे हैं, जिसका असर अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में सोने के दामों पर दिख रहा है.”
क़ीमती धातुओं और पदार्थों को अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में ट्रॉय औंस सिस्टम के तहत तौला जाता है. एक औंस में 31.1 ग्राम होते हैं.
वहीं, इस समय भारत का रुपया डॉलर के मुक़ाबले 83.40 पर कारोबार कर रहा है. यानी एक डॉलर की क़ीमत इस समय 83 रुपये से अधिक है.
डॉलर के मुक़ाबले रुपये की क़ीमत में आ रही गिरावट भी सोने का दाम बढ़ने की वजह है.
शांता कुमार के मुताबिक़, इसके अलावा और भी कई कारण हैं जिनकी वजह से सोने के दाम प्रभावित हो रहे हैं.
कुमार कहते हैं कि आयात शुल्क और वैश्विक स्तर पर युद्ध की स्थितियों ने भी सोने के दामों को प्रभावित किया है.
भारत सालाना लगभग 800 टन सोने का निर्यात करता है. भारत स्विटज़रलैंड, दक्षिण अफ़्रीका और दुबई जैसी जगहों से सोने का सर्वाधिक आयात करता है.
सोने में निवेश?
अमेरिकी अर्थव्यवस्था में संकट को भी शांता कुमार भारत के बाज़ार में सोने की क़ीमत बढ़ने की वजह मानते हैं.
शांता कुमार कहते हैं, “अमेरिका में बेरोज़गारी सूचकांक बहुत नीचे चला गया है. रियल एस्टेट सेक्टर में भी गिरावट आ रही है. शेयर बाज़ार में भी बढ़त की कोई ट्रेजेक्टरी दिखाई नहीं दे रही है. महंगाई बढ़ रही है. इन सबका असर अर्थव्यवस्था पर हो रहा है और इससे भी सोने के दाम प्रभावित हो रहे हैं.”
भारत में लोकसभा चुनाव आ रहे हैं. ऐसे में ये सवाल भी उठ रहा है कि क्या लोकसभा चुनावों का सोने के दामों पर असर हो सकता है.
हालांकि, अभी तक भारतीय चुनावों का सोने के दामों पर कोई स्पष्ट असर नहीं दिख रहा है.
शांता कुमार कहते हैं, “भारत में लोग बड़ी तादाद में सोना ख़रीद रहे हैं. जब आप बैंक में पैसा जमा करते हैं तब ब्याज़ दर कम मिलती है. इसलिए बहुत से लोग सोने में निवेश करते हैं. इस वजह से भी बाज़ार में सोने की मांग बढ़ रही है.”
अमेरिका भी एक बड़ा कारण
निवेश सलाहकार सतीश कुमार भी अमेरिकी अर्थव्यवस्था में बढ़ रही महंगाई को सोने के दामों आ रही तेज़ी की मुख्य वजह मानते हैं.
सतीश कुमार कहते हैं, “जनवरी में जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक़ अमेरिका में महंगाई दर 3.1 प्रतिशत है, ये अमेरिकी फ़ेडरल रिज़र्व के 2 प्रतिशत के लक्ष्य से काफ़ी अधिक है. ये भी सोने के दाम बढ़ने की एक बड़ी वजह है.”
दाम बढ़ने के बावजूद लोग सोने में निवेश करने के इच्छुक क्यों हैं?
सतीश कुमार कहते हैं, “लोग सुरक्षित निवेश का विकल्प देख रहे हैं. ऐतिहासिक रूप से सोने को सुरक्षित निवेश माना जाता है. भारत समेत एशियाई देशों में सोने को पूंजी के रूप में देखा जाता है, लेकिन अन्य देशों में सोने को निवेश के रूप में देखा जाता है.”
क्या सोने के दामों में बढ़ोतरी जारी रहेगी?
अगर बीते 20 सालों को देखा जाए तो सोने के दाम लगातार बढ़ते ही रहे हैं.
इसकी एक वजह ये है कि सोने की मांग भी बाज़ार में बढ़ी है. अमेरिकी फ़ेडरल रिज़र्व ने कहा है कि वो ब्याज़ दर बढ़ाएगा. हालांकि बहुत से लोगों ने उम्मीद की थी कि फ़ेडरल रिज़र्व रेट कम कर सकता है.
सतीश कुमार कहते हैं, “जून में फ़ेडरल रिज़र्व के ब्याज़ दर को लेकर फ़ैसले का इंतज़ार है. अमेरिका में चुनाव का समय है. अमेरिकी चुनाव के नतीजे का भी असर हो सकता है. वैश्विक स्तर पर होने वाले भूराजनैतिक बदलावों का सोने के दाम पर असर होता है. अगर महंगाई बढ़ी तो सोने के दाम और भी बढ़ेंगे.”
अंतरराष्ट्रीय वित्तीय फ़र्म जेपी मोर्गन के अनुमान के मुताबिक़ सोने के दाम अभी और बढ़ सकते हैं. माना जा रहा है कि साल 2025 तक सोने के दाम और बढ़ते रहेंगे.