September 8, 2024 8:30 am

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उदंती सीतानदी टाइगर रिज़र्व में अब ग्रामीणों को मिलेगा 2 दिन पहले से हाथी का सटीक अलर्ट, 2 साल से एकत्रित डाटा पर कोर्डिंग एवं टेस्टिंग कार्य शुरू

सत्यनारायण विश्वकर्मा संभाग ब्यूरो

गरियाबंद/ ए-आई आधारित हाथी अलर्ट एप्प में अब मशीन लर्निंग से निर्मित “हाथी-बॉट” से भेजे जायेंगे अर्ली वार्निंग अलर्टस

 

उदंती सीतानदी टाइगर रिज़र्व में अब ग्रामीणों को मिलेगा 2 दिन पहले से हाथी का सटीक अलर्ट, 2 साल से एकत्रित डाटा पर कोर्डिंग एवं टेस्टिंग कार्य शुरू

 

• हाथी ट्रैकरों एवं अलर्ट App के प्रयास से विगत 16 माह में टाइगर रिज़र्व में वन्यप्राणी-मानव द्वन्द से कोई भी जनहानि नहीं हुई है।

 

• 2 वर्षों से ODK App एवं 1.5 वर्ष से हाथी अलर्ट App के उपयोग से काफी रोचक डाटा जनरेट हुआ है जिससे हाथियों के बर्ताव एवं विचरण की जानकारी एकत्रित हुई है। अब 12 वनमंडलों में हो रहा है अलर्ट App का उपयोग ।

 

• डाटा जिसके माध्यम से अर्ली वार्निंग अलर्ट सिस्टम विकसित किया जा रहा है –

 

1. पिछले दो वर्षों की विभिन्न हाथी दलों के विचरण की प्रतिदिन की जिओ-टैग्ड जानकारी जिससे उनके कॉरिडोर का नक्शा तैयार हो गया है।

 

2. विचरण का पैटर्न पता चल रहा है सर्दी, गर्मी, बरसात में किस-किस जगह विचरण किया गया है, गर्भवती मादा / छोटे शावको/बीमार/चोटिल सदस्य का दल में होने के दौरान विचरण का पैटर्न कैसा रहा है।

 

3. हाथी द्वारा वन क्षेत्रो में खायी गयी वनस्पति (जिसमे प्रमुखतः बांस करील, माहुल बेल, मोयन छाल, साल जड़, सेंदुरी जड़, छिंद जड़ आदि) का जीपीएस टैगिंग एवं जंगलो में बिताया समय ।

 

4. फसल हानि, जन हानि एवं जन घायल के विगत 2 वर्षों के प्रकरणों की जीपीएस मैपिंग

 

5. तालाबो, झरनों नदी, नालो एवं झिरिया का जीपीएस मैपिंग जिनका उपयोग हाथियों द्वारा किया गया है। हाथियों द्वारा नहाने और क्रीडा के लिए तालाब का मटमैला पानी का उपयोग करते है और पीने के लिए बहती नदी या सूखी नदी में झिरिया बनाकर पीते है।

 

उपरोक्त डाटा का उपयोग कर मशीन लर्निंग और आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से हाथी विचरण के संभावित क्षेत्रो का लगभग सटीक पूर्वानुमान लगाया जा

 

सकेगा । इस अपडेट को “हाथी- बॉट” (Hathi-bot रोबोट की तर्ज पर) नाम दिया गया है। अभी तक अलर्ट app ए-आई का उपयोग कर हाथी लोकेशन से 10

 

किलोमीटर की परिधि में उपस्थित समस्त ग्रामीणों को ऑटोमेटेड मोबाइल कॉल, एस.एम.एस एवं whatsapp मेसेज भेजता था। अब इस नए प्रयोग के सफल होने पर और सटीक जानकारी अर्ली वार्निंग सिस्टम के माध्यम से भेजी जा सकेगी जिससे प्रशासन एवं ग्रामीण उचित कदम उठा सकेंगे और द्वन्द की स्तिथि कम होगी । एकत्रित हुए डाटा की मदद से हाथी रहवास स्थलों को चिन्हांकित कर तालाब, वृक्षारोपण एवं चारागाह बनाये जा सकेंगे ।

 

नए अपग्रेड –

 

• हाथी- बॉट के माध्यम से अर्ली वार्निंग अलर्टस

 

• हाथी दल की गति जान सकेंगे

 

• सीमावर्ती झारखण्ड, ओडिशा, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र एवं तेलंगाना राज्य के पंजीकृत वन स्टाफ भी 1000 किलोमीटर की परिधि में हाथी लोकेशन और उनके विचरण की नियर-रियल टाइम लोकेशन और कॉरिडोर को देख सकेंगे जिससे अंतर-राज्ययीय समन्वय सुद्रढ़ होगा।

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