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शुक्रवार की भोर से ही राप्ती नदी के तट पर आस्था का सागर उमड़ पड़ा। कार्तिक पूर्णिमा के पावन पर्व पर हाथों में पूजन-सामग्री और मन में श्रद्धा लिए लोग डुबकी लगाकर पुण्य अर्जित करने में मग्न हो गए।
सुबह की पहली किरणों के साथ ही भक्तों का कारवां राप्ती, रोहिन और सरयू के तटों की ओर बढ़ने लगा। कुछ ने भगवान सत्यनारायण की कथा सुनने के लिए व्रत रखा तो कुछ ने गोदान कर अपने धर्म-कर्म का सुफल संजोया। राप्ती नदी के तट का माहौल देखते ही बनता था, हर ओर रंग-बिरंगी सजी दुकानें, खेलते बच्चे, और प्रसाद चढ़ाते श्रद्धालु। ऐसा लगा मानो पूरी श्रद्धा सजीव हो उठी हो।
श्रद्धालु बिना किसी परेशानी के पर्व का आनंद ले सके इसके लिए बैरिकेडिंग और अन्य सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। घाट का पूरा नज़ारा एक हर्षोल्लास भरे मेले जैसा था, जहां हर चेहरा प्रसन्न और हर मन संतुष्ट दिखा।